17-Sep-2016 07:38 AM
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मास्टर से कालेधन के कुबेर बन बैठे त्रिवेदी बंधुओं पर सरकारी शिकंजा कसने लगा है। संभावना जताई जा रही है कि दिसंबर में रिटायर होने वाले राजीव गंाधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष त्रिवेदी पर इससे पहले ही गाज गिर सकती है। बताया जाता है की सीबीआई को भी व्यापमं फर्जीवाड़े में इनके खिलाफ सबूत मिले हैं। इसलिए व्यापमं घोटाले की जांच में जुटी सीबीआई जल्द ही घोटाले की जड़ खंगालने के लिए आरजीपीवी की ओर रुख कर सकती है। उधर, भ्रष्टाचार व अनियमितताओं के आरोप में लोकायुक्त पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। वहीं व्यापमं घोटाले में जेल में बंद पूर्व कंट्रोलर डॉ. पंकज त्रिवेदी की करीब 84 लाख की संपत्ति को राजसात करने को हरी झंडी मिल गई है।
दरअसल, जनवरी 2014 में जब लोकायुक्त ने त्रिवेदी बंधुओं के ठिकानों पर छापामारा था उस समय जब्त दस्तावेजों में यह सबूत मिले थे कि व्यापमं भ्रष्टाचार में पीयूष त्रिवेदी भी लिप्त थे। उसके बाद व्यापमं घोटाले के आरोपी पंकज त्रिवेदी के बड़े भाई और राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति पीयूष त्रिवेदी के खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्ट ऐश्वर्य पांडे ने सीबीआई में शिकायत की थी। पांडे ने सीबीआई को सौंपे दस्तावेजों में पीयूष त्रिवेदी सहित उनके छोटे भाई पंकज त्रिवेदी व इनके परिजनों की संपत्ति का ब्यौरा दिया था। उसके बाद जांच में सीबीआई को ऐसे सबूत मिले हैं जो पीयूष त्रिवेदी पर गाज गिराने के लिए काफी है। सूत्र बताते हैं कि सुधीर शर्मा द्वारा पीयूष का नाम लेने के बाद भी एसटीएफ ने उनसे पूछताछ नहीं की थी। यह भी जांच का विषय है कि व्यापमं की परीक्षाओं मेें फर्जीवाड़ा करने वाले कितने लोग आरजीपीवी के कर्मचारियों से जुड़े हैं।
पंकज के खिलाफ भोपाल में चलेगा केस
पंकज त्रिवेदी के खिलाफ विशेष न्यायालय में चल रहा केस अब भोपाल में चलेगा। 12 सितंबर का केस भोपाल शिफ्ट किया गया है। त्रिवेदी के वकील ने हाईकोर्ट के उस आदेश की सत्यापित कॉपी स्पेशल कोर्ट में पेश की जिसमें केस भोपाल शिफ्ट करने को कहा है। लोकायुक्त ने छह महीने पहले त्रिवेदी के खिलाफ चालान पेश किया था। पिछली सुनवाई पर उनके वकील ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए केस भोपाल शिफ्ट करने की मांग की थी। कोर्ट ने उन्हें सत्यापित कॉपी पेश करने को कहा था। त्रिवेदी व्यापमं घोटाले में लंबे समय से भोपाल जेल में बंद है।
वहीं डॉ. पंकज त्रिवेदी की करीब 84 लाख की संपत्ति को राजसात करने को हरी झंडी मिल गई है। राज्य सरकार की स्वाधिकार समिति की पिछले दिनों हुई बैठक में त्रिवेदी की संपत्ति को राजसात करने का फैसला लेकर मामला कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। लोकायुक्त ने विशेष अधिनियम के तहत संपत्ति को राजसात करने का प्रस्ताव मुख्यालय भेजा था। व्यापमं घोटाले में फंसे डॉ. पंकज त्रिवेदी के यहां जनवरी 2014 में लोकायुक्त की टीम ने आय से अधिक संपत्ति मामले में छापामार कार्रवाई की थी। उसके बाद लोकायुक्त ने चालान पेश करने के साथ ही 84 लाख की संपत्ति राजसात करने का प्रस्ताव पूर्व डीएसपी दौलतसिंह ने भेजा था। जानकारी के अनुसार पंकज त्रिवेदी की जो संपत्ति राजसात होगी उसमें इंदौर के केसरबाग रोड स्थित मकान, भोपाल की प्राकृति आवास कॉलोनी में प्लॉट, डोडी सीहोर में भूमि व बिसनखेड़ी में प्लॉट कुछ नकदी व जेवरात। पिछले कई सालों से मनमानी की पाठशाला चला रहे त्रिवेदी बंधुओं पर नकेल कसता देख राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के कई अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं।
सीबीआई के राडार पर पीयूष त्रिवेदी क्यों...?
कुछ साल पहले तक कॉलेजों में पढ़ाने वाले पंकज और पीयूष त्रिवेदी देखते ही देखते मप्र की शिक्षण व्यवस्था के नीति निर्धारक बन बैठे। इन दोनों भाईयों के रसूख का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है की बिना उचित योग्यता के ही पंकज त्रिवेदी व्यावसायिक परीक्षा मंडल के सर्वेसर्वा बन बैठे, वहीं उनके भाई पीयूष त्रिवेदी राजीव गांधी प्रद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति बन बैठे। दोनों भाईयों ने अपने-अपने संस्थान को भ्रष्टाचारियों का चारागाह बना दिया। सुधीर शर्मा के मेमोरेंडम में पीयूष का नाम है। उसने कबूल किया है कि पीयूष के कारण ही व्यापमं नियंत्रक पंकज त्रिवेदी से उसकी घनिष्ठता बढ़ी। सुधीर खनन कारोबारी बनने से पहले आरजीपीवी में डीन स्टूडेंट वेलफेयर रहा है। आरजीपीवी में रहते हुए दोनों के बीच घनिष्ठता भी जगजाहिर है। पीयूष व्यापमं के पूर्व परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी के बड़े भाई हैं। बताया जाता है कि पीयूष त्रिवेदी के माध्यम से ही पंकज की राजभवन से नजदीकियां बढ़ी थीं। सबसे अहम बात यह कि तमाम आरोपों व आशंका के बावजूद एसटीएफ ने कभी भी पीयूष से पूछताछ नहीं की। पांडे ने सीबीआई को जो दस्तावेज सौंपे हैं उनके मुताबिक पीयूष त्रिवेदी सहित पंकज त्रिवेदी, ईशान, इशिता आदि परिजनों के नाम से भोपाल और इसके आसपास की जमीन हैं। उन्होंने दोनों भाइयों की संपत्ति सहित व्यापमं घोटाले में भूमिका की जांच की मांग की है।
-भोपाल से सुनील सिंह