03-Sep-2016 07:11 AM
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राजधानी भोपाल में शांति समिति की बैठक में अशांति का जो माहौल बना उसको लेकर शहर में तरह-तरह की अफवाहें फैल रही है। इन अफवाहों के बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि जब कलेक्टर निशांत बरवड़े ने शांति की बैठक में प्रमोद नेमा को नहीं बुलाने का निर्देश दिया था फिर नेमा उस बैठक में कैसे शामिल हो गए। दरअसल नेमा का दावा है कि उन्हें बुलावा पत्र भेजा गया था। जो कर्मचारी बुलावा पत्र लेकर गया था उसने पावती पर मेरी भतीजी से हस्ताक्षर भी करवाया है। फिर ऐसी क्या वजह है कि बैठक के बीचों-बीच कलेक्टर ने नेमा की उपस्थिति पर सवाल खड़े कर दिए।
सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शारदा विहार में 24-25 अगस्त को हुई बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में संघ से जुड़े कार्यकर्ताओं द्वारा ब्यूराक्रेसी के भ्रष्ट आचरण और मनमानी करने का मुद्दा उठाया है तब से ही संघ के लोग अब अधिकारियों की आंख की किरकिरी बने हुए हैं। इसी का असर है कि भोपाल की शांति समिति की बैठक में कलेक्टर निशांत बरवड़े की साजिश पर एडीएम रत्नाकर झा बैठक में संघ के कार्यकर्ता प्रमोद नेमा से भिड़ गए। इस पर हिन्दू उत्सव समिति के अध्यक्ष कैलाश बेगवानी सहित शांति समिति के सदस्यों ने जब आपत्ति व्यक्त की तो उन्हें भी अपमानित होना पड़ा, यहां तक कि एडीएम रत्नाकर झा और प्रमोद नेमा के साथियों के बीच झूमा झटकी की नौबत आ गई। तब एसपी शहर अरविंद सक्सेना और एसपी दक्षिण भोपाल अंशुमान सिंह ने आगे आकर बीच बचाव किया।
दरअसल बताया जाता है कि कलेक्टर ने एडीएम को मना किया था कि वे इस बैठक में प्रमोद नेमा को न बुलाए। फिर भी नेमा के पास बुलावा पत्र कैसे पहुंच गया। इसको लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि कलेक्टर की मनाही के बाद अधिकारियों ने उन्हें भूलवश बुलावा पत्र भेज दिया। खैर जो भी हो बैठक में जिस तरह कलेक्टर ने नेमा से पूछा कि आप कौन हो यह भी अचरज की बात है।
क्योंकि नेमा पिछले 22 साल से निरंतर शांति समिति की बैठकों में शामिल हो रहे हैं। यही नहीं वर्तमान कलेक्टर के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में हुई 13 बैठकों में भी वे लगातार शामिल हो रहे हैं। साथ ही जिस गौ पालन समिति के अध्यक्ष कलेक्टर हैं उसी के उपाध्यक्ष नेमा भी हैं। नेमा का कहना है कि गौ संवर्धन बोर्ड की बैठक में होने वाले निर्णयों के बाद कलेक्टर हमारी सहमति पर मुहर लगाते हैं। हमारी सहमति के बाद ही कलेक्टर ने अपने कार्यकाल में करीब 3 करोड़ रुपए गौ शालाओं के लिए दिए हैं। जिनका वितरण मैंने किया है। ऐसे में मैं भी अचरज में हूं कि कलेक्टर ने बैठक में यह सवाल कैसे पूछ लिया कि आप कौन है? यानी कलेक्टर नेमा को अच्छी तरह जानते हैं। इसका मतलब किसी साजिश के तहत कलेक्टर ने नेमा को निशाना बनाया है। अब देखने है कि यह विवाद कहा तक पहुंचता है।
अब ज्ञापनों का दौर शुरू
इस घटना के बाद अब शहर में ज्ञापनों का दौर शुरू हो गया है। कुछ लोग कलेक्टर के पक्ष में खड़े होकर शांति समिति का पुनर्गठन करने की मांग कर रहे हैं तो कुछ यह सिद्ध करने में लग गए हैं कि नेमा शहर के बड़े सामाजिक कार्यकर्ता हैं। शहर में चल रहे इस घमासान को लेकर ऊपर तौर पर सब मौन हैं लेकिन अंदर ही अंदर तलवारे खिंची जा रही हैं।
-भोपाल से राजेश बोरकर