03-Sep-2016 07:18 AM
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अमेरिका के दोनों ही राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति पद के लिए अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पहले रिपब्लिकन पार्टी ने डोनाल्ड ट्रंप को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की और अब डेमोक्रेटिक पार्टी ने हिलेरी क्लिंटन को उम्मीदवार बनाया है। हिलेरी को उम्मीदवार बनने के लिए अपनी ही पार्टी में काफी संघर्ष करना पड़ा है। खासतौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी में उन्हें बर्नी सैंडर्स ने कड़ी प्रतिस्पर्धा दी। लेकिन, अब सैंडर्स ने भी कह दिया है कि वे पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हिलेरी को समर्थन देंगे।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिहाज से यह बहुत ही अच्छा उदाहरण है लेकिन हिलेरी के लिए यह सरल नहीं होगा कि सैंडर्स के समर्थकों को अपने साथ मिला पाएं। सैंडर्स के समर्थकों में हिलेरी के प्रति काफी गुस्सा रहा है और वे उनके विरुद्ध प्रचार भी करते रहे हैं। उनके लिए अचानक मन को बदल पाना बेहद कठिन होगा। हिलेरी यदि राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतना चाहती हैं तो उनके लिए सैंडर्स के समर्थकों की नाराजगी को दूर कर अपने पक्ष में लाना बहुत ही अहम होगा।
यद्यपि यह बीती हुई बात है लेकिन अहम है कि निवर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा की उम्मीदवारी के समय डेमोक्रेटिक पार्टी के सामने उम्मीदवार चयन के लिए दो बड़े मुद्दे थे, महिला उम्मीदवार और नस्लभेद। तब पार्टी ने इस मामले में नस्लभेद के मुद्दे को वरीयता दी और महिला उम्मीदवारी की बात दब गई। अब एक बार फिर राष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान यह मुद्दा बना है। अब तक कई लोकतांत्रिक देशों में महिलाओं को देश का नेतृत्व करने का अवसर मिला है लेकिन आश्चर्यजनक रूप से अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देश में अब तक कोई महिला राष्ट्रपति नहीं बनी है। हिलेरी क्लिटंन की उम्मीदवारी से यह आस फिर से जगी है।
अमेरिका में इसी साल नवंबर में चुनाव होंगे। तब तक हिलेरी और उनके विपक्षी उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के पास तीन महीने से कुछ अधिक समय होगा, अपनी बात को रखने का। दोनों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है अपनी-अपनी पार्टी के समर्थकों को अपने साथ बनाए रखना। दोनों ने अब तक अपनी पार्टी में अपने समर्थन के लिए जो कुछ कहा है, उसे ध्यान में रखते हुए लोगों को अपने लिए एकजुट करना होगा। जिस तरह की चुनाव प्रणाली अमेरिका में है, उसमें पता नहीं चलता कि किस पार्टी के समर्थक ने किसे वोट दिया है। दोनों ही चाहेंगे कि उनकी पार्टी के सदस्य पार्टी लाइन से हटकर वोट न दें, उन्हें पाला बदलने का मौका न मिले।
अब चूंकि मैदान साफ हो गया है तो अगले तीन महीनों के दौरान व्यक्तित्व और मुद्दों पर राय और प्रचार देखने को मिलेगा। दोनों ही उम्मीदवारों के अलग-अलग व्यक्तित्व हैं। ट्रंप उद्यमी हैं और अमेरिका का पुराना वैभव लौटाने की बात कहते हुए राष्ट्रवाद की हिमायत करते हैं तो हिलेरी क्लिंटन पति बिल क्लिंटन के राष्ट्रपति कार्यकाल में देश की प्रथम महिला रह चुकी हैं। इसके अलावा डेमोक्रेटिक पार्टी में लंबे समय से सक्रिय रही हैं। वे सीनेटर रही हैं और ओबामा के कार्यकाल के दौरान उन्हें विदेश मंत्रालय में काम करने का भी अनुभव है। और सबसे बड़ी बात वे महिला हैं और पहली बार कोई महिला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार है।
क्लिंटन अपनी इन सारी विशेषताओं के साथ चुनाव मैदान में होंगी तो विपक्षी खेमा यह बताने की कोशिश करेगा कि इन सारी बातों से कुछ खास असर नहीं पड़ता क्योंकि राष्ट्रपति का चुनाव बिल्कुल अलग मामला है। अब मुकाबला होगा अमेरिका की अर्थव्यवस्था को लेकर क्लिंटन और ट्रंप के विचारों के बीच। मुकाबला होगा पर्यावरण की चिंता को लेकर। इसके अलावा अमेरिका में बाहर से आकर बस गए लोगों के भविष्य पर दोनों की राय भी बड़ा मुद्दा बनने वाली है।
जहां तक ट्रंप की बात है तो इस मामले में अब तक उनका रुख बहुत कड़ा रहा है। वे अमेरिका में गैरकानूनी तौर पर बाहर से आए लोगों को हटाने के पक्षधर हैं और मैक्सिको सीमा पर फिलिस्तीन जैसी दीवार खड़ी कर देने की बात करते हैं। इसके विपरीत डेमोक्रेटिक पार्टी और हिलेरी क्लिंटन दीर्घकालीन नीति बनाने की पक्षधर हैं। दरअसल मुद्दे तो कई हैं और उन्हें लेकर दृष्किोण भी तमाम हैं। सच्चाई यह है कि जिस तरह से घटनाक्रम करवट लेते हैं उसी तरह से लोगों की राय भी बदलती रहती है। अब देखना यह है कि दिसंबर में अमेरिकी किसे अपना नीति निर्धारक चुनते हैं।
सारी हदे पार
अमेरिका में इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह के नजारे देखने को मिल रहे हैं वैसे पहले कभी नहीं दिखे। इस बार जहां रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अपने उग्र स्वभाव और बेबाकी के लिए विवादों में पड़ते रहे हैं। वहीं अमेरिका में उनकी नंगी तस्वीर का मामला भी गर्माया हुआ है। ट्रंप डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन पर अनाप शनाप आरोप लगाकर चुनाव को आक्रामक बनाए हुए हैं। जानकारों का कहना है कि अमेरिका में इस बार राष्ट्रपति चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हो जाए तो समझना होगा कि सब कुछ सही हो गया।
द्यआर.के. बिन्नानी