03-Oct-2016 11:08 AM
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15 सितंबर को भोपाल में यांत्रिकी सेवा संघ द्वारा अभियंता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमें ऐसी सड़कों का निर्माण करना चाहिए, जिनकी लाइफ 30 साल तक हो तो कुछ इंजीनियर हंस रहे थे। उनकी हंसी की वजह थी प्रदेश की सड़कों की गुणवता। यानी मध्यप्रदेश में जिन सड़कों के सहारे प्रदेश में विकास का सपना देखा जा रहा है। वे सड़कें इस कदर खस्ताहाल हैं कि उन पर चलना मुश्किल हो रहा है। उस पर आलम यह है कि मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण सड़कों की दुर्दशा के लिए भारी वाहनों को दोष दे रहा है। आलम यह है कि प्रदेश में 4000 किलोमीटर तक के दायरे में बिछा सड़क नेटवर्क नष्ट हो गया है। भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी इन सड़कों की मरम्मत के लिए तैयारी चल रही है। लेकिन इन सड़कों का निर्माण करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के हर गांव को सड़क से जोडऩे का जो सपना देखा था मध्यप्रदेश में उनके इस सपने को मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण ने ही पलीता लगाया है। दरअसल इस विभाग में सड़कों के निर्माण में ऐसा तिकड़म लगाया जाता है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। दरअसल इस विभाग में सड़क निर्माण के लिए ग्रुप टेंडर किए जाते हैं। जिसके तहत एक बड़ी कंपनी को सड़क निर्माण का टेंडर दिया जाता है और उसके तहत कई अन्य कंपनियां उन सड़कों का निर्माण करती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि छोटी-छोटी निर्माण कंपनियां अपनी सहूलियतों के हिसाब से सड़कों का निर्माण करती हैं। ऐसे में कई सड़कें आधी-अधूरी रह जाती हैं। ऐसी ही करीब 200 सौ सड़कें अधर में लटकी हुई हैं।
दरअसल, ठेकेदारों द्वारा सड़कों का दूसरे विभागों में स्थानान्तरण, त्रुटिपूर्ण योजना, निर्माण स्थल तक सामग्री लाने में परेशानियां, नक्सल समस्या, बोली के लिए प्रतिक्रिया न आना आदि के कारण सड़कों का निर्माण बीच में छोड़ दिया गया है। मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियंता एम के गुप्ता कहते हैं कि प्रदेश में इस बार अधिकांश सड़कें बारिश और बाढ़ के कारण बर्बाद हुई हैं। कुछ सड़कों के निर्माण से संबंधित शिकायत भी आई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाए गए 4000 किलोमीटर दायरे में फैले सड़क नेटवर्क को लेकर प्राधिकरण एक आंकलन रिपोर्ट तैयार कर रहा है। जिसके बाद रोड बनाने के लिए बजट की प्रक्रिया का प्रपोजल केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
सड़कों के निर्माण कार्य में संबंधित विभागों द्वारा मनमानी व धांधली की जा रही है जिसकी वजह से प्रदेश में सड़कों का निर्माण कार्य गुणवत्तायुक्त नहीं हो पा रहा है। घटिया निर्माण की वजह से अनेक मार्ग दम तोड़ रहे हैं। इसके अलावा सड़कों के निर्माण कार्य में समयसीमा का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। समयसीमा समाप्त होने के बाद भी सड़कों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है।
मंडला से डिंडौरी पिण्डरई मार्ग का निर्माण कार्य राज्य सड़क विकास प्राधिकरण जबलपुर के माध्यम से किसी कम्पनी या ठेकेदार द्वारा 3 वर्ष पूर्व प्रारंभ कराया गया था। इस मार्ग के निर्माण कार्य की समयसीमा दो वर्ष थी। लगभग तीन साल बीत जाने के बाद भी सड़क का निर्माण कार्य सिर्फ अधिकारियों व ठेकेदार की लापरवाही के चलते पूरा नहीं हो पाया है। यह तो महज एक उदाहरण है। ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्य सड़क से जोडऩे के लिए बनाई जा रही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में किस कदर भ्रष्टाचार हो रहा है इसकी बानगी शहडोल के घोटाले से सामने आई थी। शहडोल में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क को लेकर कई माध्यमों से शिकायतें प्राप्त हो रही थी। रीवा में पदस्थ ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण की परियोजना क्रियान्वयन इकाई के मुख्य अभियंता ने जांच कराकर रिपोर्ट भेजी थी। इसमें बताया गया था कि शहडोल में पैकेज 3841, 3846, 3850 और 3871 में घटिया निर्माण हुआ है। कहीं डामर कम लगाया तो कहीं गिट्टी कम डाली गई। ये तो कुछ उदाहरण है। प्रदेश में मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के माध्यम से बन रही हर सड़क में झोल है।
साल में बनी सड़क 6 महिने भी नहीं टिकी
छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव के ग्राम सांगाखेड़ा को कुकर पानी ग्राम पंचायत से जोडऩे के लिए बनाई गई प्रधानमंत्री सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। 6 महीनों में ही सड़क ने दम तोड़ दिया। जितने साल इस सड़क को बनाने में लगे यह सड़क उतने महीने भी नहीं टिक पाई। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सन 2006-07 में सांगाखेड़ा से केकर पानी ग्राम पंचायत को जोडऩे के लिए सड़क स्वीकृत की गई थी, जिसका निर्माण 2009 से शुरू किया गया। आठ करोड़ ग्यारह लाख रुपए की लागत से 25 किमी सड़क निर्माण किया गया। ग्रामवासियों के अनुसार इस सड़क पर बने कई पुल बह चुके है। मोटर साइकल भी नहीं निकल पा रही है। नवनिर्मित सड़क का बेस तक बह चुका है कई जगह चार-चार फीट के गड्ढे हो चुके है। मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण किस तरह काम कर रहा है इसको इसी से समझा जा सकता है कि बिना जांच किए ही सड़कों को ओके किया जा रहा है। यानी अफसर और ठेकेदारों ने प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सरकार के करोड़ों रुपए बर्बाद कर दिए। राज्य में ढाई सौ से अधिक ऐसी सड़कें चिन्हित की गई हैं जिनका निर्माण बीच में छोड़ दिया गया।
-विकास दुबे