01-Aug-2016 09:45 AM
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व्यापमं घोटाला भले ही थोड़ा थंडा पड़ गया हो लेकिन वो खत्म नहीं हुआ है। मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में इसकी गूंज तो सुनाई दी ही, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सरकार और सीबीआई फटकार लगाई है। लेकिन इस घोटाले को इस मुकाम तक पहुंचाने वाले व्हीसिल ब्लोअर ठंडे क्यों पड़ गए यह सवाल आज कल हर कोई पूछ रहा है। ये सवाल इसलिए भी पूछे जा रहे हैं क्योंकि सीबीआई ने जब से इस केस को हाथ में लिया है 100 आरोपियों को जमानत मिल चुकी है जबकि महज दो आरोपी गिरफ्तार हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं घोटाले से जुड़े केस की सुनवाई के दौरान व्यापमं को राष्ट्रीय स्तर का घोटाला बताते हुए कहा कि ये घोटाला हमें बेहद चौका रहा है क्योंकि साल दर साल घोटाले होते जा रहे हैं। ये मामला किसी नौजवान बच्चे के रोटी चुराने का नहीं है। हमने हमेशा छात्रों का साथ दिया है लेकिन यहां तो हर साल घोटाले हुए हैं। ऐसे घोटालों पर हम अपनी आंखें बंद किए रहेंगे तो ये रुकेंगे ही नहीं। सुप्रीम कोर्ट का ऐसा कहने के बाद से अब लोगों को भी लगने लगा है कि आखिर सीबीआई को हो क्या गया है। और सबसे बड़ी विडंबना तो यह देखिए की एक-एक करके आरोपियों को जमानत मिलती जा रही है। ऐसे में इस घोटाले को लेकर सुर्खियों में आए व्हिसिल ब्लोअर भी चुप हैं।
उनकी चुप्पी से ऐसा लगता है जैसे व्यापमं घोटाले की जांच पूरी हो गई हो। उल्लेखनीय है कि इस घोटाले को लेकर मध्यप्रदेश ही नहीं केन्द्र की राजनीति में भूचाल लाने वाले डॉ. आनंद राय भी अब कभी कभार ही बोलते हैं। इस संदर्भ में जब उनसे बात की गई तो उनका कहना है कि ऐसी कोई बात नहीं है। मामला सीबीआई के अधीन है और मैं सीबीआई की कार्यप्रणाली पर पहले से ही असंतोष जता रहा हूं। वह कहते हैं कि हम सुर्खियों में रहने के लिए यह काम नहीं कर रहे हैं। हमारा ध्यान लगातार इस घोटाले की जांच पर लगा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा मध्य प्रदेश के सबसे चर्चित व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के आदेश को एक वर्ष और लगभग एक महीने का वक्त हो गया है। देश की सबसे भरोसेमंद मानी जाने वाली इस जांच एजेंसी की इस मामले में हुई प्रगति की गवाही देते हुए इस मामले को उच्चतम न्यायालय के दरवाजे तक ले जाने वाले व्हिसिल ब्लोअर में से अधिकतर अब तक हुई जांच और काम से बेहद असंतुष्ट हैं। आनंद राय कहते हैं कि मैंने हमेशा सीबीआई को कठघरे में खड़ा किया है। राय का कहना है कि जांच एजेंसी के पास 15 ऐसी शिकायतें लंबित पड़ी हैं जिन पर अभी तक प्रारंभिक जांच भी शुरू नहीं की गई है। इनमें से दो शिकायतें तो उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से की गई हैं।
राय का कहना है कि वास्तव में उच्चतम न्यायालय ने एजेंसी को पूरे घोटाले की जांच करने को कहा था। इसके अलावा राय का आरोप है कि इस मामले से किसी न किसी तरह जुड़े हाई प्रोफाइल संदिग्धों को बड़ी संख्या में बेहद असामान्य रूप से या तो बरी कर दिया गया है या फिर उन्हें जमानत दे दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर सीबीआई को फटकार भी लगाई है। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं। उधर ग्वालियर निवासी व्हिसिल ब्लोअर आशीष चतुर्वेदी आरोप लगाते हैं कि सीबीआई ने जांच को मजाक बनाकर रख दिया है। उनका कहना है कि राज्य के शासन और प्रशासन को चलाने वाले इतने सारे लोग इस मामले में आरोपी हैं और इसके बावजूद सीबीआई को यह संगठित भ्रष्टाचार का मामला नहीं लगता। रतलाम से पूर्व निर्दलीय विधायक पारस सकलेचा कहते हैं कि जब भी कोई आरोपी जेल से जमानत पर छूटता है तो हम सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हैं। यही नहीं हर फोरम पर आवाज उठाई जा रही है। जब तक पीडि़तों को न्याय नहीं मिलेगा हम दोषियों के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे।
-ऋतेन्द्र माथुर