कही निकल न जाए भाजपा के हाथ से राजस्थान
17-Sep-2016 07:33 AM 1234788
वीरों की भूमि राजस्थान में इन दिनों एक अलग संग्राम छिड़ा हुआ है। संग्राम  जयपुर राजघराना और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया सरकार के बीच चल रहा है वजह है 550 करोड़ की कीमत वाला जयपुर का राजमहल पैलेस विवाद। दरअसल जयपुर विकास प्राधिकरण ने राजमहल पैलेस की 12 बीघा जमीन पर कब्जा जमा लिया और तीन दरवाजों पर ताला जड़ दिया। सरकारी कार्रवाई से नाराज जयपुर राजघराना सड़क पर उतर गया। तब जाकर राजस्थान हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई। सरकार ने कोर्ट की फटकार के बाद अपना कब्जा हटा लिया है लेकिन भाजपा सरकार के लिए सबसे बुरी खबर यह है कि सरकार के खिलाफ प्रदेशभर में माहौल बन गया है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि राजस्थान भाजपा के हाथ से निकल न जाए। राजस्थान में किसी को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वसुंधरा राजे सरकार को हो क्या गया है। हर कोई हैरान है कि कभी वसुंधरा राजे और जयपुर राजघराने के बीच नजदीकी रिश्ता होता था फिर अब ऐसी क्या स्थिति निर्मित हो गई है कि दोनों आमने-सामने हो गए हैं। करीब 550 करोड़ की कीमत के राजमहल पैलेस का विवाद इतना बढ़ गया कि जमीन की लड़ाई सियासी जंग और शक्ति प्रदर्शन में बदल गई। 24 अगस्त को जयपुर की प्राइम लोकेशन पर मौजूद होटल राजमहल पैलेस के एक हिस्से पर जयपुर विकास प्राधिकरण का बुलडोजर चला। इसके बाद जेडीए के अफसरों ने महल परिसर की 12 बीघा जमीन अपने कब्जे में ले ली साथ ही पैलेस के चार में से तीन दरवाजों को भी सील कर दिया। इस कार्रवाई से बौखलाई राजकुमारी दीया कुमारी पैलेस के गेट पर ही अफसरों से भिड़ गईं। राजपरिवार का दावा है कि जेडीए की कार्रवाई भारत सरकार के साथ हुए कोविनेंट यानी अनुबंध के खिलाफ है 1949 में जयपुर रियासत के राजस्थान में विलय के बाद तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल और पूर्व महाराजा मानसिंह के बीच हुए समझौते को कोविनेंट कहा जाता है। कोविनेंट के मुताबिक राजमहल पैलेस प्रिंसेज हाउस के तौर पर जयपुर राजपरिवार की संपत्ति है। 120 बीघे में फैला राजमहल पैलेस आजादी से पहले अंग्रेज रेजिडेंट का दफ्तर यानी रेजिडेंसी था, लेकिन विलय के समय कोविनेंट में इसे प्रिंसेज हाउस दिखाया गया था। 1993 में राजस्थान सरकार ने राजमहल की 65 बीघा जमीन का अधिग्रहण कर लिया। तब इसमें से 12 बीघा जमीन सरकार ने राजमहल के पास ही छोड़ दी थी। राजमहल पैलेस के मुख्य भवन समेत 54 बीघा जमीन अभी भी राजपरिवार के पास है। यहीं से राजमहल पैलेस होटल का संचालन किया जा रहा है। राज्य सरकार अब बारह बीघा जमीन कब्जा करने की कोशिश कर रही है। लेकिन राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे पर राजस्थान कोर्ट सख्त हो गया है। राजमहल पैलेस मामले में सीएम राजे की किरकिरी हो गई है। राजमहल पैलेस मामले में जयपुर एडीजे कोर्ट ने राजमहल पैलेस के सभी गेटों के सील खोलने और तोड़े गए ढांचों को एक महीने के अंदर वापस बनाकर लौटाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार तो बैकफुट पर आ ही गई है साथ ही राजस्थान के राजपूत सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। जो आगामी चुनाव में भाजपा पर घातक सिद्ध हो सकते हैं। 250 साल पहले रानी को गिफ्ट में मिला था ये पैलेस जयपुर रॉयल फैमिली के मशहूर राजमहल पैलेस पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हुए जयपुर डेलवपमेंट अथॉरिटी ने मेन गेट सील कर दिया। जयपुर का राजपरिवार इस होटल को लंबे वक्त से चला रहा था। जयपुर के सबसे महंगे इलाके की इस बेशकीमती जमीन को लेकर सरकार और राजपरिवार में विवाद चल रहा है। इस हैरिटेज होटल की खूबसूरती को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। ढाई सौ साल पुराने इस हैरिटेज होटल में 14 रॉयल अपार्टमेंट्स, सुइट्स और पैलेस रूम्स है। 1729 में सवाई जयसिंह द्वितीय ने मेवाड़ के महाराणा की बेटी और अपनी रानी चंद्र कंवर राणावत के लिए इसे आलिशन पैलेस को बनवाया था। अंग्रेजों के शासनकाल में सन् 1821 से राजमहल पैलेस में ब्रिटिश सरकार के अधीन राजपूताना का पॉलिटिकल ऑफिस था। 1958 में महाराजा सवाई सिंह द्वितीय ने यहीं पर रहना शुरू किया था। इस होटल में कभी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग, लॉर्ड और लेडी माउंटबेटन और ईरान के शाह जैसी हस्तियां ठहर चुकी हैं। -जयपुर से आर.के. बिन्नानी
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