गौशाला की आड़ में जमीनों पर हो रहा है कब्जा
03-Sep-2016 06:09 AM 1234980
गौरक्षा अब धंधा बन गया है। प्रदेश ही नहीं देशभर में गौरक्षा के नाम पर सरकारी धन का गबन होता ही जा रहा है, जमीनों को भी हड़पा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में तो गौशाला के नाम पर जमीनें हथियाने में कई संगठन और लोग लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिल्ली के टाउनहॉल में गौरक्षा के नाम पर समाज में आतंक फैला रहे लोगों पर बरसने के बाद छत्तीसगढ़ का राज्य गौसेवा आयोग अचानक हरकत में आया है। आयोग ने अधिकृत गौरक्षकों का लेखा-जोखा तैयार किया है। इसके मुताबिक राज्य भर में महज 56 गौरक्षक ही अधिकृत हैं। आयोग ने बताया है कि शासन स्तर पर महज 56 गौरक्षकों को ही कार्ड जारी किया गया है। यह सूची सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक कार्यालयों को भेजी जा रही है। इनके अलावा गौरक्षकों के नाम पर आगे आने वाले सभी लोगों को फर्जी माना जाएगा। दरअसल, बीते दिनों गौरक्षा के नाम पर राजधानी रायपुर सहित प्रदेशभर में अलग-अलग घटनाओं के दौरान कई गौरक्षक दल सामने आ गए थे। इसी तरह, छत्तीसगढ़ में बीफ पर पूरी तरह पाबंदी लगाने के मुद्दे पर भी रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव से लेकर जगदलपुर तक बड़ी संख्या में कथित गौरक्षक सड़कों पर उतर आए थे। इसके बाद राज्य के गौसेवा आयोग ने गौ-रक्षकों की सूची बनाई जिसमें हैरानी में डालने वाला यह आंकड़ा सामने आया है। आश्चर्य यह भी कि कुल 27 जिलों में 17 में एक भी अधिकृत गौरक्षक नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य गौ-सेवा आयोग के अध्यक्ष विश्वेश्वर पटेल बताते हैं, फर्जी लोगों की पहचान करने के लिए भी उन्होंने अधिकृत गौ-रक्षकों का लेखा-जोखा रखना शुरू कर दिया है। हाल ही में एक कथित गौरक्षक की गौशाला भी बंद कराई गई है। आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि गाय को माता मानते हुए उसकी रक्षा के नाम पर आयोग से अनुदान पाने के लिए राजनीतिक तौर पर कई प्रभावशाली व्यक्ति गौशाला खोलने लग गए हैं। गाय की तस्करी के नाम पर हंगामा करने वाले ये वहीं कथित गौरक्षक हैं जिनकी बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की है। ये गाय की सेवा और रक्षा के नाम पर केवल सरकारी धन की उगाही करने की कोशिश कर रहे हैं। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 96 गौशालाएं चल रही हैं। इनमें 27 हजार 411 गायों की देखभाल की जा रही है। मगर आरोप है कि ज्यादातर गौशालाओं में इसकी आड़ लेकर सरकारी जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है। यहीं नहीं, गायों के नाम पर समाज के लोगों से दान देने की परंपरा भी फल-फूल रही है। आयोग के मुताबिक 56 गौरक्षकों में सबसे ज्यादा रायपुर और जांजगीर-चांपा जिले में 18-18 हैं। इसके बाद महासमुंद जिले में 16, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के गृह जिले राजनांदगांव में 8, बालोद जिले में 7, गरियाबंद और कोरबा जिले में 4-4, धमतरी और रायगढ़ जिले में 3-3 और दुर्ग जिले में सिर्फ एक अधिकृत गौरक्षक हैं। इस तरह, कुल मिलाकर महज 10 जिलों में नामलेवा गौ-रक्षक रिकार्ड में दर्ज हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में गौ-रक्षक होने का दावा करने वालों में ज्यादातर प्रकरण ऐसे हैं, जो तस्करी का नाम लेकर समाजिक माहौल कर कर रहे हैं या अपना निजी स्वार्थ साध रहे हैं। और इसमें सिर्फ वहीं व्यक्ति शामिल हैं जो अधिकृत तौर पर गौ-रक्षक घोषित हैं। गायें सड़कों पर तोड़ रही हैं दम राजधानी रायपुर में दो बड़ी गौशालाएं संचालित होने पर भी बड़ी संख्या में गाएं सड़कों पर दम तोड़ रही हैं। आयोग द्वारा बंजारीधाम रावांभाठा गौशाला को 93 लाख और महावीर गौशाला को 73 लाख रुपए जारी किए गए हैं। मगर बरसात के दिनों में शहर की सड़कों पर लावारिस घूम रहीं इन गायों को गौशालाओं में पनाह नहीं मिल पा रही है। इसकी पुष्टि रायपुर नगर-निगम में लावारिस घूमती गायों को पकडऩे वाले दस्ते ने की है। इस बारे में बंजारीधाम गौशाला के अध्यक्ष हरीभाई जोशी ने बताया, हमारी गौशाला तो पहल से ही भरी है। मना करने के बावजूद निगम घायल और बीमार गायों को यहां भेज रहा है। वहीं, महावीर गौशाला के सचिव ललित सिंघानिया का कहना है, हमारी गौशाला में दुधारू गायों के होने की वजह से घुमंतू गायों के लिए जगह नहीं बन पा रही है। दरअसल, घुमंतु गायों से बीमारी फैलने का खतरा होता है। -रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला
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