कैबिनेट में अटकी स्मार्ट सिटी!
17-Sep-2016 07:46 AM 1234763
मप्र की राजधानी भोपाल को स्मार्ट सिटी बनाने में अधिकारियों की लापरवाही के कारण स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट अटक गया है। आलम यह है कि देश के पहले 20 स्मार्ट शहरों की सूची में शामिल भोपाल अब पिछडऩे लगा है। प्रोजेक्ट पर पहले फेज की फंडिंग के बाद केंद्रीय निगरानी समिति ने अब प्रदेश के सात शहरों से पिछले 6 माह का हिसाब-किताब मांगा है। इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और सतना ने जुलाई तक का ब्यौरा नगरीय प्रशासन विभाग के जरिए केंद्र सरकार को भेज दी है। जबकि भोपाल का ब्यौरा अभी भी फाइलों में कैद है। दरअसल, स्थान परिवर्तन और विवाद के कारण अधिकारी इसमें रूचि नहीं ले रहे हैं। भोपाल के इस कार्रवाई में पिछडऩे की मुख्य वजह शिवाजी-तुलसी नगर की साइट परिवर्तन और नॉर्थ टीटी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिलना बताया जा रहा है। साइट बदलने के बाद बीडीए साधिकार समिति ने जमीन नगर निगम को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। लेकिन प्रोजेक्ट पर कैबिनेट एपू्रवल अब तक नहीं आया है। राज्य कैबिनेट का एप्रूवल मिलने के बाद उसे केंद्र को भेजा जाएगा। उसके बाद केंद्र का फॉर्मल एप्रुवल मिलते ही अगली किस्तें रिलीज हो जाएंगी। लेकिन कैबिनेट स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को एप्रूवल कब देगी इस पर कोई भी कुछ कहने को तैयार नहीं है। बताया जाता है कि भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर काम आगे बढऩे की बजाए शिवाजी-तुलसी नगर की साइट बदलकर इसे नॉर्थ टीटी नगर में तब्दील करने से केन्द्र भी नाखुश है। उधर 17 मई 2016 को मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद भी साइट परिवर्तन का मुद्दा कैबिनेट एप्रुवल के इंतजार में है। नॉर्थ टीटी नगर का शरुआती ब्लू प्रिंट भी केंद्र को नहीं भेजा जा सका है। स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन जनरल कंसलटेंट टाटा के साथ मिलकर पूरी कवायद दोबारा दोहरा रहा है। वहीं इंदौर के राजवाड़ा एरिया की 742 एकड़ जमीन के लिए प्रायवेट कंपनियों से एमओयू हो चुके हैं। कंपनी ने जमीनी सर्वे शुरू कर दिए हैं। जबलपुर के नेपियर टाउन इलाके की 743 एकड़ जमीन पर रिडेवलपमेंट होना है। लीज होल्डर्स को नोटिस थमाकर पुर्नवास भी शुरू हुआ। उज्जैन के महाकाल मिल और रेलवे स्टेशन के पास 1023 एकड़ जमीन पर रेट्रो व रिडेवलपमेंट के लिए पुरानी लीज निरस्त कर आवास और बाजार खाली कराए जा रहे हैं। ग्वालियर के महाराजबाड़ा की 803 एकड़ जमीन को रिडेवलपमेंट होना है। जनरल कंसलटेंट से करार हो चुके हैं। जमीनें खाली हो रही हैं। सतना के ग्रीन फील्ड फार्मूले पर शहर के बाहर 500 एकड़ जमीन को विकसित किया जा रहा है। सागर के कटरा मार्केट और न्यू एरिया इलाके की 908 एकड़ जमीन रिडेवलपमेंट फार्मूले पर विकसित हो रही है। यानी भोपाल को छोड़कर सभी जगह काम तेजी से हो रहा है। शहरी विकास मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो भोपाल स्मार्ट सिटी के प्लान में बदलाब पर केन्द्र सरकार असमंजस में है। सूत्रों की मानें तो इस मामले पर मंत्रालय की साफ राय बनी, कि यदि भोपाल में ऐसा किया गया, तो देश के दूसरे शहरों से भी ऐसी मांगे उठने लगेगी। जो कि पूरे स्मार्ट सिटी प्लान के लिए खतरनाक होगी। अब यह देखना है कि भोपाल को स्मार्ट सिटी बनाने का प्रयास कहां तक पहुंचता है। इन्वेस्टर्स समिट में होगा भोपाल स्मार्ट सिटी का प्रजेंटेशन भले ही नॉर्थ टीटी नगर की 342 एकड़ जमीन पर स्मार्ट सिटी बसाने का मामला फिलहाल पिछड़ा हुआ है, लेकिन अधिकारी इसे इंदौर इन्वेस्टर्स समिट में शोकेस की तर्ज पर प्रजेंट करने की तैयारी कर रहे हैं।  स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन की एक्जीक्टिव डायरेक्टर छवि भारद्वाज कहती हैं कि इंदौर समिट में टीटी नगर प्रोजेक्ट का शोकेस प्रजेंट करने की तैयारी है। इसके जनिए इंवेस्टर्स को प्रोजेक्ट समझाया जाएगा। दरअसल, भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन को अपने प्रोजेक्ट के लिए निवेशकों की तलाश है जिसके लिए इंदौर समिट पर सबकी नजरें गड़ी हुई है। कार्पोरेशन ने भोपाल के जनरल कंसलटेंट टाटा इंजीनियरिंग की टीम लीटर प्रीती इनामदार को शोकेस के जरूरी कंपोनेंट फायनल करने के निर्देश दिए हैं। एरिया बेस्ड डेवलपमेंट फार्मूले वाले इस प्रोजेक्ट पर अब मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा की अध्यक्षता वाली स्टेट लेवल डेवलपमेंट कमेटी ने भी अपनी मुहर लगा दी है। कुल मिलाकर इस प्रोजेक्ट में साइट बदलने के बाद राज्य सरकार ने अपनी सभी कार्रवाई पूरी कर ली हैं। यदि केंद्र की मंजूरी मिली (जिसे नगर निगम तय मानकर आगे बढ़ रहा है) तो जमीन खाली कराने की कार्रवाई शुरू की जा सकती है। -अक्स ब्यूरो
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