03-Sep-2016 06:39 AM
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जिस प्रदेश को रिकार्ड अनाज उत्पादन के मामले में चार बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला हो वहां के निवासियों को खाने के लिए सड़ा अनाज दिया जा रहा है। अधिकारियों की मिलीभगत से अनाज की कालाबाजारी के इस धंधे के उजागर होने के बाद प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में हड़कंप मचा हुआ है। जिन जिलों में ऐसा हुआ है वहां जांच के आदेश दिए गए हैं।
अतिवृष्टि से प्रदेश के कई जिलों में आई बाढ़ के बाद अब गरीबों को सरकारी राशन दुकानों से गीला और सड़ा गेहूं वितरित किया जा रहा है। ऐसा ही मामला सबसे पहले सतना जिले के रामनगर तहसील की सेवा सहकारी समिति इटमा में सामने आया है। फफूंद लगा राशन पाते ही गांव के लोग भड़क गए। आनन-फानन में इसकी सूचना तहसीलदार को दी गई। तहसीलदार के पहुंचने के पहले तक सेल्समैन एक दर्जन के लगभग लोगों को यही घटिया खाद्यान्न बांट चुका था। तहसीलदार आरएस जांगड़े मौके पर पहुंचे तो उन्होंने सेल्समैन को जमकर फटकार लगाई और घटिया खाद्यान्न वापस करवा कर लोगों को सही आनाज बंटवाया। साथ ही इसे जब्त कर नष्ट करने के निर्देश दिए।
लोगों ने बताया, कोटेदार द्वारा समय पर खाद्यान्न का वितरण किया नहीं जाता है। अब जब ज्यादातर खाद्यान्न भींग गया है तो अपना नुकसान बचाने गरीबों को जबरिया घटिया और गीला खाद्यान्न बांटा जा रहा है। मनकहरी निवासी राजकुमार कुशवाहा ने बताया कि उनके यहां खाने को दाना तक नहीं है। मजबूरी में यहां से यही खाद्यान्न लेना पड़ रहा है। सही खाद्यान्न देने को बोलने के बाद भी गीला सड़ा खाद्यान्न दिया गया है। पंडित रामकिशोर शर्मा ने भी बताया कि कोटेदार द्वारा उस बोरी से खाद्यान्न दिया जा रहा है जिसमें गेहूं से अंकुरण हो चुका है। इस गेहूं का काफी हिस्से में डल्ले बन गये हैं और फफूंद भी लगी है। लेकिन उन डल्लों को अलग करके गीला गेहूं बेच रहे हैं। ऐसा गेहूं तो जानवर भी नहीं खाते लेकिन मजबूरी में इसे लेना पड़ रहा है।
यही नहीं एक केन्द्रीय और एक प्रदेश सरकार के मंत्री वाले जिले डिंडोरी के लोगों को भी सड़ा अनाज खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। इस जिले से केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री फग्गन सिह कुलस्ते। जिनके संसदीय क्षेत्र का हाल भी खस्ताहाल है जहां लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए चार पाई का सहारा लेना पड़ता है। वहीं प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे का गृह जिला होने के वावजूद डिंडोरी के सरकारी राशन दुकानों से घटिया और सड़ा हुआ गेंहू और चावल दिया जा रहा है और यहां के ग्रामीण इस राशन को लेने को मजबूर है।
पर हद तो तब हो गई जब गीधा ग्राम की राशन दुकान में लोगों ने सड़ा हुआ चावल व गेहंू देखा और ग्रामीणों का सब्र मानो टूट गया। ग्रामीणों ने राशन दुकान में पहले तो हंगामा किया और फिर 100 डायल कर पुलिस बुला ली। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर लोगों को समझाया और खराब व सड़े राशन को वापस कराया। वहीं दूसरी तरफ एफसीआई गोदाम के कर्मचारी राजेंद्र की माने तो राशन देख कर लोड किया जाता है और दो गाडिय़ा सिवनी से आई है जिनको चेक करके रखा जा रहा है। जिसमें कुछ राशन जिनमें इल्लियां घुन और कीड़े लगे हुए हैं, उन्हें अलग रख रहे हैं। प्रदेश में खराब अनाज बांटने की शिकायतें लगातार आ रही हैं और सरकार हिदायत दे रही है, लेकिन उसका असर नहीं पड़ रहा है।
सरकार के घटिया चावल के कारण फैल रहा है कुपोषण
मप्र शासन की उचित मूल्य की दुकानों एवं आंगनबाडिय़ों में वितरित किए जा रहे घटिया चावल के कारण कुपोषण फैल रहा है। ये चावल इंसान तो क्या जानवरों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक नहीं रह गया है। गोदामों में बदबू मारता चावल भरा पड़ा है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले असहाय लोग ही मजबूरी में घटिया चावल ले रहे हैं। जबकि कई मजदूर स्तर के कार्डधारकों ने चावल लेना बंद कर दिया है। इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता आनंद ताम्रकार द्वारा मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर राशन दुकान, आंगनबाड़ी तथा मध्याह्न भोजन के माध्यम से वितरित किये जा रहे अमानक घटिया चावल वितरित किये जाने तथा इससे कुपोषण फैलने, जन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे की आंशका के आधार पर वितरित किये जा रहे चावल पर अंकुश लगाने की मांग की है।
राशन दुकान वालों को दी गई है हिदायत
प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे का कहना है कि शिकायतें मिलने के बाद कई जगह जाकर स्थिति का जायजा लिया गया है और खामियां मिलने पर राशन दुकान संचालकों को हिदायत दी गई है। अगर बारिश का बहाना बनाकर भीगा अनाज वितरित किया गया तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
-कुमार राजेंद्र