पाक पर अब तीन मÓ का शासन!
17-Aug-2016 06:34 AM 1234785
पाकिस्तान के नागरिक शासक एक बार फिर सेना और मुल्लों के इशारों पर नाचते नजर आ रहे हैं। पहले कहा जाता था कि पाकिस्तान के तीन मालिक हैं  अल्ला, अमेरिका और आर्मी। लेकिन वहां अमेरिका के घटते असर और इस्लामी ताकतों के बढ़ते प्रभाव के बाद कहा जाने लगा है कि पाकिस्तान पर तीन अÓ के बदले तीन मÓ का शासन हो गया है। तीन एम यानी मुल्ला, मदरसा और मिलिट्री। पाकिस्तान की नागरिक सरकार के कंधे पर बंदूक रख कर उसकी विदेश नीति और रक्षा नीति का संचालन तीन एम के तालमेल से हो रहा है। इन्हीं तीन एम के जरिए इन दिनों जम्मू-कश्मीर में विद्रोह भड़काने की कोशिश की जा रही है। जम्मू-कश्मीर को हथियाने के लिए पाकिस्तान ने स्थानीय युवकों के बीच लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को घुसा कर उन्हें उकसाने की कामयाब चाल चली है। हाफिज सईद श्रीनगर और अन्य शहरों में पिछले तीन सप्ताह से चल रही अशांति को दुनिया के सामने इस तरह पेश किया जा रहा है कि वहां भारतीय सेना घोर अत्याचार कर रही है। नवाज शरीफ भी इन दिनों कश्मीर के सवाल पर मुखर हैं। लेकिन पाकिस्तान से आए एक आतंकवादी को जिंदा पकडऩे में मिली कामयाबी से यह एक बार फिर उजागर हुआ है कि पाकिस्तान अपने आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर के इलाके में भेजकर आग सुलगाने की साजिश कर रहा है। जिस तरह पाकिस्तान ने वाघा सीमा पर हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के सरगनाओं- सैयद सलाहुद्दीन और हाफिज सईद को भेज कर भारत को धमकियां दी हैं, उससे पाकिस्तान सरकार ने खुद अपनी पोल खोल दी है। हाफिज सईद संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा इनामी आतंकवादी घोषित है। साफ है कि पाकिस्तान राष्ट्रीय लक्ष्य हासिल करने के लिए एक आतंकवादी का इस्तेमाल कर रहा है। जम्मू-कश्मीर को हथियाने के लिए पाकिस्तान ने 1948 और 1965 में भारत से खुला युद्ध लड़ा और दोनों बार असफल रहा। लेकिन जब 1971 में उसे भारत के हाथों जबर्दस्त हार का सामना करना पड़ा तो बाद में पाक की सत्ता पर काबिज हुए सैनिक शासक जनरल जिया उल हक ने मान लिया कि जम्मू-कश्मीर के लिए पाकिस्तान भारत से सीधा युद्ध नहीं लड़ सकता क्योंकि भारत की सेना पाकिस्तान की सेना पर काफी भारी पड़ती है। जिया सलिए भारत के खिलाफ परोक्ष युद्ध की रणनीति अपना कर अस्सी के दशक में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन टोपक चलाया जो आज तक जारी है। इसके तहत पाक भारत के खिलाफ अपने आतंकवादियों का इस्तेमाल करने की रणनीति पर चल रहा है। पाकिस्तान इन्हें नॉन स्टेट ऐक्टर कह कर इनसे अपना पल्ला झाडऩे की कोशिश करता है। लेकिन नॉन स्टेट और स्टेट ऐक्टरों के बीच सांठ-गांठ साफ दिखाई देने लगी है। पाकिस्तान मान कर चल रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसकी असलियत नहीं जानता है। कई आतंकवादी हत्याएं करने वाले बुरहान वानी को कश्मीर का हीरो बना कर पेश करने के पीछे पाकिस्तान की बहुत ही सुनियोजित चाल दिखाई पडऩे लगी है। पाकिस्तान ने हाल में इस्लामाबाद स्थित विदेशी राजदूतों को बुलाकर कहा है कि किस तरह जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना अत्याचार कर रही है। इसी सप्ताह पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने विदेशों में तैनात अपने राजदूतों को बुलाकर कहा है कि श्रीनगर में भड़की आग से राजनयिक लाभ उठाने का यह सही मौका है। पाकिस्तान इस तरह जम्मू-कश्मीर को हथियाने के लिए दो स्तरीय रणनीति पर चल रहा है। पहला, नॉन स्टेट ऐक्टरों की मदद से जम्मू-कश्मीर में आग भड़का कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने की कोशिश की जाए। दूसरा, इसके बहाने भारत के खिलाफ राजनयिक मुहिम तेज कर उसे नीचा दिखाने की कोशिश की जाए और कश्मीर पर अपना जायज हक बताया जाए। भारत सरकार को इस रणनीति का माकूल जवाब खोजना होगा। शरीफ का यह कैसा नापाक बयान पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज आता हुआ नजर नहींं आ रहा है। हाल ही में कश्मीर के लोगों का इलाज करवाने की पेशकश करने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने फिर वहीं राग छेड़ा है। इस बार शरीफ ने कहा कि कश्मीर के लोगोंं की आवाज बनना उनका दायित्व है। उन्होंने कहा है कि कश्मीरियों को जिस तरह उत्पीडि़त किया गया है, उसको लेकर मैं आवाज उठाऊंगा। गौरतलब है कि इससे पहले भी कई बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भारत के खिलाफ बयान दे चुके हैं। शरीफ ने हिजबुल कमांडर बुरहानी वानी केे मारे जाने पर अफसोस जताते हुए  उसे शहीदÓ  बताया था। साथ ही कहा था कि उन्हें उस दिन का इंतजार है जब कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा। इस पर भारत की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाने का उनका सपना कायनात के खत्म होने पर भी साकार नहीं होगा। उधर भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान की धरती पर जाकर उसको ऐसा करारा जवाब दिया है कि पाकिस्तान तमतमाया हुआ है। अब शरीफ अपने नापाक बयान देकर भारत में अशांति फैलाना चाहते हैं। -श्याम सिंह सिरकवार
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