16-Apr-2013 09:38 AM
1234796
दक्षिण कोरिया के शासक किम जोंग उन की जिद दुनिया के सबसे खतरनाक युद्ध का कारण बन सकती है। जोंग ने अमेरिका सहित सारे विश्व द्वारा लगाए गए परमाणु परीक्षणों से बौखलाकर युद्ध की

धमकी दे डाली और सीधे अमेरिका को ललकारते हुए कहा है कि वक्त पडऩे पर वे परमाणु युद्ध से भी पीछे नहीं हटेंगे। इस धमकी ने विश्व को परमाणु युद्ध की कगार पर धकेल दिया है। आशंका है कि आने वाले दिनों में उत्तर और दक्षिण कोरिया की सेनाएं एक बार फिर युद्ध के मैदान में पहुंच सकती हैं और उत्तर कोरिया अमेरिका को भी अपने परमाणु निशाने की चपेट में ले सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि कोरिया के पास ऐसी मिसाइलें हैं जिनसे वह अमेरिका तक भी मार कर सकता है। हालांकि जिस तरह के शस्त्रों का परीक्षण कोरिया करता आ रहा है उसे देखते हुए इस बात की आशंका कम ही है। क्योंकि कोरिया ने सीमित दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें तो बड़ी संख्या में जुटा ली हैं, लेकिन अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के मामले में वह फिलहाल इतना शक्तिशाली नहीं है। उधर जापान ने धमकी दी है कि वह उत्तर कोरिया की मिसाइलों को हवा में ही मार गिराएगा। अहम बात यह है कि उत्तर कोरिया परमाणु शस्त्र सम्पन्न मिसाइलें फेकने में सक्षम देश है और जिस तरह की आत्मघाती कार्यवाहियां वह करता आया है उसे देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस देश के सनकी शासक दुनिया को परमाणु युद्ध की कगार पर धकेल सकते हैं। किम जोंग उन की सनक के कारण अमेरिका भी अब उत्तर कोरिया पर कार्रवाई करने से कतराने लगा है। हाल ही में अमेरिका ने अपने ही देश में किए जाने वाले एक मिसाइल परीक्षण को इसी कारण रोक दिया था क्योंकि उसे डर था कि इस परीक्षण को उकसावे की कार्रवाई मानते हुए उत्तर कोरिया युद्ध छेड़ बैठेगा। भुखमरी, बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे उत्तर कोरिया में खाने को रोटियां भले ही न मिले लेकिन दुश्मन की छाती छलनी करने के लिए गोलियां जरूर मिल जाती हंै। इस सिरफिरे देश से अमेरिका ही नहीं बाकी सारी दुनिया भी डरती है। क्योंकि यहां आम जनता के मन में बाकी दुनिया के प्रति नफरत के बीज बो दिए गए हैं। जनता को यह बताया जा रहा है कि परमाणु परीक्षण के बाद उस पर जो प्रतिबंध लगाए गए वे अन्यायपूर्ण थे और इन्हीं प्रतिबंधों के कारण उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था लडख़ड़ा चुकी है। जनता में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि पश्चिमी देश उत्तर कोरिया पर युद्ध थोप रहे हैं और उसकी आर्थिक प्रगति के रास्ते बंद करना चाहते हैं। पिछले लगभग पांच दशक से भयानक भुखमरी और गरीबी के हालात झेलने के बावजूद जनता जोंग और उनके परिवार को ही बार-बार सत्ता सौंप देती है। किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल ने जब सत्ता संभाली थी, तब भी दुनिया हैरान रह गई थी। इसका कारण यह था कि तब किम पर्दे के पीछे रहने वाले एक शातिर नेता समझे जाते थे। किम जोंग इल को 2008 में पक्षाघात हुआ था। बीमारी की हालत में दो साल पहले किम जोंग इल ने मृत्यु से पहले ही किम जोंग उन को अपनी सत्ता सौंप दी थी।
कहा जाता है कि जिस तरह से किम जोंग इल के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी, उसी तरह उनके बेटे और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन के बारे में कोई नहीं जानता। पढ़ाई के लिए जोंग उन विदेश चले गए यानी अपने देश का उन्हें वह अनुभव नहीं, जो उनसे पहले उनके पिता या दादा को था। हालांकि किम जोंग उन अपने दिवंगत पिता के चहेते रहे हैं। किम ने जब सत्ता संभाली तो सबसे पहले अपने चाचा को ताकतवर सैनिक पद पर बिठाया था और उसके बाद अपनी बहन को भी जनरल बना दिया। उनके सत्ता संभालने के साथ ही सवाल उठने लगे थे कि 60 से ज्यादा परमाणु हथियारों से संपन्न उत्तर कोरिया क्या इनको सुरक्षित रख पाएगा और क्या सीमा पर अचानक पैदा हो गए तनाव को झेल पाएगा।
परमाणु हथियारों और पारिवारिक सत्ता के अलावा गरीबी भी उत्तर कोरिया के लिए बड़ी समस्या माना जाता है। अपने जुड़वां देश दक्षिण कोरिया के मुकाबले उत्तर कोरिया का प्रति व्यक्ति आय 17 गुना कम है और पश्चिमी मीडिया के मुताबिक कई घरों में चूल्हा जलाने तक का संसाधन नहीं है।
किम जोंग उन के पिता किंग जोंग इल की गिनती उन कुछ नेताओं में होती है जो तानाशाह होने के बाद भी जनता के बीच लोकप्रिय रहे। कुछ लोग उन्हें आज भी काला जादू का मालिक मानते हैं तो कुछ उन्हें एक रंगीन-मिजाज तानाशाह। अपनी गद्दी और शासन के लिए किंग जोंग ने कुछ ऐसे काम किए कि लोग उनकी मौत के बाद उन्हें सिर्फ नरक का ही उत्तराधिकारी मानते हैं। देश में गरीबी से मर रहे लोग हों या भुखमरी से मर रहे लोग, उन्हें किसी की कोई परवाह नहीं रही। उन्हें अगर किसी की परवाह की तो बस, अपने सैन्य ताकत की।