तो अपनों को कैसे संभालेगी भाजपा
17-Aug-2016 06:55 AM 1235006
जैसे-जैसे यूपी में 2017 के विधानसभा चुनावों की घड़ी नजदीक आ रही है राजनीतिक दलों में मौजूद बेचैन आत्माओं की बेचैनी तेज होती जा रही है। नेतागण दूसरे दलों में ठिकाना ढूंढऩे लगे हैं। एक दिन पहले ही बसपा प्रमुख मायावती ने चार मुस्लिम विधायकों को अपने पाले में खींचा था, भाजपा ने भी एक साथ सपा, बसपा और कांग्रेस के खेमें में सेंध लगाकर हड़कंप मचा दिया। इस दलबदल पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, बागी विधायकों का सपा में जाना चौंकाने वाली खबर नहीं है। ये सभी अपने निजी स्वार्थ के चलते भाजपा में शामिल हुए हैं। इससे बसपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। आयाराम-गयाराम के इस खेल में सपा-बसपा-भाजपा और कांग्रेस सभी दल शामिल हैं। छोटे-बड़े नेता पुरानी पार्टी छोड़कर नए दलों में जाने की ताक में हैं। इसी कड़ी में 11 अगस्त को सपा-बसपा के दो-दो और कांग्रेस तीन विधायक बसपा में शामिल हो गये। राजनीतिक जानकारों की मानें तो दूसरे दलों से थोक के भाव से भाजपा में शामिल हो रहे नेताओं के आने से पार्टी के सामने अपनों को संभालने की बड़ी चुनौती पैदा होने जा रही है। लखनऊ में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने सपा के बागी विधायक रामपाल यादव, शेर बहादुर, बसपा के बाला प्रसाद अवस्थी, राजेश त्रिपाठी और कांग्रेस के संजय जायसवाल, माधुरी वर्मा और विजय दुबे को भाजपा में शामिल कराया। इन सभी विधायकों ने अपने हजारों समर्थकों के साथ भाजपा को जिताने की बात कही है। इन विधायकों के पार्टी में शामिल होने से उत्साहित भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सपा-बसपा में भगदड़ मच चुकी है। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित है। उन्होंने कहा कि 2014 भाजपा का था, 2017 और 2019 भी भाजपा का ही होगा। भाजपा के सूत्रों की मानें तो अभी कई और सपा-बसपा और कांग्रेस के विधायक भाजपा का दामन थाम सकते हैं। जिन नामों की चर्चा चल रही है उनमें बुलंदशहर के डिबाई से सपा के बागी विधायक गुड्डू पंडित का नाम भी है। उन्हें राज्यसभा और एमएलसी चुनाव में क्रॉस वोटिंग के आरोप में पार्टी से निष्कासित किया गया था। स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे बड़े नाम को छोड़ दें तो भाजपा में शामिल होने वाले ज्यादातर विधायकों पर पहले से बागी होने का ठप्पा लगा हुआ है या फिर उनकी पितृ पार्टियां उन्हें दरकिनार कर चुकी हैं। क्या भाजपा में टिकेंगे ये दल-बदलू मौजूदा भगदड़ में एक बड़ा और अहम सवाल यह खड़ा हो गया है कि दूसरे दलों से आये ये नेता कितने दिनों तक भाजपा में रह सकेंगे। क्योंकि इन्होंने तो टिकट और पद की आस में भाजपा का दामन पकड़ा है। अपेक्षित माहौल न मिलने पर इन्हें रोक पाना मुश्किल होगा। इसके अलावा ये सभी वे नेता हैं, जिन्होंने पूर्व में भाजपा को पानी पी-पी कर कोसा है। जानकारों की मानें तो दूसरे दलों से आये नेताओं को संभाले रख पाना भारतीय जनता पार्टी के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा। सभी दलों में मची है उठा-पटक चुनाव से पहले केवल भाजपा ही नहीं अन्य बड़े दलों की भी ऐसी ही हालत है। एक दिन पहले ही भाजपा के पूर्व मंत्री अवधेश वर्मा, कांग्रेस के तीन विधायक और सपा के एक विधायक ने बसपा की सदस्यता ले ली थी। जिस तरह की चर्चाएं लखनऊ में हैं उनके मुताबिक अभी कई दलों के बड़े नेता और विधायक दूसरे दलों का हाथ थाम सकते हैं। भाजपा में भी छिड़ेगा आंतरिक द्वंद्व दर्जनों बड़े-बड़े नाम जिस तरह से भाजपा में शामिल हो रहे हैं। अगर उन सबको टिकट भी दिया गया तो ऐसे कार्यकर्ताओं और नेताओं को संभाल पाना भाजपा के लिए संकट हो जाएगा जो वर्षों से पार्टी की सेवा करते आ रहे हैं। इस बात को हाल ही भाजपा में शामिल हुए बसपा के पूर्व नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के मामले से समझा जा सकता है। इलाहाबाद में भाजपा कार्यकर्ताओं ने स्वामी प्रसाद मौर्या के भाजपा में शामिल होने का विरोध करते हुए नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं का कहना था कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने हमेशा ही भगवा को आतंकवाद का दर्जा दिया है। पार्टी को इनसे सावधान रहने की जरूरत है। मुक्तिपथ वाले बाबा के नाम से मशहूर बसपा के बागी विधायक व पूर्व मंत्री राजेश त्रिपाठी ने भी भाजपा की डोर थाम ली। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के बाहुबली पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी को चिल्लूपार विधानसभा सीट पर हराकर सबको चौंका दिया था। वह टिकट की आस में ही भाजपा में शामिल हुए हैं। ऐसे में पहले से आस लगाए पार्टी के नेताओं के विरोध को दबा पाना भाजपा के लिए इतना आसान नहीं होगा। उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझने वाले जानकारों की मानें तो भाजपा और अन्य दलों में शामिल अधिकतर नेता मौकापरस्त हैं, जो अपने हितों को पूरा न होते देख कभी भी बड़ा फैसला ले सकते हैं। -लखनऊ से मधु आलोक निगम
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^