अब तो विभाग की गोपनीयता भी तार-तार
03-Sep-2016 07:08 AM 1234804
वाणिज्यिक कर विभाग में व्यापारियों के साथ मिलकर सरकार को तो चपत लगाई ही जा रही है, साथ ही विभाग की गोपनीयता भी उजागर की जा रही है। अभी हाल ही में विभाग के प्रमुख सचिव ने विभागीय अधिकारियों के स्थानांतरण की सूची फाइनल की थी, लेकिन विभाग के एक उप सचिव ने उसे सार्वजनिक कर दी। बताया जाता है कि विभागीय प्रमुख सचिव ने विभाग में चल रही भर्राशाही को दूर करने के लिए विभाग में फेरबदल के लिए सूची तैयार की थी। इस सूची में अधिकारियों की योग्यता, कार्यक्षमता और कार्यकुशलता को देखते हुए उन्हें स्थानांतरित किया गया था। इस सूची को फाइनल करने के बाद प्रमुख सचिव ने उसे एक लिफाफे में पैक कर मंत्रालय के अपने कक्ष में टेबिल के ड्रॉज में रखा था। लेकिन अगले दिन जब वे अपने कक्ष में पहुंचे तो यह देखकर हैरान रह गए कि उक्त लिफाफा खुला हुआ है। मामला विभागीय गोपनीयता का था इसलिए पीएस ने सबको तलब किया और कहा यह बहुत गलत हुआ है। यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पीएस को गुस्से में देख एक उप सचिव ने उन्हीं से पूछ लिया कि आखिर इस लिफाफे को किसने खोला होगा। पीएस ने तपाक से कहा यह उसी ने खोली है जो उस समय वहां उपस्थित था। इस पर उक्त उप सचिव ने कहा साहब उस समय तो मैं ही वहां था। इस पर पीएस ने कहा तो समझ जाओ किस ने इसे खोला होगा। एक तरफ जहां प्रमुख सचिव इतनी मेहनत करके लाखों रुपए की कर चोरी पकड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विभाग में इस तरह की लापरवाही बरती जा रही है। ज्ञातव्य है कि वर्षों बाद प्रमुख सचिव के नेतृत्व में इन दिनों प्रदेशभर में टैक्स चोरी करने वाले व्यापारियों के यहां छापेमारी चल रही है जिससे विभाग को राजस्व के रूप में मोटी रकम मिल रही है। अफसर से तंग व्यापारी वाणिज्यिक कर विभाग में भले ही उसके मुखिया सख्त और ईमानदार हैं, लेकिन उनके मातहत बेलगाम हैं। भ्रष्टाचार में डूबे मैदानी अफसरों की कारस्तानी से व्यापारी भी परेशान हैं। दूरदराज की स्थिति क्या होगी यह आप इसी से अंदाज लगा सकते हैं कि राजधानी भोपाल में ही एक रंगीन मिजाज सहायक आयुक्त की करतूतों से व्यापारी तंग हो गए हैं। बताया जाता है कि भोपाल वृत्त 5 में पदस्थ ये साहेबान व्यापारियों को फार्म-49 देने में तरह-तरह के व्यवधान खड़ा करते हैं। यही नहीं इनकी वकीलों से भी नहीं पटती है। कई बार इन्होंने वकीलों को भी अपशब्द कहे हैं। बताया जाता है कि सहायक आयुक्त अपने स्टॉफ के साथ भी लगातार दुव्र्यवहार करते रहते हैं। इस कारण विभाग में भी इनको लेकर असंतोष है। एक बड़े कमर्शियल क्षेत्र की जिम्मेदारी संभालने वाले इन सहायक आयुक्त की कार्यप्रणाली से महिलाएं भी त्रस्त हैं। नाम न छापने की शर्त पर महिलाओं ने बताया कि वे विभाग में पदस्थ महिलाओं के साथ ये बराबर गलत व्यवहार करते रहते हैं। इसको लेकर महिलाओं ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से भी शिकायत की है।   सूत्रों का कहना है कि इन्होंने एक महिला सहायक आयुक्त से भी मर्यादा लांघ कर बदतमीजी की है। यानी ये सहायक आयुक्त व्यापारियों, वकीलों और महिलाओं को लगातार सता रहे हैं, लेकिन इनके खिलाफ विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इससे इनके हौंसले दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं। बताया जाता है कि बड़ा व्यापारिक क्षेत्र मिलने के कारण इनकी कमाई भी अनाप-शनाप है। इसके मद में ये मदहोश हैं। इन सहायक आयुक्त की कार्यप्रणाली को लेकर व्यापारियों में भी असंतोष फैल रहा है जो कभी भी आक्रामक रूप ले सकता है। इसलिए ऐसे अधिकारी पर नकेल कसने की सख्त जरूरत है। पेपटेक पीएस की शरण में 10 करोड़ रुपए की पेनाल्टी न देने के लिए पेपटेक हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड रोज नए दांव चल रही हैं। हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद अब कंपनी के कर्ताधर्ता वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव के चक्कर लगा रहे हैं। ताकि उन्हें राहत मिल सके। लेकिन प्रमुख सचिव कहां पिघलने वाले हैं। और डूब गए विभाग के एक करोड़ तीस लाख एक लाख 15 सौ करोड़ के कर्ज में डूबे मध्यप्रदेश को टैक्स के एक-एक रूपए की जरूरत है ताकि वह कर्ज के बढ़ते दबाव से बच सके। लेकिन जिस विभाग के पास व्यापारियों से टैक्स वसूलने और टैक्स न देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करके पेनाल्टी वसूलने की जिम्मेदारी है उसी वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों के कारण हर साल करोड़ों रुपए की चपतसरकार को लग रही है। ऐसी ही चपत अभी हाल ही में आशा कंफेक्शनरी इंदौर से लगी है। छापे के दौरान बड़ी टैक्स चोरी का खुलासा हुआ था। क्योंकि कंपनी के पास छापे के  दौरान एक्सेस स्टॉक निकला था। नियमानुसार इस स्टॉक को जब्त करना था। इससे विभाग को एक करोड़ तीस लाख रुपए का लाभ होता। अगर कंपनी इसकी कंपाउंगिंग कराती तो भी 68 लाख रुपए मिलते। लेकिन विभागीय अधिकारियों की नाफरमानी के कारण सरकार को बड़ी रकम मिलते -मिलते रह गई। -इंदौर से विशाल गर्ग
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