आखिर क्यों नाखुश है स्मार्ट महापौर
03-Oct-2016 11:13 AM 1234833
मप्र की राजधानी भोपाल, व्यावसायिक राजधानी इंदौर और संस्कारधानी जबलपुर को स्मार्टसिटी बनाना मप्र सरकार के लिए नासूर बनता जा रहा है। दरअसल स्मार्टसिटी के नाम पर इन शहरों में जिस तरह जनप्रतिनिधियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है उससे राजनेताओं में असंतोष है। इस असंतोष का नजारा अभी हाल ही में 20 सितम्बर को राजधानी भोपाल में देखने को मिला। इस दिन स्वच्छता अभियान को लेकर नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा कार्यशाला आयोजित की गई थी। इसमें नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों, विशेष रूप से महापौरों  और अध्यक्षों को बुलाया गया था। खास बात यह रही कि बैठक में भोपाल महापौर आलोक शर्मा, इंदौर महापौर मालिनी गौड़, ग्वालियर महापौर विवेक शेजवलकर और जबलपुर महापौर स्वाती गोडबोले इसमें शामिल नहीं हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना स्वच्छता अभियान के प्रति इन महापौरों की नाखुशी की वजह डायरेक्ट्रेट की मनमानी बताई जा रही है। इन चारों बड़े शहरों के महापौरों का एकमत है कि नगरीय प्रशासन विभाग अपनी योजनाएं और एजेंसियां ऊपर से ही थोप रहा है, जिसके कारण दिक्कतें आ रही है। अपनी ही सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों की किरकिरी न हो इसी के कारण ये चारों महापौरों ने कार्यशाला का बहिष्कार कर अपना संदेश सरकार तक पहुंचा दिया है। जानकारों का कहना है कि स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के महापौरों को भविष्य में स्मार्ट सिटी पर काम करना है, परंतु महत्वपूर्ण कार्यशाला में न जाना राजनीति के साथ प्रशासनिक स्तर पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जनप्रतिनिधि और ब्यूरोक्रेसी के अहम के टकराव के चलते स्मार्ट सिटी से जुड़े चार बड़े शहरों के महापौर ने प्रदेश के नगरीय प्रशासन विभाग के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करने का नायाब तरीका निकाला। दरअसल महापौरों की नाराजगी यह है कि नगरीय प्रशासन विभाग इनकी नगर निगमों में फ्री हैंड देकर काम नहीं करने दे रहा है। इसलिए चारों महापौरों में नौकरशाहों के खिलाफ अंदर ही अंदर आक्रोश है। सूत्रों का कहना है कि महापौरों की नाखुशी इस बात को लेकर है कि डायरेक्ट्रेट में चुनिंदा अधिकारियों को एक कॉकस बन गया है। यह योजनाओं की पूरी प्लानिंग करते हैं। कई मामलों में तो एजेंसियां भी तय कर देते हैं। नगर निगमों को सीधे निर्देशित किया जाता है। जिन बैठकों को अधिकारी चेयर करते हैं, उनमें महापौरों के लिए प्रोटोकॉल का पालन नहीं होता। जब सब डायरेक्टेट को ही करना है तो फिर चुने हुए महापौरों, पार्षदों का क्या औचित्य है। मैं उस दिन  किसी जरूरी बैठक में था। इसलिए उस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हो सका। -आलोक शर्मा भोपाल स्व. लक्ष्मण सिंह गौड़ की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में व्यस्त थी। -मालिनी गौड़, इंदौर स्थानीय स्तर पर पूर्व में ही कार्य निर्धारित थे इसलिए बैठक में नहीं जा पाए। -विवेक शेजवलकर, ग्वालियर स्वास्थ्य खराब होने के कारण बैठक में नहीं पहुंच सकीं। रिजर्वेशन कैंसिल कराना पड़ा। -स्वाती गोडबोले, जबलपुर -भोपाल से अजयधीर
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