03-Oct-2016 10:23 AM
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शराबबंदी को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार देश व्यापी अलख जगा रहे हैं। लेकिन उनकी इस शराबबंदी की मुहिम में राजनीति की बू आ रही है। क्योंकि वे बिहार में जिस तानाशाही पूर्वक रवैये के साथ शराबबंदी को सफल बनाने में जुटे हुए हैं, वहां तो अराजकता फैली ही है। अब उसी तानाशाही पूर्वक रवैये के साथ अन्य राज्यों में भी शराबबंदी के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। इसी सिलसिले में 20 सितंबर को उन्होंने मध्यप्रदेश में भी मुहिम शुरू की। दरअसल उनकी निगाह अब मप्र में 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है।
सूत्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार शराबबंदी को चुनाव से ऐन पहले लागू करने के मूड में है, जिससे आने वाले इलेक्शन में माहौल भाजपा के पक्ष में बना रहे। शायद इसकी भनक सुशासन बाबू को लग गई है और वे बहती गंगा में हाथ धोने में लग गए हैं। इसी सिलसिले में नीतीश कुमार ने ग्वालियर, बड़वानी में आकर ऐलान किया कि वे बिहार के बाद मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश में पूर्ण शराबबंदी करवाने का अभियान चलाएंगे।
माना जा रहा है कि मप्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जेडीयू ने शराबबंदी अभियान छेड़ा है। यदि यह अभियान जोर पकड़ लेता है और बाद में मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार शराबबंदी कर भी दे तो भी जेडीयू को क्रेडिट मिल सकता है। लेकिन उन्हें शायद मालूम नहीं है कि मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद शराबबंदी के पक्षधर हैं। उनके संकल्प के कारण ही मप्र प्रदेश में पिछले कई सालों से नई शराब की दुकानें नहीं खुल रही हैं। जबकि बिहार में शराबबंदी को लागू कराने के लिए नीतिश कुमार सरकार को तानाशाही पूर्वक रवैया अपनाना पड़ा है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड व कांग्रेस की महागठबंधन सरकार है। सरकार की ओर से सबसे बड़ी घोषणा प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की हुई। लेकिन इसके साथ ही उसकी आलोचना भी शुरू हो गयी। विपक्षियों के साथ-साथ उनकी गठबंधन पार्टी राजद भी उनके साथ नहीं खड़ी है। राजद नीतीश कुमार की नयी उत्पाद नीति-2016 का विरोध कर रही है। दिखाने को दोनों दल एकजुटता का दावा करते हैं, लेकिन इस फैसले पर दोनों दलों में अंदरूनी घमासान चल रहा है। मानसून सत्र में, नयी उत्पाद नीति-2016 बिहार विधानसभा में पास हुई। इसके तहत किए गये प्रावधानों पर सभी दल ऐतराज जता रहे हैं। कानून के अनुसार यदि किसी के घर एक बोतल शराब बरामद होती है तो उस घर के सभी वयस्कों को जेल जाना पड़ेगा। इस नीति का विरोध जदयू को छोड़कर सभी राजनीतिक दल इसलिए कर रहे हैं कि इस कानून के तहत निर्दोष व्यक्ति को भी जेल जाना पड़ेगा। हालांकि कांग्रेस इस मामले में चुप है। भाजपा नयी शराब नीति को नीतीश कुमार का तालिबानी फरमान बताती है। वह कहती है कि यह अलोकतांत्रिक और असामाजिक है कि गलती एक इनसान करे और जेल सारे घर वालों को भेज दिया जाए। लेकिन विपक्ष का असर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर नहीं दिखता। वे अपने फैसले पर पर अटल हैं। दरअसल, नीतीश कुमार इस शराबबंदी की नीति में अपना राजनीतिक भविष्य देख रहे हैं। वे 2019 के लोकसभा चुनाव में इसे मुद्दा भी बना सकते हैं। इसलिए वे बिहार को एक सफल शराबबंदी वाले राज्य के रूप में देशभर में प्रस्तुत करना चाह रहे हैं। लेकिन इसके लिए वे जिस नीति को अपनाएं हुए हैं उससे सवाल उठ रहा है कि आखिर यह शराबबंदी जनता के लिए है या नीतिश की राजनीतिक महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए। नीतिश की इस मंशा को पटना हाईकोर्ट ने जोरदार झटका दिया है और प्रदेश में अंग्रेजी शराब को शराबबंदी से मुक्त करने का निर्देश दे दिया है। अब देखना यह है कि नीतिश का अगला कदम क्या होता है।
बिहार में शराबबंदी का तानाशाही कानून
बिहार में शराबबंदी को और मजबूती देने के लिए बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक 2016 में सरकार ऐसे प्रावधान किया है जिसके अनुसार अगर कोई घर में शराब की महफिल सजाता है तो उसे उम्र कैद तक हो सकती है। इस फरमान में आगे कहा गया है कि अगर कोई भी घर का मालिक अपने घर में शराब की महफिल सजाता है, शराब इक_ा करता है या सामूहिक रूप से पीने की अनुमति देता है या फिर उक्त परिसर में शराब पीकर कोई हिंसा करता है तो घर के मालिक को कम से कम 10 वर्ष और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। शराब पीने, रखने या उसकी जानकारी रखने पर पांच साल के आजीवन कारावास तक की सजा होगी। यही नहीं संबंधित व्यक्ति को 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी देना होगा। शराब का प्रचार-प्रसार करने या फिर उसके विज्ञापन को प्रकाशित करने पर न्यूनतम तीन वर्ष की सजा होगी। इसे बढ़ाकर पांच वर्ष किया जा सकेगा। 10 लाख रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकेगा। इतना ही नहीं अगर महिला या नाबालिग को धंधे में लगाया तो आजीवन कारावास होगी। नए कानून में यह प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों या फिर किसी भी उम्र की महिला को शराब के धंधे में लगाता है, उनसे शराब बिकवाता है, शराब बिक्री के लिए प्रलोभन दिलवाता है तो दोषी व्यक्ति को न्यूनतम 10 वर्ष और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। एक लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक जुर्माना भी देना पड़ेगा।
-कुमार विनोद