यहां भी निशाने पर नौकरशाही
03-Oct-2016 10:54 AM 1234775
मप्र भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रदेश की नौकरशाही फूटी आंख भी नहीं सुहा रही है। इसका नजारा ग्वालियर में आयोजित भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी देखने को मिला।  दो दिनों तक चली बैठक में पदाधिकारियों के निशाने पर नौकरशाह रहे। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में पदाधिकारियों ने मंत्रियों, विधायकों और भाजपा नेताओं को नैतिकता की घुट्टी पिलाई। बैठक में प्रदेश की अफसरशाही के खिलाफ माहौल का सबसे बड़ा कारण बालाघाट में संघ प्रचारक की पिटाई का असर रहा। यही वजह रही कि प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने सरकार को न केवल सीधी नसीहत दे दी, बल्कि उस चिंगारी को भी हवा दे दी, जिसमें कहा जा रहा है कि प्रदेश में नौकरशाही बेलगाम हो गई है। विनय सहस्त्रबुद्धे ने प्रदेश कार्यसमिति में साफ कहा कि जब तंत्र हावी हो जाता है, तब मंत्र चला जाता है। ऐसे में दीनदयाल के मार्ग पर चलना कठिन होगा। दरअसल, भाजपा के कई बड़े नेता खुलेआम आरोप लगा चुके हैं कि प्रदेश में अफसरशाही हावी है। जनप्रतिनिधियों की बात सुनी नहीं जा रही है। इस बात को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी उठाना चाहते थे, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया। उल्लेखनीय है कि बैठक से पहले ही विजयवर्गीय पर सरकार विरोधी एजेंडा सुलगाने की कोशिश की। बालाघाट में संघ प्रचारक की पुलिसिया पिटाई को उन्होंने ट्वीट करके नौकरशाही के बहाने सरकार पर हमला बोला। हालांकि दूसरे दिन अफसरशाही तो कम पार्टी के बड़बोले नेता अधिक निशाने पर रहे। कार्यकारिणी के समापन पर बोलते हुए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने नेताओं को खूब घुट्टी पिलाई। रामलाल ने बैठक में मौजूद सभी बड़े नेताओं, मंत्री और जनप्रतिनिधियों को साफतौर पर समझाइश दी कि कोई भी कार्यकर्ता किसी भी पद पर पहुंच जाए, वह जमीन पर ही रहे, अन्य कार्यकर्ताओं का भगवान बनने की कोशिश न करे। पार्टी में हावी हो रही गुटबाजी पर भी रामलाल ने निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हर कार्यकर्ता सर्वश्रेष्ठ होता है। यदि चार में से किसी एक को विधानसभा या लोकसभा का टिकट मिल जाए तो यह नहीं सोचना चाहिए कि उसे टिकट क्यों दिया गया। रामलाल ने बड़े पद पर बैठे नेताओं को सलाह दी कि वे किसी तरह के घमंड में न आए। पद और प्रतिष्ठा स्थाई नहीं होती। कार्यकर्ताओं से सहजता से बातचीत और व्यवहार किया जाए। कार्यकर्ताओं को भूलने और उनकी उपेक्षा करने की कोशिश न करें। उल्लेखनीय है कि लंबे समय से पार्टी के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और नेताओं द्वारा खराब आचरण की शिकायत आ रही थीं। माना जा रहा है कि पिछले दिनों संगठन मंत्री वी. सतीश कुमार ने मप्र का दौरा कर कार्यकर्ताओं से चर्चा की और उसी का फीडबैक रामलाल को दिया था। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी नेताओं को चाल, चरित्र और चेहरे वाले कार्यकर्ता बनने की समझाइश दी। उन्होंने कहा कि सभी जनप्रतिनिधि यह घमंड न करें कि वह विधायक या सांसद बन गए हैं। यदि कार्यकर्ता नहीं होते तो वह विधायक या सांसद नहीं बन पाते। उन्होंने कहा कि सभी आदर्श कार्यकर्ता बनें। पार्टी में रहकर अनुशासन में रहना होगा और नियमों का पालन करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पार्टी नेता पद और लंबी गाडिय़ों का मोह न करें। प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि अनुशासन में न रहने वाले कार्यकर्ताओं की पार्टी खत्म हो गई। हर कार्यकर्ता खुद को प्रदेश पदाधिकारी समझे। बैठक के तत्काल बाद पार्टी की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। रामलाल, शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी नेताओं को अनुशासन में रहने का पाठ पढ़ाया ही था और थोड़ी देर बाद भाजपा के भिंड जिला अध्यक्ष काकर के खिलाफ पार्टी कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। इससे पार्टी के वरिष्ठ नेता खफा भी हुए साथ ही हिदायत भी दी कि ऐसी अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं होगी। बयानबाजों की बोलती बंद करने तय हुई गाइडलाइन भाजपा कार्यकारिणी में पार्टी नेताओं के विवादित बयानों से होने वाली फजीहत को रोकने के लिए बोलने की गाइडलाइन तय कर दी गई है। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने सभी नेताओं को साफ तौर पर इशारा किया कि हर नेता प्रवक्ता न बनें। यदि किसी को कोई समस्या है तो पार्टी फोरम और वरिष्ठ नेताओं के अलावा कहीं और यह बात न रखी जाए। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस तरह की गाइडलाइन चाहते थे। इस संबंध में उन्होंने कोर ग्रुप की बैठक में भी यह बात रखी थी। रामलाल ने कहा कि पार्टी नेता और कार्यकर्ता अनुशासन में रहकर अपनी बात रखें। यदि घर में कोई समस्या होती है तो हम घर वाले की बुराई बाहर नहीं करते हैं। इसी तरह भाजपा को परिवार की तरह समझा जाए और पार्टी के स्तर पर ही विवाद हल किए जाएं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों कैलाश विजयवर्गीय, नंदकुमार सिंह चौहान, बाबूलाल गौर सहित तमाम नेताओं के बयानों ने भाजपा की आतंरिक गुटबाजी उजागर कर दी थी। केंद्रीय नेतृत्व को इस मामले में दखल देना पड़ा था। -श्याम सिंह सिकरवार
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