आरजीपीवी में त्रिवेदीगिरीÓ
17-Aug-2016 06:43 AM 1234989
अपने रसूख के दम पर मनमानी की पाठशाला चलाकर अब तक चांदी काट रहे राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के कुलपति प्रो. पीयूष त्रिवेदी का रसूख इस कदर कायम है कि वे जाते-जाते यहां अपना प्रभाव कायम रखने के लिए अपनों को उपकृत करने में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में त्रिवेदी आरजीपीवी में अपना दबदबा कायम रखने के लिए अपने करीबी डीन डॉ. मुकेश पाण्डेय को रैक्टर बनवाने की तैयारी में जुट गए हैं। बताया जाता है कि त्रिवेदी दिसम्बर में रिटायर होंगे। ऐसे में राजभवन ने नए कुलपति की नियुक्ति के लिए सरकार को सूचित कर दिया है। ज्ञातव्य है कि कुलपति की नियुक्ति उपधारा (2) या उपधारा (6) के अधीन गठित समिति द्वारा सिफारिश किये गये प्रौद्योगिक शिक्षा के क्षेत्र में प्रख्यात कम से कम तीन शक्तियों की तालिका (पैनल) में से कुलाधिपति द्वारा की जाती है।  उपधारा (2) के अधीन समिति गठित करने के लिये कुलाधिपति, कुलपति की अवधि का अवसान होने के छह माह पूर्व, कार्यपरिषद तथा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष को अपने-अपने नाम निर्देशितियों को चुनने के लिए अपेक्षित करेगा और यदि उनमें से कोई भी या दोनों इस बारे में कुलाधिपति की संसूचना प्राप्त होने के एक मास के भीतर ऐसा करने में असफल रहे, तो कुलाधिपति यथा स्थिति, पुन: किसी एक या दोनों व्यक्तियों को नाम निर्देशित कर सकेगा। प्रक्रिया के तहत जहां राजभवन नए कुलपति की नियुक्ति की तैयारी में जुट गया है वहीं राजभवन सचिवालय के सूत्रों का कहना है की त्रिवेदी के कार्यकाल में उनके खिलाफ हुई शिकायतों की जानकारी सरकार को भेज दी है, ताकि सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई कर सके। उधर, अपने कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार पर पर्दा डाले रहने के लिए त्रिवेदी भी अपना गणित लगा रहे हैं। दरअसल नए कुलपति की नियुक्ति से पहले त्रिवेदी आठ साल से खाली पड़ी रैक्टर की कुर्सी पर अपने खास डीन डॉ. मुकेश पाण्डेय को बैठाने का इंतजाम कर लिया है। विदाई से पहले वे कुछ ऐसी व्यवस्था करने में लगे हैं ताकि नए कुलपति की नियुक्ति में जितना वक्त लगेगा, उस दौरान रैक्टर ही कुलपति का कार्यभार संभालेगा। ऐसे में प्रोफेसर त्रिवेदी भले ही कुर्सीं छोड़ जाएं, लेकिन कुछ दिन परोक्ष शासन करते रहेंगे। रैक्टर के लिए डीन मुकेश पाण्डेय का नाम सामने आने के बाद विवि से जुड़े लोग ही इसे गलत ठहरा रहे हैं, क्योंकि पाण्डेय और विवादों का पुराना नाता रहा है। गत दिवस आरजीपीवी में हुई कार्यपरिषद की बैठक में पाण्डेय को रैक्टर की कुर्सी पर बैठाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। राजभवन से इसका अनुमोदन होना बाकी है। उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय में होने वाले सभी घपले-घोटाले में पाण्डेय त्रिवेदी का दाहिना हाथ समझे जाते हैं। दोनों ने मिलकर विश्वविद्यालय में जमकर घोटाला किया है। जिस तरह त्रिवेदी की नियुक्ति सवालों के घेरे में रही है उसी तरह पाण्डेय की नियुक्ति भी गलत तरीके से की गई है। ऐसे में विश्वविद्यालय के निष्ठावान अधिकारी-कर्मचारी चाहते हैं कि पाण्डेय की नियुक्ति रैक्टर के तौर पर न हो और विश्वविद्यालय से जाने से पहले त्रिवेदी के भ्रष्टाचार का हिसाब बराबर किया जाए। ईओडब्ल्यू ने त्रिवेदी के रसूख पर कसा शिकंजा डॉ. पीयूष त्रिवेदी अब रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में समय में ईओडब्ल्यू ने उनकी आय से अधिक सम्पत्ति को गंभीरता से लिया है। प्रो. त्रिवेदी अब कमाई से अधिक सम्पत्ति के मामले में उलझ गए हैं। कुलपति के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू कर दी है। 8 अगस्त को ईओडब्ल्यू ने त्रिवेदी को तलब कर उनसे उनकी संपतियों के बारे में पूछताछ की। बताया जाता है कि ईओडब्ल्यू उनके जवाब से संतुष्ट नहीं है और उनसे संपतियों के कागजात और उन्हें खरीदने की रकम का सोर्स मांगा है। आलम यह है कि पीयूष त्रिवेदी की संगत या उनके साथ सांठगांठ करने वाले चार अन्य लोग भी ईओडब्ल्यू के घेरे में हैं।  ईओडब्ल्यू ने आरजीपीवी को भेजे स्मरणपत्र में त्रिवेदी से जुड़ी आधा दर्जन बिंदुओं की जानकारी मांगी है। जांच के दौरान आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो परेशानी बढ़ सकती है। आय से अधिक कमाई के मामले में कुलपति त्रिवेदी के खास डीन डॉ. मुकेश पाण्डेय, डिप्टी रजिस्ट्रार संजीव शर्मा, संयुक्त परीक्षा नियंत्रक एससी चौबे, पॉलिटेक्निक प्राचार्य आरके श्रीवास्तव पर भी आंच आने वाली है। मामला उलझाए रखने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन वांछित जानकारी देने से परहेज कर रहा है। -कुमार राजेंद्र
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