चुनावी जमावट
03-Sep-2016 06:59 AM 1234793
मप्र में आगामी विधानसभा चुनाव 2018 में होने हैं। लेकिन सरकार अभी से चुनाव मोड में आ गई है। इसलिए सरकार चुनावी बिसात बिछाने लगी है। इसी कड़ी में आईएएस अफसरों की जमावट की जा रही है। अगस्त माह में ही सरकार ने दो किश्तों में 57 आईएएस अफसरों को इधर से उधर किया है। पहली किस्त में 33 और दूसरी किस्त में 24 अधिकारियों का तबादला किया गया।  तबादले की सूची देखकर भले ही तरह-तरह की बातें की जा रही हैं लेकिन सरकार ने संतुलन बनाने की काफी कोशिश की है। राज्य शासन द्वारा 22 अगस्त को की गई पहली प्रशासनिक सर्जरी में सबसे ज्यादा धक्का प्रमोटी आईएएस अफसरों को लगा है। ये वे अफसर हैं जो किसी न किसी जिले में कलेक्टर रह चुके हैं और वर्तमान में मंत्रालय या फिर कहीं और लूप लाइन में पदस्थ हैं। इन अधिकारियों को संभागीय आयुक्त कार्यालय में अपर कमिश्नर बना दिया है। उधर अपर कमिश्नर के पद पर पदस्थ करके राज्य शासन ने संकेत दिये हैं कि संभागीय मुख्यालयों में बढ़ रहे काम के बोझ को कम करने में नये अपर कमिश्नर सफल होंगे। संभागीय मुख्यालयों में अब सभी अपर कमिश्नर आईएएस अफसर होंगे। संभागों में पदस्थ किए गए अपर कमिश्नर किसी न किसी जिले की कलेक्टरी कर चुके हैं। ऐसे अफसरों को उम्मीद थी कि उन्हें एक बार फिर कलेक्टरी का सुख मिलेगा, पर ऐसा नहीं हो सका। रीवा संभाग के अपर आयुक्त केपी राही काफी उम्मीद लगाये हुए थे पर उनका उसी पद पर जबलपुर तबादला कर दिया गया। अनूपपुर जिले से मंत्रालय बुलाये गये नरेन्द्र सिंह परमार को भोपाल संभाग, मधुकर आग्नेय को रीवा, डॉ.अशोक कुमार भार्गव को उज्जैन, आनंद शर्मा को इंदौर, डीडी अग्रवाल को ग्वालियर, राजाभैया प्रजापति को चंबल संभाग और रवीन्द्र कुमार मिश्रा को नर्मदापुरम संभाग का अपर आयुक्त पदस्थ किया गया है। कलेक्टर बनने की आस लगाकर बैठे एनपी डेहरिया, भगत सिंह कुलेश, सभाजीत यादव और आशकृत तिवारी को संभागीय मुख्यालय से मंत्रालय बुला लिया गया है। वहीं 27 अगस्त को दूसरी सूची में सरकार ने दो दर्जन अफसरों में तेरह जिलों के कलेक्टर बदल दिए हैं। इनमें से सिर्फ चार अफसर ही ऐसे रहे हैं, जिन्हें सरकार ने फिर दूसरे जिलों का कलेक्टर बनाकर उन पर भरोसा जताया है। इनमें आयरिन सिंथिया जेपी को बुरहानपुर से पन्ना, एसएनएस चौहान कलेक्टर पन्ना को बाढ़ के हालात के बाद सिंगरौली शिफ्ट कर दिया गया है। वहीं भोंडवे संकेत शांताराम को होशंगाबाद से उज्जैन और शशांक मिश्रा को सिंगरौली से बैतूल जिले की कमान सौंपी गई है। हालांकि इस सूची में शामिल आधा दर्जन कलेक्टरों को तो सिर्फ इसलिए हटाना पड़ा क्योंकि उनकी सीनियरिटी सचिव पद के बराबर हो गई थी। वैसे भी सचिव स्तर पर पदोन्नत होने के बाद तो कलेक्टरी छोडऩी ही पड़ती है। लिहाजा कियावत हटे, लेकिन बाकी पांच अपर सचिव स्तर पर पदोन्नत होने के बाद भी कलेक्टरी कर सकते थे, लेकिन सरकार ने मौका नहीं दिया। अब बदले समीकरणों में एमबी ओझा, छतरपुर में रिकार्ड कलेक्टरी करने वाले मसूद अख्तर, ज्ञानेश्वर बी पाटिल, राजीव चंद्र दुबे, अरूण कुमार तोमर और प्रमोद कुमार गुप्ता के कलेक्टरी के दिन लगभग समाप्त हो गए हैं। माना जा रहा है कि देर सबेर अरुण पाण्डेय की पदस्थापना पर विचार किया जा सकता है। वहीं ओझा का मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ किया जा सकता है। आईपीएस के तबादले रुके प्रदेश में आईपीएस अधिकारियों के तबादले की सूची तो फाइनल हो गई है, लेकिन उसे अभी रोक दिया गया है। उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ स्तर पर भोपाल, इंदौर, उज्जैन के आईजी बदले जाने हैं। वहीं उज्जैन के डीआईजी को भी बदलना है। वैसे तो सागर के आईजी को भी बदलना है, लेकिन वहां आरआर वाले आईपीएस जाने को तैयार नहीं हैं। वहीं संभावना जताई जा रही है कि अनिल कुमार एडीजी गुप्तवार्ता हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो सारे तबादले उन्हीं के अनुसार होंगे। लेकिन अभी ईद और गणेश उत्सव जैसे महत्वपूर्ण त्यौहारों को देखते हुए आईपीएस की सूची रोक दी गई है। जेएस माथुर हो सकते हैं प्रदेश के नए सीएस मप्र के मुख्य सचिव एंटोनी डिसा 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में प्रदेश का आगामी मुख्य सचिव कौन होगा इसको लेकर चर्चाएं जोरों पर है। वैसे तो मुख्य सचिव के लिए कई अधिकारी दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि 1982 बैच के आईएएस अफसर जेएस माथुर अगले मुख्य सचिव बन सकते हैं। माथुर पिछले सात साल से केंद्र में पदस्थ हैं और वर्तमान समय में सचिव पंचायती राज हैं। यह संभावना इसलिए बलवती हो गई है क्योंकि 19 अगस्त को माथुर ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। लगभग दस मिनट तक उनकी मुख्यमंत्री से बातचीत हुई। परंपरानुसार 15 अक्टूबर तक डिसा के उत्तराधिकारी की घोषणा हो जाएगी। इस कारण नए मुख्य सचिव की खोज शुरू हो गई है। दावेदारों में पीडी मीणा और अरुणा शर्मा के बाद वरिष्ठता में जेएस माथुर का नंबर आता है। ऐसी स्थिति में यदि माथुर प्रदेश लौटते हैं तो मुख्यसचिव के प्रबल दावेदार होंगे। पिता के बाद बेटा भी संभागीय आयुक्त मुख्यमंत्री के भरोसेमंद अफसरों में शुमार अजातशत्रु श्रीवास्तव भोपाल संभाग के आयुक्त बनाए गए हैं। यह संयोग है कि अजातशत्रु के पिता आरबी लाल भी भोपाल के संभागीय आयुक्त रह चुके हैं। भोपाल संभाग का आयुक्त बनना किसी भी अधिकारी के लिए गर्व की बात होती है। -कुमार राजेंद्र
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^