03-Sep-2016 06:05 AM
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बिहार के गोपालगंज जिले में 17 अगस्त को कथित रूप से जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है। पीडि़त परिवार मृतकों के शराब पीने की बात दोहराने के साथ-साथ घटना के बाद इलाज में लापरवाही बरते जाने का आरोप भी लगा रहे हैं। साथ ही वे ये सवाल भी कर रहे हैं कि पूर्ण शराबबंदी के चार महीने बाद भी इलाके में शराब कैसे मिल रही थी?
बिहार सरकार ने तो शराबबंदी लागू कर दी लेकिन क्या वाकई शराब बंद हुई। देश में बिहार के अलावा गुजरात, और नागालैंड भी ऐसे राज्य हैं जहां पूर्ण शराब बंदी है और फिर महाराष्ट्र में भी विशेष कानून हैं। केरल भी शराबबंदी को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की प्रतिबद्धता जता चुका है। वहां फाइव स्टार होटलों और रेस्तरां में शराब बिक्री पर बैन लग चुका है। लेकिन इन तमाम कानूनों के बावजूद पीने वालों की इच्छा पर कोई लगाम नहीं लगा सका। मदिरा प्रेमियों को तो बस पीने से मतलब होता है। आप लाख कानून बना दीजिए। तरीका वे खुद खोज लेते हैं। बिहार में खुलेआम शराब बिकनी बंद हो गई तो क्या, महफिलें अब भी यहां जमती हैं। पड़ोसी देश नेपाल और फिर दूसरे राज्यों जैसे यूपी और झारखंड से इनकी पूर्ति होने लगी है। पड़ोस के राज्यों से सटे लोग केवल पीने के लिए दो-तीन घंटे के सफर से नहीं हिचकते। यही नहीं, चोरी-छिपे शराब को राज्य में लाने का खेल भी खूब हो रहा है। एक पूरा नेटवर्क तैयार हो गया है जो आपकी डिमांड पूरी कर देगा। आपको बस अपनी जेब ढिली करने की जरूरत है। पीने-पिलाने वाले शौकिन लोगों के घरों में स्टॉक भी जमा है। खत्म हुआ तो दूसरी खेप आ जाएगी। शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार के इरादे पूरी तरह साफ हैं और बेहद सख्त भी। नीतीश का कहना है कि लोगों ने उन्हें सरकार चलाने के लिए वोट दिया है और वो शराबबंदी भी वो लागू करके रहेंगे - चाहे कुछ भी हो जाए। जब नीतीश ने कहा कि कुछ भी हो सकता है। तो इसे उनकी जान पर खतरे के तौर पर भी समझा गया। नीतीश ने संकेत भी दिये थे - शराब माफिया बाज नहीं आएंगे।
नीतीश कुमार संघ मुक्त भारत और शराबमुक्त समाज के मिशन पर हैं, लेकिन गोपालगंज से जो रिपोर्ट आ रही है वो बड़ी ही नहीं, बुरी खबर भी है। गोपालगंज की घटना कोई नयी नहीं है। ऐसी घटनाएं बिहार में आम रही हैं। शराबबंदी लागू होने से पहले इसे लेकर प्रशासन पर कोई अलग दबाव नहीं होता था। मगर, शराबबंदी कानून लागू होने के बाद ऐसी घटना हकीकत का बयान कर रही है।
दरअसल बिहार में शराबबंदी के बाद शराब माफिया तेजी से पैर पसार रहा हैं और प्रदेश में धड़ल्ले से अवैध शराब बनाई जा रही है। आलम यह है कि पुलिस ने प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में चौकसी बिठाई है लेकिन गांवों में और शहरों में शराब बन रही है। जिसको किसी रसूखदार का संरक्षण प्राप्त है। ऐसे में गोपालगंज जैसी घटनाएं तो होनी ही हैं।
थानेदारी पर खतरा
शराबबंदी कानून पर स्टेटस अपडेट तो यही है कि ये थानेदारों की नौकरी पर बन आई है और शराब पीने वालों की जान पर। एक थानेदार ने तीन महीने में शराबबंदी कानून के तहत सिर्फ एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। उसी इलाके से उत्पाद विभाग वालों ने 90 लोगों को गिरफ्तार किया कुछ को शराब पीने के आरोप में तो कइयों को शराब बेचने के इल्जाम में। जिले के कप्तान ने माना कि थानेदार शराबबंदी कानून के अमल में रुचि नहीं दिखा रहा, इसलिए लापरवाही मानते हुए उसे हटा दिया। उसी थाने के एक सहायक दारोगा शराब पीते पकड़े गये, लेकिन पश्चिम बंगाल में। किसी ने वीडियो बना कर भेज दिया और फिर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। ऐसी रोजाना कोई न कोई घटना सामने आ रही है जिससे थानेदारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है।
-कुमार विनोद