कटारिया को महत्व देने का मतलब
16-Apr-2013 09:34 AM 1234780

वसुंधरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा में अपने चिर-परिचित प्रतिद्वंदी रहे गुलाबचंद कटारिया को महत्व देकर वसुंधरा राजे ने एक नए समीकरण का संकेत दे दिया है। एक जमाने में किरण महेश्वरी के मार्फत गुलाब चंद कटारिया पर निशाना साधने वाली वसुंधरा राजे अब कटारिया को साथ लेकर चलना चाहती हैं। लेकिन राज्य में कार्यकर्ता और गुटबाजी से प्रभावित छोटे नेता अब भ्रम की स्थिति में है कि किसको ज्यादा वेटेज दिया जाए। कटारिया को या वसुंधरा को। कटारिया के साथ कहीं न कहीं परोक्ष रूप से संघ का समर्थन भी जुड़ा हुआ है इसी कारण मजबूरी में भाजपा नेत्री वसुंधरा कटारिया को साथ लेकर चलने के लिए विवश हैं। तिवाड़ी जैसे बड़े नेताओं के अलग हो जाने के कारण अब यह विवशता और बढ़ गई है। लिहाजा वसुंधरा पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरना चाहती हैं। यही कारण है कि वसुंधरा राजे की इस यात्रा के आगाज के मौके पर खुद भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह मौजूद थे। वसुंधरा राजे और राजनाथ सिंह ने तलवार लहराकर राज्य में परिवर्तन का आह्वान किया। यात्रा की शुरूआत के मौके पर राजे ने कहा कि इस सरकार ने जनता को मसल कर रख दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भामाशाह योजना शुरू की थी, लेकिन इस सरकार ने योजना को बंद कर दिया। प्रदेश की महिलाएं, व्यापारी, युवा सभी परेशान हैं। जिन लोगों ने राज्य के विकास के पहिए को रोका, उनसे पिछले पांच साल का पूरा हिसाब लिया जाएगा। वसुंधरा राजे ने जनता को आगाह करते हुए कहा कि कांग्रेस अफवाहें उडाएगी, लुभाने की कोशिश करेगी। लेकिन जनता ने हौसला बनाए रखा तो नया राजस्थान बनाने से कोई नहीं रोक सकता।
कांग्रेस की संदेश यात्रा पर कटाक्ष करते हुए वसुंधरा राजे ने कहा कि वो अब कह रहे हैं कि नया राजस्थान बनाएंगे। व्यंग्य भरे लहजे में पूर्व मुख्यमंत्री बोली कि पिछले साढे चार साल में जब कुछ नहीं कर पाए तो अब पता नहीं क्या संदेश देंगे? छह माह में क्या कर लेंगे? महिला सुरक्षा, महंगाई, बिजली के क्षेत्रों में सरकार को विफल बताते हुए राजे ने कहा कि राज्य और केन्द्र दोनों जगहों पर कांग्रेस की सरकार है, फिर क्यों कांग्रेस प्रदेश के लिए विशेष पैकेज नहीं ले पाई। प्रवासी भारतीयों को बुलाया लेकिन उन्होंने भी राज्य के हालात देख कर निवेश नहीं किया। भाजपा सरकार ने 24 घंटे बिजली देने के प्रयास किए,लेकिन इस सरकार ने बिजली भी नहीं दी और दाम भी बढ़ाए।
वसुंधरा ने यहां उस सवाल का भी जिक्र किया, जिसमें कांग्रेस बार-बार पूछती है कि पिछले चार साल में वसुंधरा कहां थीं? राजे ने कहा कि वह यहीं थीं। जनता के बीच काम कर रही थीं। कांग्रेस ने उनके खिलाफ षडयंत्र रचे,लांछन लगाए लेकिन जनता ने जो चुनरी ओढ़ाई थी, उन्होंने उसका मान रखा। प्रदेश की जनता को अपना परिवार बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए यदि मर मिटने की जरूरत भी पड़ी तो वे करेंगी।
इस मौके पर मौजूद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि भाजपा की कमान वसुन्धरा राजे को इसलिये सौंपी है क्योंकि वे राजस्थान में जननायिका है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने वसुन्धरा का मुख्यमंत्री वाला कार्यकाल देखा है। जिसमें राजस्थान विकास की दृष्टि से बहुत आगे निकल गया था, और यही कारण है कि वसुन्धरा राजे को भाजपा ने मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया।
उधर राजस्थान में अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को सरकार 2.50 लाख रुपए की फिक्स डिपॉजिट (एफडी) देगी। जबकि इतनी ही राशि घर बसाने के उद्देश्य से घरेलू उपयोग की जरूरी चीजें खरीदने के लिए नकद दी जाएगी। अब तक इस तरह के युगलों को केवल 50,000 रुपए ही दिए जाते थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मार्च में बजट के दौरान अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को पांच लाख दिए जाने की घोषणा की थी। पांच लाख में से ढाई लाख एफडी के रूप में और ढाई लाख कैश के रूप में दिया जाएगा। राज्य सरकार के इस निर्णय का चहुंओर स्वागत किया गया और इसे सामाजिक बदलाव लाने वाले निर्णय के रूप में देखा जा रहा है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा एफडी पति-पत्नी दोनों के नाम से होगी। इसे 8 साल से पहले तुड़वाया नहीं जा सकेगा। इस तरह का प्रावधान करने का उद्देश्य यह है कि अंतरजातीय विवाह के पश्चात पति-पत्नी में किसी तरह का मनमुटाव और झगड़ा नहीं हो। ऐसी शादी कम से कम आठ साल तक तो चले। इसमें भी शर्त यह है कि पति अथवा पत्नी दोनों में से कोई एक अनुसूचित जाति से संबंध रखता हो। इस घोषणा का उद्देश्य प्रदेश में सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है। लेकिन सामाजिक समरसता दोहरे मापदण्ड से नहीं बढ़ सकती। इस घोषणा के बाद ही जब एक मुस्लिम युवती हिंदू युवक के साथ स्वेच्छा से विवाह रचाने घर परिवार को छोड़कर चली गई तो लड़की के परिजनों के दबाव में हिंदू लड़के के विरुद्ध अपहरण का केस दर्ज किया गया। सामाजिक समरसता के लिए सरकार की पहल की धज्जियां पुलिस ने ही उड़ा दीं।

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