17-Sep-2016 07:44 AM
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मध्य प्रदेश की राजधानी में स्लाटर हाउस को लेकर मचे बवाल के बीच यह तय हो गया है कि भोपाल से मीट निर्यात नहीं होगा। हालांकि इसकी अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन जिस तरह से हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा, भोपाल मध्य के विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह और बैरसिया विधायक विष्णु खत्री के बाद महापौर आलोक शर्मा ने रुख अपनाया है उससे यह संभावना जग रही है कि भोपाल में नया स्लाटर हाउस बनाने का मामला टल जाएगा।
उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने जिंसी क्षेत्र में स्थित स्लाटर हाउस को शहर से बाहर करने के आदेश दिए थे। इसकी जमीन पर विवाद चल रहा है। इसके लिए शासन ने पहले हुजूर विधानसभा क्षेत्र के मुगालिया कोट और फिर मध्य विधानसभा क्षेत्र मे स्टड फार्म को निर्धारित किया था, लेकिन विरोध होने के बाद अब बैरसिया में जगह खोजी जा रही है। लेकिन बैरसिया विधायक विष्णु खत्री भी विरोध में मैदान में उतर गए हैं। उन्होंने कहा है कि मैं अपने क्षेत्र में किसी भी हाल में स्लाटर हाउस नहीं खुलने दूंगा। दरअसल स्लाटर हाउस को प्राइवेट कंपनी को देने का भी विरोध चल रहा है, क्योंकि यह कंपनी मांस निर्यात करेगी। उधर महापौर आलोक शर्मा ने भी इसमें आखिरी कील ठोक दी है। दरअसल विभाग ने एमआईसी में स्लाटर हाउस निजी कंपनी को देने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे महापौर ने एमआईसी में शामिल नहीं किया।
बताया जा रहा है कि भोपाल में स्लाटर हाउस का विरोध इसलिए हो रहा है कि उससे आसपास का क्षेत्र तो दूषित होता ही हैं। स्लाटर हाउस में 1200 पशुओं के कत्ल का प्रावधान है। कहा जा रहा है कि इस अत्याधुनिक स्लॉटर हाउस में जानवरों के खून, चमड़े और अन्य अंगों को अलग-अलग करके सभी का उपयोग होगा। निगम के मुताबिक नए स्लॉटर हाउस से मांस को निर्यात किया जाएगा जिससे निगम को राजस्व मिलेगा लेकिन अधिकारियों के इस तर्क का खुद महापौर आलोक शर्मा ने विरोध किया है। मेयर ने यहां तक कह दिया कि उनके मेयर रहते वो इस स्लॉटर हाउस को नहीं बनने देंगे। वहीं स्लॉटर हाउस के विरोध की दूसरी वजह है जिले के विधायक भाजपा राज में मांस के सबसे अधिक निर्यात के कलंक से भोपाल को बचाए रखना चाहते हैं। अभी हाल ही में एक आरटीआई में यह खुलासा हुआ है कि मांसाहार को भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताने वाली भाजपा के शासन वाले राज्यों में सबसे ज्यादा स्लॉटर हाउस हैं। देश भर में कुल 1623 स्लॉटर हाउस बताए गए हैं जिनमें से 675 तो भाजपा के शासन वाले राज्यों में हैं। अकेले महाराष्ट्र में ही 316 कसाईखाने हैं। वहीं मध्यप्रदेश में 79, छत्तीसगढ़ में 74 और पंजाब में 91 स्लॉटर हैं।
उधर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष और कुरैशी समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे मो. सगीर का कहना है कि शहर के बाहर हो या शहर के अंदर स्लाटर हाउस की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि व्यवसाय से जुड़े लोग बेरोजगार न हों। इस पूरे मामले में सांसद आलोक संजर, मंत्री विश्वास सारंग, विधायक रामेश्वर शर्मा, सुरेन्द्रनाथ सिंह की एक राय है कि शहर के बीच में स्लाटर हाउस न बने। भोपाल मांस की मंडी न बन जाए।
महापौर आलोक शर्मा कहते हैं कि भोपाल से मांस निर्यात किसी भी कीमत पर नहीं होगा। पहले इस संबंध में शहर के सांसद, विधायकों, पार्षदों, रहवासी संगठनों एवं जनता से चर्चा की जाएगी। संशोधन के बाद ही एमआईसी में प्रस्ताव आएगा और बाद में परिषद में सभी 85 पार्षद अपनी राय रखेंगे। इसके बाद ही इसका फैसला होगा। एमआईसी की इच्छा है कि इस मामले में सुप्रीमकोर्ट की गाइड लाइन का पालन हो यानि स्लाटर हाउस शहर से बाहर बने। अभी एनजीटी ने जो आदेश दिया है, उसके तहत स्लाटर हाउस चल रहा है। ऐसे में अपनों के विरोध और इस कार्य में लगे लोगों के रोजगार छिनने के कारण सरकार धर्मसंकट में है।
शहर के बीचों-बीच स्लाटर हाउस बनाना कहां तक उचित है। स्लाटर हाउस जहां भी रहेगा वहां गंदगी फैलेगी। इसलिए उसे शहर से दूर किया जाए।
- सुरेंद्रनाथ सिंह मध्य विधायक
स्लाटर हाउस अगर बनान है तो आबादी से दूर बनाया जाए। जो लोग मांस नहीं खाते वे यह कैसे चाहेंगे
की उनके घर के पास कत्लखाना खुले।
- रामेश्वर शर्मा, हुजूर विधायक
मेरे विधानसभा क्षेत्र में जिस जगह स्लाटर हाउस के लिए जगह तलाशी जा रही है वहां मंदिर है। मैं अपने क्षेत्र में स्लाटर हाउस किसी भी कीमत पर बनने नहीं दूंगा।
-विष्णु खत्री बैरसिया विधायक
-राजेश बोरकर