जुलानिया साहब आपने जो बोया वही तो काटोगे
03-Oct-2016 11:01 AM 1234915
आप ने यह लोकोक्ति तो सुनी ही होगी कि बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय। यह लोकोक्ति इन दिनों मप्र के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और राधेश्याम जुलानिया पर सटीक बैठ रही है। दरअसल जुलानिया अपने एक मातहत द्वारा इन्सल्ट किए जाने से आहत हैं। उन्होंने शिकायत की है कि जूनियर अफसर उनका सम्मान नहीं करते। जानकारों का कहना है कि जुलानिया शायद भूल गए हैं कि उन्होंने दर्जनों बार वरिष्ठ अधिकारियों को किस तरह अपमानित किया है। जब वे सिंचाई विभाग में थे तो एनवीडीए के वरिष्ठ अफसरों को अपमानित किया करते थे। दिग्विजय सिंह से लेकर शिवराज सिंह चौहान तक हर मुख्यमंत्री को शीशे में उतार लेने वाले आईएएस राधेश्याम जुलानिया हमेशा किसी ना किसी से उलझते रहते हैं। विवाद भी ऐसा नहीं कि चार दीवारी में सीमित रह जाए, अक्सर ऐसा होता है जो मीडिया की सुर्खियां बन जाता है। जुलानिया जिस भी विभाग में रहते हैं उस विभाग के मंत्री तक को तवज्जो नहीं देते। प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि जुलानिया अपने को हमेशा ही सुप्रीम पावर समझते हैं। इसलिए वे किसी की कद्र नहीं करते। अब बारी जुलानिया की है। जब जुलानिया ने वरिष्ठों को अपमानित किया है तो अब उन्हें भी अपने कनिष्ठों से अपमानित होने की आदत डाल लेनी चाहिए। जानकार बताते हैं कि जुलानिया एक अच्छे प्रशासक के साथ ही कुशल रणनीतिकार भी हैं। यही कारण है कि वे मुख्यमंत्रियों पर अपना जादू चला लेते हैं और बाकियों को दुत्कारते रहते हैं। उन पर आरोप तो यह भी लगते रहते हैं कि उनकी ईमानदारी महज दिखावा है। जुलानिया की तथाकथित ईमानदारी की पोल पन्ना के तत्कालीन कलेक्टर एसएन सिंह चौहान ने खोली है। सिंह ने आधा दर्जन पत्र लिखकर जिले में चल रहे जलसंसाधन विभाग के घटिया निर्माण कार्यों की ओर ध्यान आकर्षित किया था, लेकिन चहेते अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस कारण सरकार को 200 करोड़ की चपत लगी है। यही नहीं 6 वर्षो तक जुलानिया ने जलसंसाधन विभाग में रहते हुए मंत्री को घास तक नहीं डाली और दागी कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की जगह ठेका दे दिया। ऐसे कई मामले हैं, लेकिन अन्य कलेक्टर इनके खिलाफ मुंह खोलने को तैयार नहीं है। वहीं जुलानिया छोटे अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रताडि़त कर यह दर्शाने की कोशिश करते हैं कि उनसे अधिक ईमानदार कोई नहीं है। मुख्यमंत्री के सामने होते हैं तब भी वे इतनी गलतियां निकाल देते हैं कि कहना पड़ता है कि भाई इन्हें रोको और वे इसके बाद भी कमियां निकालते रहते हैं। मंत्री भी भयभीत रहते हैं और अधिकारी भी कि कहीं जुलानिया साहब से पाला न पड़ जाए। बड़ा-बड़ा कहते हुए उन्हें न्यायालय से भी बड़ा बना दिया। क्योंकि वे न्यायालय का आदेश भी मानने को तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि न्यायालय बड़ा या जुलानिया इस तर्ज पर प्रदेश सरकार की किरकिरी हो रही है। जब भी जुलानिया का नाम आता है तब यह भी साथ में कहा जाता है कि वे सबसे सख्त अधिकारी हैं। लेकिन जब उनके बारे में साथी अधिकारियों से पूछा जाता है कि उनकी सख्ती का मतलब क्या है? तो जवाब मिलता बनता काम बिगड़वा दो, होते काम में रोड़ अटका दो और मंत्रियों और साथी अधिकारियों से पंगा लेते रहो यही सख्त होने का प्रतीक है। जुलानिया जिस भी विभाग में रहे हैं उन्होंने दहशत और तांडव की स्थिति ही बनाई है चाहे निर्माण विभाग में आकर समाचार पत्रों के माध्यम से जारी होने वाले टेंडरों को कम करके ठेकेदारों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाने का मामला ही क्यों न हो? अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया के तेवर देख जिला एवं जनपद पंचायतों में काम करने वाले राज्य प्रशासनिक सेवा और ग्रामीण विकास सेवा के अफसर सीईओ नहीं रहना चाहते। इन अधिकारियों ने अपनी पदस्थापना फील्ड के बजाय दफ्तरों में कराने की जुगत लगानी शुरू कर दी है। यही नहीं जुलानिया के व्यवहार से अब तो कई जिलों के कलेक्टर भी त्रस्त हो गए हैं। वहीं कर्मचारी संगठनों ने तो राजधानी की सड़क पर उतरकर जुलानिया को हटाने की मांग तक कर डाली है। उधर जुलानिया की प्रताडऩा से आहत पंच-सरपंच सामुहिक इस्तीफा देने दिल्ली जाएंगे। यानी अब ऐसा लगता है की जुलानिया के अच्छे दिन पर संकट मंडराने लगा है। मुख्यमंत्री की फटकार जुलानिया पर बेअसर क्या वाकई मध्यप्रदेश की नौकरशाही पूरी तरह निरंकुश होती जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फटकार का भी उन पर कोई असर नहीं हो रहा है। ताजा उदाहरण अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया का है। जिन्होंने मुख्यमंत्री की तीखी फटकार के बाद भी ग्रामीण विकास विभाग की उन योजनाओं को शुरू नहीं किया है, जिन्हें मनमर्जी से बंद कर दिया गया था। इन योजनाओं की राशि केवल जल संरचनाओं के काम में लगाई जा रही है। जुलानिया के इस तुगलकी फरमान से मंत्री और जन प्रतिनिधि भी हैरान हैं। लंबे समय तक जल संसाधन विभाग की कमान संभालने वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया जिस विभाग में रहते हैं उसमें अपनी मर्जी से काम करते हैं। लंबे समय बाद जल संसाधन से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में अपर मुख्य सचिव बनाए गए जुलानिया ने इस विभाग की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना और मुख्यमंत्री बारहमासी सड़क योजनाओं को एक झटके में बंद कर इसकी राशि ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरचनाओं के काम में लगा दी। -कुमार राजेंद्र
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