03-Sep-2016 07:21 AM
1234820
मप्र विधानसभा ने 24 अगस्त को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) संशोधन विधेयक से संबंधित लाए गए संकल्प को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। सरकार की ओर से विधि एवं विधायी मंत्री रामपाल सिंह ने सदन में संकल्प पत्र को रखा, इस संकल्प पत्र का सत्ता और विपक्ष के विधायकों ने समर्थन किया। कुछ शंकाएं भी बताई, जिस पर वित्त मंत्री जयंत मलैया ने भरोसा दिलाया कि वे इन आशंकाओं को जीएसटी को लेकर बनाई गई समिति के समक्ष रखेंगे। जीएसटी के लागू होने के बाद आम आदमी पर इसका कितना असर पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन सरकार जिस तरह जीएसटी को लेकर तत्पर रही उससे सवाल भी उठा कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि यूपीए शासनकाल में जीएसटी का विरोध करने वाली मप्र सरकार को आखिर अब इसमें ऐसा क्या नजर आने लगा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा ने तो आरोप लगाते हुए कहा कि यह वही भाजपा सरकार है जो यूपीए शासनकाल में जीएसटी को लेकर हमेशा लाल हो जाती थी। उस समय भाजपाई कहते थे कि अगर जीएसटी आया तो जनता मर जाएगी लेकिन अब वे ही इसे लागू कराने के लिए लालायित हैं। निश्चित रूप से कालूखेड़ा का यह आरोप सही है। दरअसल हमारी सरकारें जनता से अधिक अपनी राजनीतिक निष्ठा के लिए काम करती हैं। इसलिए अब जब उसी जीएसटी को केंद्र की भाजपा सरकार ला रही हैं तो वह सभी भाजपाई सरकारों को अच्छी लगनी ही हैं। यही नहीं जब कैबिनेट की बैठक में भी मंत्रियों ने जीएसटी को लेकर आशंका जताई थी तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफतौर पर कह दिया था कि हम हर हाल में जीएसटी लागू करेंगे। हालांकि इस पूरे मामले में कांग्रेस ने अपना बड़प्पन दिखाया। उसने भाजपा सरकार द्वारा लाए गए जीएसटी को लागू करने के लिए अपना समर्थन दिया। साथ ही सुझाव भी दिए। कांग्रेस के अधिकांश विधायकों का मत है कि जीएसटी से कर में एकरूपता आ जाएगी, मगर पेट्रोलियम पदार्थो को इससे बाहर रखने पर सवाल उठाए। साथ ही बीज को जीएसटी में लिए जाने का भी जिक्र किया। साथ ही कहा कि इससे राज्य को क्या लाभ होगा, इस बात का भी आगामी समय में सरकार खुलासा करें। इसके अलावा भाजपा द्वारा कांग्रेस काल में लाए गए जीएसटी का विरोध करने पर सवाल उठाए।
संकल्प प्रस्ताव के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जीएसटी से यह सिद्ध हो गया है कि सभी राजनीतिक दल मतभिन्नता के बावजूद राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर एकमत हैं और एक होकर फैसला करते हैं। देश का राजनीतिक एकीकरण सरदार बल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में हुआ था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऊजार्वान नेतृत्व में देश का आर्थिक एकीकरण हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा भाजपा ने यूपीए गठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान जीएसटी का विरोध नहीं किया। भाजपा का विरोध उसके स्वरूप और कुछ प्रावधानों को लेकर था, जैसे राज्यों को राजस्व का नुकसान। एनडीए की वर्तमान सरकार राज्यों के होने वाले राजस्व नुकसान की पांच साल तक शत प्रतिशत भरपाई करेगी। मुख्यमंत्री ने जीएसटी को निवेश के लिए अच्छा बताते हुए कहा कि इससे निवेश आसान होगा और रोजगार एवं राजस्व बढ़ेगा। इससे भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा। अब राज्य की चिंताएं दूर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि अब कर अपवंचन और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लगाने में मदद मिलेगी। देश एक राष्ट्र एक कर की दिशा में आगे बढ़ेगा। उपभोक्ताओं को भी इससे लाभ होगा। उन्होंने कहा कि अभी तक निवेशक हमेशा प्रश्न करते थे कि जी.एस.टी. कब लागू होगा। जीएसटी आने से निवेश बढ़ेगा और निवेश से रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। प्रभारी नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन ने राज्य के हितों का ध्यान रखने का आग्रह करते हुए कहा कि कर की दर 18 प्रतिशत से ज्यादा न हो। राजस्व घाटे की पूर्ति के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए। कांग्रेस विधायकों ने पेट्रोल-डीजल को भी इसके दायरे में लाने का आग्रह किया। यह सुझाव भी आया कि विधायकों की एक समिति बनाकर उसके सुझाव लिए जाएं। अब देखना है कि विधानसभा में जीएसटी को मंजूरी मिलने के बाद जब यह अप्रैल 2017 में लागू होगा तो इसका जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएंगा।
जीएसटी काउंसिल दंतविहीन शेर न बन जाए
जीएसटी संकल्प पर चर्चा की शुरुआत करते हुए विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह ने आशंका जताई कि जीएसटी काउंसिल कहीं दंतविहीन शेर न बन जाए। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल को संवैधानिक दर्जा देना चाहिए और उसकी सिफारिशें मानना राज्यों के लिए जरूरी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 160 देशों में ऐसी कर प्रणाली लागू है। इस विधेयक को यहां तक पहुंचने में 10 साल लग गए और अभी इसे थोड़ा सफर और तय करना है। सिंह ने अनुरोध किया कि 2018 तक इसे लागू कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि इससे नौ से 10 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होगी और विकास दर में डेढ़ प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने कहा कि किसान को जीएसटी का टैक्स देना पड़ेगा तो वह उस पर एक बोझ रहेगा। नई कर व्यवस्था में पशु-पालन की स्थिति स्पष्ट नहीं है। यानी डेयरी प्रोडक्ट महंगे हो जाएंगे। उन्होंने कहा प्रदेश में वैट के चार स्लैब हैं। इनमें पहले और दूसरे शेड्यूल में फल और सब्जी है, पशुपालन से संबंधित और भी कई वस्तुएं हैं, जिन पर अभी जीरो प्रतिशत वेट है। क्या जीएसटी में भी इन वस्तुओं पर छूट रहेगी।
-भोपाल से अजयधीर