17-Sep-2016 06:32 AM
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बिहार में इन दिनों रोजाना ऐसा ही कुछ न कुछ चल रहा है। कभी कोई किसी को शह दे रहा है, कभी कोई किसी को मात। हालिया दिनों में कई ऐसी बातें बिहार में हुई है। नीतीश कुमार एक-एक कर सभी बाधाओं को पार करने की कोशिश में हैं और पार भी पा रहे हैं। बस एक फंसान उनके गले में हड्डी बनकर फंसी है, जिसे न उगलते बन रहा है और न निगलते और वह शराबबंदी का कानून।
हर शोर के बीच शराबबंदी का कानून आने के बाद बिहार के चौक-चौराहे और चौपालों में बातचीत का सबसे गर्म मुद्दा शराबबंदी कानून ही है। इसकी वजह भी है। गोपालगंज हादसा तो अभी बहुत बाद में हुआ, जिसमें 19 लोग जहरीली शराब पीने से मरे। सरकार ने पहले उसे जहरीली शराब पीने से हुई मौत मानने से मना कर दिया था। फिर जब साबित हुआ तो आनन फानन में एक थाने के सभी 25 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। जो शराब से मरे उन्हें मुआवजा दिया गया, जो पीडि़त हुए उन्हें लेकर पेंच फंसा कि क्या किया जाए। इंसानियत कहने लगी कि इन्हें भी मदद चाहिए, कुछ लोगों ने कहा कि इंसानियत क्यों कर बीच में लाना, गुनाहगार हैं तो इन्हें सजा मिले। गोपालगंज कांड ने शराबबंदी कानून के पेंच को फंसाया। इस बीच दूसरी ओर शराबबंदी को लेकर कई खबरें एक-दूसरे से टकराती भी रहीं। एक खबर यह निकली कि बिहार में शराबबंदी होने के बाद होम्योपैथी दवाएं महंगी हो गयी है और उसकी किल्लहत होने लगी है। दूसरी खबर यह निकली कि बिहार के पर्यटन उद्योग का कमर तोडऩा शुरू कर दिया है।
पर्यटन निदेशालय के एक अधिकारी का कहना है कि 2013 में बोधगया ब्लास्ट के बाद अचानक पर्यटन उद्योग को झटका लगा था लेकिन शराबबंदी ने पर्यटकों पर इतना प्रतिकूल असर डाला है कि उसकी भरपाई मुश्किल होगी। बोधगया ब्लास्ट के बाद जब पर्यटक बिहार आने से डरे थे तो भी एक साल में करीब तीन लाख पर्यटकों के आवाजाही में कमी आई थी। लेकिन शराबबंदी कानून ने दो माह में ही करीब 21 लाख पर्यटकों की संख्या में कमी कर दी है। पर्यटन का मामला तो अलग है, बिहार में चर्चा इस बात की भी खूब है कि पिछले चार माह में राज्य में 13,839 लोगों की गिरफ्तारी शराबबंदी कानून तोडऩे को लेकर हुई है और यह देश में एक रिकार्ड की तरह है कि किसी अपराध में इतने कम समय में इतने लागों की गिरफ्तारी
हुई है।
बिहार में शराबबंदी कानून सियासत के समीकरण को भी गड़बड़ाने की राह चलने लगा है। भाजपा नेता सुशील मोदी कहते हैं कि नीतीश कुमार की सरकार शराबबंदी में पूरी तरह से विफल रही है। अब तक 14 हजार के करीब लोग इस कानून के तहत गिरफ्तार किये जा चुके हैं लेकिन दूसरी ओर रोज कहीं न कहीं से शराब पकड़ी जा रही है, इसका मतलब यह हुआ कि शराब अभी बंद नहीं हुई है। सुशील मोदी और भी ढेरों बात कहते हैं। वे विपक्ष के नेता हैं, उनका काम है कहना। उनकी बातों को अगर परे भी कर दे तो शराबबंदी कानून को लेकर नीतीश कुमार अपने ही सहयोगियों से घिरते नजर आ रहे हैं। गोपालगंज कांड के बाद जिस तरह से रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश सरकार पर करारा प्रहार किया, सियासी गलियारे में महज उसे रघुवंश प्रसाद के बयान के रूप में नहीं देखा जा रहा। यह माना जा रहा है कि यह सब वे लालू प्रसाद की सहमति से कह रहे हैं। रघुवंश प्रसाद सिंह कहते हैं कि हमने तो कहा ही है और क्या गलत कहा है कि गोपालगंज में जो कांड हुआ, वह बिहार सरकार की नयी शराबबंदी नीति के कारण हुआ। शराबबंदी बाहरी दुनिया में इस पर जो बात हो रही है, रोज नये किस्से सामने आ रहे हैं। मजा लेने के लिए रोज किस्से गढ़े जा रहे हैं और हकीकत यह है कि अब भी शराब पीने वाले किसी न किसी तरह से सीमापार से शराब का जुगाड़ कर ही ले रहे हैं।
रम चाहिए तो राम बोलो और रॉयल स्टैग के लिए राधेश्याम
बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से शराबियों ने भगवान का नाम जपना शुरू कर दिया है। दरअसल, शराबियों, दलालों और घर-घर शराब पहुंचाने वालों के बीच यह नाम काफी लोकप्रिय है। जब शराबियों की जुबान से भगवान का नाम सुनने को मिलने लगी तब उत्सुकता जगी क्या शराबियों ने सचमुच में भक्ति का मार्ग अपना लिया है। इस बारे में जब जानकारी जुटाई तब पता चला भगवान का नाम शराब तस्कर अपने कवच के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इन शब्दों का प्रयोग कर शराबियों और कारोबारियों के बीच शराब के कारोबार किए जा रहे हैं। आमतौर पर शराबियों और कारोबारियों के बीच बातचीत की शुरुआत राधेकृष्ण-राधेकृष्ण से होती है। उसके बाद शराब के ब्रांडों के लिए भगवान के नाम का जिक्र किया जाता है। राधे श्याम यानि रॉयल स्टैग, राम चंद्र यानि रॉयल चैलेंज, इंद्र भगवान यानि इंपीरियल ब्लू, राम यानि रम के नाम से बात की जाती है। यही नहीं, बिहार पुलिस का नाम भी शराब के ब्रांड के तौर पर लिया जा रहा है। बिहार पुलिस यानि ब्लेंडर प्राइड। ऐसे कई नाम है जो शराबियों के बीच मशहूर है।
-कुमार विनोद