17-Aug-2016 06:49 AM
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मप्र में किसानों की मेहनत से उत्पादित अनाज को किस तरह माफिया के इशारे पर मटियामेट किया जा रहा है, इसका नजारा अभी हाल ही में सतना मे देखने को मिला। जिले के सोनौरा वेयर हाउस में एक कर्मचारी द्वारा वहां रखे गेहूं को पानी से भिगोने की तस्वीर सामने आई। इसको लेकर प्रदेशभर में बवाल मच गया। आनन-फानन में सतना कलेक्टर नरेश पाल ने इस मामले की जांच करने की जिम्मेदारी डिप्टी कलेक्टर सतना बलवीर रमन को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट कब तक आएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इस मामले से यह बात निकलकर सामने आई है कि बियर कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश के गोदामों में सरकारी गेहूं सड़ाया जा रहा है।
बताया जाता है कि सतना में स्थित 16 गोदामों में से अधिकांश में फर्जीवाड़े की खबरें आ रहीं थी। कुछ लोगों ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन को भी की लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। फिर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया में कुछ तस्वीरें पोस्ट की गईं। इन फोटो में एक गेहूं गोदाम के भीतर गोदाम कर्मचारियों द्वारा नल में पाईप लगाकर गेहूं के बोरे में पानी भरते हुए दिखाया जा रहा था। इसी तरह कुछ फोटों में बोरा खोलकर पानी भरते हुए दिखाया जा रहा था। उक्त फोटो सोशल मीडिया में पोस्ट करने वाले लोगों का दावा था कि ये फोटो सतना के सोनौरा वेयर हाऊस की है। जहां गेहूं को खराब बताकर आधे से अधिक अनाज ब्लैक करने के लिये ऐसा किया जा रहा है। तब जाकर जिला प्रशासन की नींद खुली और कलेक्टर नरेश पाल ने इसे गंभीरता से लिया। इसके बाद कलेक्टर ने एक जांच टीम गठित कर मामले की तहकीकात करने का निर्देश दिया।
बताया जाता है कि प्रदेश के वेयर हाउस में रखे सरकारी गेहूं को अधिकारियों और बियर कंपनियों की सांठगांठ से पहले सड़ाया जाता है और फिर उसे औने-पौने दामों में बियर बनाने वाली कंपनियों को बेंच दिया जाता है। दावा तो यह किया जाता है कि गेहूं सड़ रहा था इसलिए बेचा गया, लेकिन हकीकत में यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है। उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में राजधानी भोपाल में बाढ़ पीडि़तों को दिए गए गेहूं में मिट्टी मिलाने का मामला सामने आया है। जब राजधानी में गोदामों में रखे गेहूं में मिट्टी मिलाकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है तो दूरदराज की कौन पूछे। सतना के सोनौरा स्थित वेयर हाऊस में गोदाम के भीतर रखे गेहूं के बोरे में पानी डालकर गीला करने के कथित मामले में आखिरकार जांच शुरू हो गई है।
जांच टीम अधिकारी के रूप में डिप्टी कलेक्टर बलवीर रमन ने सोनौरा स्थित वेयर हाउस के गोदाम का निरीक्षण कर अलग-अलग हिस्सों में रखे गए गेहूं के बोरों का सेम्पल जब्त किए हैं। जिसे जांच के लिये लैब भेजा गया है। साथ ही जांच अधिकारी ने देखा कि गोदाम में पानी के क्या श्रोत हैं, यदि कोई चाहे तो गोदाम तक पानी कैसे लाया जा सकता है। पानी की पाईप लाईन कितनी लंबी लगाने पर गोदाम के भीतर तक पानी पहुंचाया जा सकता है। गोदाम में मौजूद गेहूं गीला है या सूखा है। इस तरह के विभिन्न सवालों के जवाब तलाशने के लिये डिप्टी कलेक्टर ने जांच की। डिप्टी कलेक्टर का कहना है कि सेम्पल जांच होकर आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। उधर सतना के खाद्य अधिकारी आशुतोष तिवारी इसे महज अफवाह बताते हैं। हालांकि कलेक्टर नरेश पाल का कहना है कि हमारे पास शिकायत आई थी और टीम को जांच पर लगा दिया गया है। वह कहते हैं कि अगर यह षड्यंत्र है तो दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा। उधर जानकारों का कहना है कि सतना में तो यह महज ट्रेलर सामने आया है। प्रदेश के वेयर हाउस और सरकारी गोदामों में गेहूं में मिट्टी मिलाकर या उन्हें सड़ाकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है और सरकार को इसकी भनक भी नहीं लग पा रही है।
हर साल सड़ता है हजारों मीट्रिक टन गेहूं
एक तरफ देश में 30 फीसदी आबादी दाने-दाने के लिए मोहताज है वहीं दूसरे तरफ हर साल देश में हजारो टन गेंहू गोदामों और खुले में सड़ जाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद गरीब लोगों तक गेंहू नहीं पहुचाया जा रहा है बल्कि उसको सडऩे दिया जा रहा है। इसका कारण यह है की बियर कंपनियों को बियर बनाने के लिए गेंहू की जरुरत पड़ती है। बियर कंपनिया पहले गेंहू खरीदती है , फिर इनको सड़ाकर बियर बनायीं जाती है। अगर बियर कंपनियों को पहले से ही सड़ा हुआ गेंहू मिल जाए तो उनके पौ बारह हो जाते है। एक तो बियर कंपनियों को सड़ा हुआ गेंहू सस्ता मिलता है और दूसरा उनको गेंहू को सड़ाना नहीं पड़ता। इसलिए बियर कंपनियों से सांठगांठ कर अधिकारी मोटा पैसा कमा रहे है। सतना कलेक्टर नरेश पाल का कहना है कि जिलेभर के वेयर हाउसों की जांच कराई जाएगी। यदि वेयर हाउसों के कर्मचारियों द्वारा यह कृत्य किया गया है तो इस मामले को लेकर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।
-नवीन रघुवंशी