17-Sep-2016 06:57 AM
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गुजरात विधानसभा का चुनाव महज एक साल दूर है और कांग्रेस ने बीजेपी से नाराज चल रहे पटेलों को अपने पाले में लाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। पिछले साल जुलाई के बाद से राज्य में जारी पटेलों के आंदोलन ने कांग्रेस की उम्मीदों को फिर से जिंदा कर दिया है।
पिछले करीब दो दशक से कांग्रेस गुजरात की सत्ता से बाहर है। वहीं दूसरी तरफ अब बीजेपी को सत्ता विरोधी रुझानों और आंतरिक गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है। हालिया पंचायत चुनाव के परिणाम और आम आदमी पार्टी के उभार ने कांग्रेस की धारणा को बल दिया है कि वह 2017 में बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर सकती है। बढ़ते असंतोष के बीच कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी गुजरात का दौरा कर चुके हैं और इस दौरान वह पटेलों के नेताओं से बंद कमरे में बैठक भी कर चुके हैं। कांग्रेस में पटेलों का चेहरा रहे और गुजरात कांग्रेस के पूर्व प्रेसिडेंट सिद्धार्थ पटेल ने पटेल नेताओं के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की और अहमद पटेल समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में इनकी बैठक हुई।
बैठक के दौरान मौजूद नेताओं को पटेल बहुल जिलों की जिम्मेदारी दी गई और साथ ही उन्हें अगले विधानसभा चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों का नाम तय करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। इन सभी को पटेलों के बीच पार्टी का सदस्यता अभियान चलाने का निर्देश भी दिया गया। इससे पहले कांग्रेस रणनीतिक तौर पर हार्दिक पटेल को समर्थन दे चुकी है। हार्दिक पटेल पाटीदार अनाम आंदोलन समिति के मुखिया हैं और इन्हीं के नेतृत्व में राज्य में पटेलों का आंदोलन चल रहा है। पार्टी ने पंचायत चुनाव के दौरान कई पटेल नेताओं की पत्नियों को टिकट भी दिए।
गुजरात के पूर्व कांग्रेस प्रेेसिडेंट अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि हार्दिक समेत पटेल नेताओं के साथ बातचीत हो रही है। उन्हें उम्मीद है कि वह पंचायत चुनाव के नतीजों को विधानसभा में दोहरा पाएंगे। उन्होंने कहा, स्थानीय चुनाव के नतीजे और बीजेपी के खिलाफ हुआ प्रदर्शन पार्टी कार्यकर्ताओं को उम्मीद दे रहा है कि वह उन्हें हरा सकते हैं। साथ ही आम आदमी पार्टी के उभार ने भी कांग्रेस की उम्मीद को जिंदा कर दिया है। आप बीजेपी के शहरों इलाकों में वोट की कटौती कर सकती है। हालांकि जमीन पर स्थिति ज्यादा जटिल है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो पटेल हमेशा से ही कांग्रेस के विरोधी रहे हैं और उनके पार्टी के साथ आने की संभावना कम ही है। उन्होंने खाम समीकरण का हवाला देते हुए यह बात कही।
80 के दशक में कांग्रेस ने माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में खाम सिद्धांत को आगे बढ़ाया ताकि क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिमों को अपने पाले में लाया जा सके। तब से लेकर आज तक दरकिनार कर दिया गया पटेल समुदाय बीजेपी के साथ है। गुजरात में बीजेपी की जीत के पीछे पटेल सबसे अहम वोट बैंक रहा है। अहमदाबाद से बीजेपी के वरिष्ठ नेता यमल व्यास बताते हैं, पटेल ने इसके बाद कभी भी कांग्रेस से खुद को जोड़कर नहीं देखा और आने वाले दिनों में भी ऐसा होने की संभावना कम ही है। फिर भी कांग्रेस उम्मीद पाले हुए है।
सौराष्ट्र में कांग्रेस को फायदा
कांग्रेस को सौराष्ट्र क्षेत्र में सीटों का फायदा होगा। सौराष्ट्र से 48 विधायक चुनकर आते हैं। व्यास ने कहा, हम यहां कुछ सीट हारेंगे लेकिन फिर भी कांग्रेस सभी सीटें नहीं जीत सकती। लेकिन अगर कांग्रेस ने पटेलों को लुभाने की ज्यादा कोशिश की तो अन्य जातियां उससे नाराज हो जाएंगी, जिन्होंने उसे दो दशकों से अधिक समय से समर्थन दे रखा है।Ó व्यास बताते हैं कि फिलहाल कांग्रेस को नहीं बल्कि आप को चिंतित होने की जरूरत है। आप राज्य के मध्य वर्ग में पैठ बढ़ा रही है। ऐसी स्थिति में अगर शहरी इलाकों में वोटों का बंटवारा होता है तो कांग्रेस को फायदा होगा। वहीं बीजेपी को हर लिहाज से चिंतित होने की जरूरत है। पार्टी शहरी इलाकों में 60 से अधिक सीटें जीतती रही हैं। इन सीटों पर वह 3000 मतों से ज्यादा सीटें जीतने में सफल रही है। दयाल ने कहा, अगर आप शहरी मतों को तोडऩे में सफल रहती है तो निश्चित तौर पर इससे कांग्रेस को फायदा होगा।Ó बीजेपी भी युवाओं के आप की तरफ जाने की संभावनाओं से इनकार नहीं कर रही है। बीजेपी के नेता ने कहा, नई पीढ़ी के युवाओं ने बीजेपी को वोट दिया है लेकिन वह सरकार की कार्यशैली से खुश नहीं है। उन्हें कांग्रेस विकल्प नजर नहीं आता और इनका वोट आम आदमी पार्टी को जाने की संभावना है।Ó इसके अलावा मोदी के गुजरात से बाहर होने के चलते विपक्षी दलों की उम्मीदों को बल मिला है। हालांकि उन्हें लगता है कि बीजेपी हिंदुत्व की नीति को हवा दे सकती है जो जाति और वर्ग की राजनीति को ध्वस्त करने की ताकत रखता है।
-अनूूप ज्योत्सना यादव