17-Sep-2016 07:35 AM
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मध्यप्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव का कार्यकाल जितना विवादित रहा उतनी उनकी विदाई। यानी व्यापमं फर्जीवाड़े में नाम आने के बाद वे विवादों में इस कदर घिरे कि उनका स्वास्थ्य निरंतर खराब होता गया। अधिकांश समय उन्होंने अस्पताल में ही गुजारा। और जाते-जाते जब उनका काफिला राजभवन से रवाना हो रहा था उसी समय एनसीपी नेता मनोज त्रिपाठी ने आत्मदाह करने की कोशिश की। आग की लपटों में घिरे मनोज त्रिपाठी को पुलिस ने आग बुझाकर गिरफ्तार कर लिया। मनोज त्रिपाठी मांग कर रहे थे कि राज्यपाल रामनरेश यादव व्यापमं घोटाले के अभियुक्त है और उन्हें फौरन गिरफ्तारी किया जाए।
लेकिन जबसे व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई के हाथ में आई है और सभी आरोपी एक-एक करके जेल से रिहा होते जा रहे हैं उससे यह नहीं लगता है कि यादव के खिलाफ कोई कार्रवाई हो सकती है। लेकिन व्यापमं की जांच कर रही सीबीआई कब क्या कर गुजरे कहा नहीं जा सकता। हालांकि लोग इस बात का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि रामनरेश यादव की वो कहानी कब सामने आएगी। दरअसल राजभवन में रहते अपने जमाने के इस दिग्गज नेता ने भी आत्म कथा लिखने का विकसित होता राजसी शौक पूरा करते अपनी जिंदगी पर एक 200 प्रष्ठ की किताब लिख डाली और नामकरण किया मेरी कहानीÓ जिसमें उनकी राजनातिक जिंदगी का सफरनामा है। कांग्रेस के प्रति आभार है और आडवाणी, चरण सिंह और वीपी सिंह जैसे तत्कालीन कई दिग्गजों का जिक्र ही नहीं हैं। व्यापमं घोटाले में उनकी भूमिका और संलिप्तता का उल्लेख भी नहीं है जिससे यह कहानी बगैर सुंदर काण्ड के रामचरित मानस जैसी होकर रह गई है। हालांकि किताब के 179 वे पृष्ठ पर अपने दो शब्द में उन्होंने लिखा है कि मेरी कहानीÓ को यहीं विराम देता हूं। राज्यपाल बनने के बाद मैंने क्या पाया-क्या खोया का जिक्र मैं अगले संस्करण में करूंगा। लेकिन जिस तरह उनका स्वास्थ्य निरंतर खराब रहता है उससे आशंका की जा रही है कि आखिर उनकी वो कहानी कब पढऩे को मिलेगी जिसमें व्यापमं घोटाले की हकीकत होगी।
ज्ञातव्य है कि मध्यप्रदेश का व्यापमं घोटाला काफी चार्चित रहा है। इसमें आरोप है कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित परीक्षाओं और नौकरियों में पैसे लेकर मनमाने तरीके से उम्मीदवारों की भर्ती हुई। एसटीएफ ने वनरक्षक भर्ती परीक्षा में उन्हें नामजद अभियुक्त बनाया था। राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर रहने की वजह से उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चला। फरवरी 2014 में उनके खिलाफ वनरक्षक भर्ती परीक्षा में एफआईआर दर्ज की गई थी। लेकिन अब संभावना जताई जा रही है कि सीबीआई उनसे पूछताछ कर सकती है।
रामनरेश यादव की कहानी का औपचारिक विमोचन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया जिनकी हर सम्भव कोशिश यह रही थी कि एसटीएफ जांच के दौरान यादव को केन्द्र सरकार हटाए नहीं और न ही उनसे सख्ती से पेश आए। इस कहानी मे यादव ने ईमानदारी से इस बात की तो चर्चा की है कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह उन पर आंख बंद कर भरोसा करते थे पर व्यापमं वाले हिस्से को वे नहीं लिख पाए जबकि इस घोटाले मे फंसे उनके बेटे शैलेश यादव की रहस्यमय मौत हो गई थी और उनका विश्वसनीय ओएसडी धनराज यादव तो भर्तियों के बदले घूस लेने के आरोप मे गिरफ्तार भी हुआ था।
जांच के दौरान यह भी चर्चा थी कि गिरफ्तारी के डर से और पिता की प्रतिष्ठा की खातिर शैलेश यादव ने खुदकुशी कर ली या फिर इस तनाव को बर्दाश्त न कर पाने के कारण उसकी असामयिक मृत्यु हो गई। सच जो भी हो रामनरेश यादव फिलहाल व्यापमं की आग से निकलकर लखनऊ पहुंच गए हैं। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सीबीआई उनसे इस मामले में पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। ताकि कोर्ट की फटकार से पहले ही दस्तावेज तैयार कर लिए जाएं। निश्चित रूप से जब सीबीआई यादव से पूछताछ करने लखनऊ स्थित उनके आवास पर जाएंगी तो वह दिन देश की बड़ी राजनीतिक घटना के रूप में याद किया जाएगा।
सीबीआई के लिए शुरू हुआ परीक्षा का दौर
व्यापमं महाघोटाले की जांच काले सच को परत-दर-परत उधेड़ती जा रही है। इन परतों के पीछे ऐसे-ऐसे चेहरे उजागर हो रहे हैं कि जनता दांतों तले अंगुलियां दबा-दबाकर हैरान हो रही है। इसी जांच के अन्तर्गत रामनरेश यादव के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने समेत कई धाराओं में मामला दर्ज हो गया है। पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और खनन कारोबारी सुधीर शर्मा सहित प्रशासन और पुलिस के कई अफसर पहले ही सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। इतना सब होने के बावजूद माना जा रहा है कि कई बड़े-बड़े नामों की सीबीआई को अभी गहराई से जांच करनी बाकी है। अब रामनरेश यादव के राज्यपाल पद से हटने के बाद सीबीआई के लिए परीक्षा का दौर शुरू हो गया है। देखना यह है कि क्या सीबीआई उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मप्र के राज्यपाल रहे रामनरेश यादव से इस मामले में पूछताछ करने की हिम्मत जुटा पाएंगी। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि तमाम आरोप प्रत्यारोप और एफआईआर के बाद भी यादव अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रहे हैं।
-कुमार राजेंद्र