03-Sep-2016 06:12 AM
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पांच साल में पैसा दोगुना करके देने या जमा पैसे की एवज में जमीन, सोना, मकान आदि का सब्जबाग दिखाकर लोगों को टोपी पहनाने वाली चिटफंड कंपनियों के लिए मप्र चारागाह बना हुआ है। आलम यह है कि चिटफंड कंपनियां यहां खुलेआम गरीबों को चूना लगा रही हैं और शासन-प्रशासन देखकर भी अनदेखा कर रहा है। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि चिटफंड कंपनियों ने अकेले मप्र में ही लाखों लोगों को अपना शिकार बनाया है।
मप्र में चिटफंड कंपनियों का गोरखधंधा इस कदर फल-फूल रहा है कि वह लोगों को ठगने के बाद उन्हें जेल भी भिजवा रही हैं। ऐसा मामला अभी हाल ही में देवास क्षेत्र में देखने को आया है। सेबी द्वारा 2015 में ब्लैक लिस्टेड की गई चिटफंड कंपनियों यूएसके इंडिया और मालवांचल इंडिया लिमिटेड ने देवास सहित प्रदेशभर के लोगों से करोड़ों रुपए वसूलकर उन्हें चपत लगाई है। उस पर रुपए वापसी का दबाव बढ़ा तो उसने अपने ही कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर सोची-समझी रणनीति के तहत उन पर एफआईआर करवा दी।
दरअसल मालवांचल इंडिया लिमिटेड ने बड़े शातिराना ढंग से मध्यप्रदेश में ठगी का नेटवर्क तैयार किया है। इसी नेटवर्क के तहत कंपनी ने देवास में संजय वर्मा पुत्र माखनलाल वर्मा को कंपनी का क्षेत्रीय कर्ताधर्ता नियुक्त कर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। स्थानीय होने के कारण संजय वर्मा ने रियल एस्टेट के झांसे में लोगों से निवेश कराना शुरू किया और धीरे-धीरे उन्हें मोटे कमीशन के लालच में एजेंट बनाता गया। जब कंपनी में स्थानीय लोग जुड़े गए तो बड़ी संख्या में उन्होंने अपने नाते-रिश्तेदारों से निवेश कराया। लेकिन जब पैसा लौटाने की बात आई तो संजय वर्मा ने नौकर के अकाउंट का चेक देना शुरू कर दिया जो बाउंस होते रहे। लोगों ने जैसे ही कंपनी की करतूतों के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की कंपनी के डायरेक्टर्स ने एजेंटों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी।
चौंकाने वाली बात यह है कि जिन कंपनियों के डायरेक्टर्स पर कई शहरों में करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले दर्ज हों, उसी की शिकायत पर टोंकखुर्द थाना प्रभारी जेजी चौकसे ने बिना जांच किए आधा दर्जन धाराओं में केस दर्ज कर दिया। 30 जुलाई को आईजी उज्जैन को यूएसके इंडिया और मालवांचल इंडिया लिमिटेड कंपनियों के चेयरमैन उमेश नरवरिया ने अपने कर्मचारियों के खिलाफ गबन की शिकायत की। यह शिकायत डीआईजी के पास पहुंची और वहां से एसपी देवास शशिकांत शुक्ला के पास। 4 अगस्त को शाम टोंकखुर्द थाना प्रभारी को मिली। शिकायत पर जांच किए बिना उसी दिन एफआईआर हो गई।
कंपनी ने इसका भी तानाबाना पहले ही बुन लिया था। दरअसल कंपनी को मालूम था कि जब वह लोगों का पैसा नहीं लौटाएंगी तो कंपनी के खिलाफ आवाज उठेगी। इसलिए कंपनी ने एजेंटों की ज्वॉइनिंग के समय खाली स्टाम्प और चेक ले लिए थे। जब एजेंट लोगों के चेक बाउंस होने और उनके पैसे वापस करने की बात लेकर कंपनी के पास पहुंचे तो उसने इन्हीं स्टाम्प का उपयोग कर्मचारियों व एजेंटों को फंसाने के लिए किया गया। फिलहाल एक कर्मचारी को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया।
मालवांचल इंडिया लिमिटेड कंपनी उमेश नरवरिया नामक ऐसे शातिर व्यक्ति की कंपनी है जिसका पूरा परिवार इस गौरखधंधे में लगा हुआ है। पहले इनका क्षेत्र ग्वालियर चंबल संभाग हुआ करता था लेकिन अब इन्होंने भोपाल, इंदौर, देवास, रतलाम आदि क्षेत्रों में काम करना शुरू कर दिया है। उमेश नरवरिया को कभी किसी ने देखा नहीं है। देवास में उसने संजय वर्मा को पूरा नेटवर्क सौंप रखा है। कंपनियों के कर्ताधर्ता कागजों पर बदलते रहते हैं, लेकिन असली किरदार देवास के नावदा निवासी टीचर माखनलाल, पुत्र संजय , कमल पटेल, पप्लू पटेल, राकेश पटेल व अन्य परिजन हैं। अनुमान के मुताबिक दोनों कंपनियों ने देवास, शाजापुर, इंदौर, धार, भोपाल से 300 करोड़ से ज्यादा उगाहे थे। सूत्रों के मुताबिक कई सरकारी अधिकारियों ने भी संजय के साथ निवेश किया है।
पीडि़त लोगों का कहना है कि वर्ष 2011-12 में यू्एसके इंडिया लिमिटेड एवं मालवांचल इंडिया लिमिटेड के नाम से पॉलिसी बनाकर ग्राहकों को दी गई थी जिसकी अवधि एक वर्ष से 10 वर्ष तक की थी जिसमें ग्राहकों को दुगनी एवं तिगुनी राशि देने का वादा किया गया था। जब पॉलिसी की अवधि पूर्ण हो गई तब कंपनी द्वारा ग्राहकों को पैसा देने से साफ इनकार कर दिया गया। तथा कंपनी द्वारा जो चेक ग्राहकों को दिए गए थे वे भी बाउंस हो रहे हैं। कंपनी का हेड ऑफिस गीता भवन चौराहा इंदौर महासागर काम्पलेक्स में है जो कि वर्तमान में बंद है। कंपनी के सीएमडी संजय वर्मा के पिता माखनलाल सरकारी टीचर के माध्यम से हमने मालवांचल कंपनी में पैसा लगाया था और उक्त पैसों की जवाबदारी माखनलाल वर्मा ने ली थी और कहा था कि आपके पैसे दुगने होकर वापस मिलेंगे। लेकिन जब पैसे देने का समय आया तो माखनलाल वर्मा ने अपना फोन बंद कर लिया व अब वे हमसे मिलना भी नहीं चाहते हैं। वर्मा नावदा पोस्ट नांदेल तहसील टोंकखुर्द के निवासी है कंपनी में डायरेक्टर उमेश नरवरिया और दिलीप सेन डायरेक्टर है। प्रवीण पटेल कंपनी मेनेजमेंट में है जो मेच्यूरिटी के चेक प्रदान करते है। शाखा प्रबंधक श्याम और किशोर पटेल चेक देते हैं। गोपाल
वर्मा पालिसी देते हैं। इन सभी लोगों ने
मिलकर ग्राहकों को अधिक से अधिक
लाभ देने का प्रलोभन देकर उनको फांसकर उनके साथ जालसाजी कर करोडों रूपए ऐंठ लिए है और उन सभी की नियत अब पैसे देने की नहीं है। इन सभी ने सुमन वर्मा और प्रवीण पटेल, किशोर पटेल के चेकों पर हस्ताक्षर
किए हैं।
कंपनी के फर्जीवाड़े के शिकार लोग जब पुलिस के पास गुहार के लिए पहुंच रहे हैं तो उन्हें न केवल प्रताडि़त किया जा रहा है बल्कि वहां से भगा भी दिया जा रहा है। आलम यह है कि पीडि़तों की गुहार सुनने वाला कोई नहीं है। इससे लोगों को लग रहा है कि पुलिस प्रशासन भी आरोपियों से मिला हुआ है। इसकी वजह यह भी है कि जब पीडि़त लोग आरोपियों के खिलाफ थाने में एफआईआर कराने पहुंच रहे हैं तो उनकी शिकायत दर्ज नहीं की जा रही है। कहा जा रहा है कि जिले में आरोपियों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज है इसलिए अन्य एफआईआर नहीं होंगी। यही नहीं पुलिस ने आज तक दोषियों से पूछताछ करने की भी कोशिश नहीं की है। यही नहीं लोगों का आरोप है कि जब हमने जनसुनवाई में एसपी शशिकांत शुक्ला के पास गुहार लगाई तो उन्होंने हमारे आवेदन को फेंक दिया और वहां से चले जाने को कहा। लोगों का कहना है कि जब पुलिस प्रशासन ही हमारी समस्या नहीं सुन रही है तो हम आखिर जाए तो जाए कहां।
मालवांचल की संपत्ति की बिक्री पर लगाई रोक
हालांकि इस मामले में देवास जिला प्रशासन ने मालवांचल इंडिया लिमिटेड कंपनी की जमीन की बिक्री पर बेन लगा दिया है। कंपनी ने पिछले दिनों अपनी जमीन बेचने का प्रयास किया था जिस पर कंपनी के खिलाफ जिला प्रशासन को शिकायत की गयी थी। कंपनी पर जनता के पैसे चिटफण्ड के माध्यम से लेकर भागने का आरोप है और उस पर करोड़ों रूपये की देनदारी बाकी है। ऐसे में जिला प्रशासन ने उसकी संपत्ति पर बिक्री की रोक लगा दी है। ब्लैक लिस्टेड चिटफंड कंपनी मालवांचल की शिकायत कलेक्टर से की गयी थी। इस पर प्रशासन ने मामले में जांच बैठाते हुए कंपनी के डायरेक्टर को नोटिस जारी किए हैं। साथ ही कंपनी व डायरेक्टर के नाम पर स्थित जमीन की बिक्री पर रोक लगा दी है। उधर चिटफंड कंपनी के खिलाफ शिकायत लेकर आए एजेंटों का कहना है कि कंपनी अवैधानिक कार्य कर रही है। इसके लिए डायरेक्टर को नोटिस दिया है। मामले में चार कंपनियां मालवा इंफ्रास्टचर, मालवांचल, मालवा यूएसके मालवांचल सहकारिता नाम की कंपनियों के नाम सामने आए हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन उक्त जमीनों को बेचकर हमारी राशि मुहैया कराए।
कुर्क होगी जीएन डेयरी व जीएन गोल्ड की संपत्ति
देवास सहित अंचल में सैकड़ों ग्राहकों को अधिक ब्याज व रुपए दो से तीन गुना होने की स्कीमें बताकर एजेंटों के माध्यम से करोड़ों रुपए का निवेश कराने वाली जीएन डेयरी व जीएन गोल्ड ने अवधि बीतने के बाद परिपक्वता राशि का भुगतान नहीं किया। इसे लेकर हाटपीपल्या, सोनकच्छ थानों में कंपनी के अधिकारियों पर मामले दर्ज कराए गए थे। जांच चल रही है और कंपनी के आरोपित कई अधिकारी-कर्मचारी भी पकड़े जा रहे हैं, किंतु ग्राहकों के रुपए अटके हुए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर आशुतोष अवस्थी ने कंपनी की संपत्ति की कुर्की के आदेश जारी किए हैं। इसके बाद विभिन्न शहरों में संपत्ति कुर्क करने संबंधी कार्रवाई शुरू हो जाएगी। सूत्रों के मुताबिक कुर्की के संबंध में पुलिस की ओर से प्रतिवेदन भी भेजा गया था। जानकारी के मुताबिक इंदौर, उज्जैन, भोपाल, पुणे, धार, खरगोन आदि जगह कंपनी की संपत्तियां हैं। मामले में आरोपित सुरेश चौधरी, पंकज चौधरी और ब्रह्मानंद पटेल को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से पंकज ने देवास के आवास नगर में एक युवती को झांसे में लेकर शादी भी कर ली थी, जबकि वो पहले से ही शादीशुदा है। उधर, कंपनी के डायरेक्टर बलजीत शर्मा, सतनाम सिंह निवासी पंजाब, दीवेश बजाज निवासी दिल्ली पर भी केस दर्ज है। बताया जा रहा है कि इनकी तलाश में पुलिस टीम गई थी, किंतु हाथ नहीं लगे। पिछले दिनों जब देवास पुलिस ने निरंजनपुर इंदौर से ब्रह्मानंद को गिरफ्तार किया था, तो उसकी निशानदेही पर बरोठा क्षेत्र के भीलाखेड़ा से कंपनी की एक महंगी कार भी जब्त की गई थी।
देवास के लोगों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। साथ ही इस मामले में जांच का निर्देश दे दिया गया है। साथ ही मालवांचल इंडिया लिमिटेड कंपनी की जमीन की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
वी. मधु कुमार,
आईजी उज्जैन
पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। जांच चल रही है। जब तक अपराध सिद्ध नहीं हो जाता किसी को गिरफ्तार कैसे किया जा सकता है।
शशिकांत शुक्ला, एसपी देवास
-इंदौर से नवीन रघुवंशी