01-Aug-2016 09:23 AM
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यह जानकार आपको आश्चर्य होगा कि राजस्थान में करीब दो लाख मुर्दे पेंशन के लिए शासकीय कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। दरअसल ये जीवित हैं लेकिन इनका नाम सामाजिक सुरक्षा पेंशन सूची में मृतÓ लोगों में शामिल कर दिया गया था और पूरा मामला तब सामने आया जब सूचना एवं रोजगार अभियानÓ ने मामले पर सवाल खड़े किए। इसको लेकर प्रदेश की राजनीति और प्रशासन में बवाल खड़ा हो गया है। विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार पर आरोप लगा रहा है कि उसकी सह पर यह सब हुआ है।
राजस्थान में इस फर्जीवाड़े की सुगबुगाहट तो बहुत पहले से थी, लेकिन हाल में ही जब मजदूर किसान संगठन ने भीम पंचायत समिति में सर्वे किया तो पाया कि विभाग की सूची में 11 मृत बताये गए लोगों में से 9 अभी जिंदा हैं। वहीं कुशलपुरा पंचायत में भी 21 लोग ऐसे मिले हैं, जिनका पेंशन उन्हें मरा हुआ बताकर रोक दिया गया है। भीम पंचायत के रैंडम सर्वे के बाद अभियान ने राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बड़ी लापरवाही की आशंका जताई है। सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने बताया कि करीब 2 लाख लोगों को अन्यÓ की श्रेणी में रखे जाने से वो पेंशन से वंचित हो गए हैं। उनका कहना है कि जीवित लोगों को मृत घोषित करना गंभीर बात है और सूची का सत्यापन किया जाना चाहिए। अभियान के मुताबिक राज्य में 2015 के अंत तक बुजुर्ग, विधवा और विकलांग पेंशन पाने वाले 68 लाख लोग थे, जिनमें से दस लाख लोगों की पेंशन रुकी हुई है। इनमें से 2 लाख लोगों की पेंशन यह कहते हुए बंद की गई है कि उनकी मौत हो चुकी है। अब पेंशन न मिलने से बेहाल ये लोग सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन जीवित लोगों को सामने देखकर भी अधिकारी उन्हें मृत बता रहे हैं। आलम यह है कि कई जगह तो इसके विरोध में धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। उधर सामाजिक सुरक्षा, न्याय एवं अधिकारिता निदेशक रवि जैन का कहना है संभव है किन्हीं तकनीकी या किसी और वजह से पेंशन सूची से कुछ लोगों का नाम हट गया हो तो, उसकी जाँच करवा रहे हैं। सत्यापन का काम गांव या पंचायत स्तर का होता है विभाग का नहीं। उन्होंने सभी जिला कलेक्टरों को इस बारे में लिखा है ताकि सच्चाई सामने आ सके। अभियान की मांग के बाद भीम पंचायत के अब तक मृत समझे गए 8 लोगों की पेंशन शुरू कर दी गई है। इनमें से एक कालूराम ने बताया कि उन्हें मृत लोगों की श्रेणी में डाल दिया गया था, पर अब उन्हें विकलांग पेंशन फिर से मिलने की उम्मीद है।
अभियान की मांग है कि गलत सत्यापन की वजह से बंद की गई सभी पेंशन फिर से शुरू की जाए और लापरवाह कर्मचारियों के
खिलाफ कार्रवाई की जाए। निखिल डे का कहना है कि मृतÓ या अन्यÓ की श्रेणी में गलत तरीके से डाले गए लोगों को मुआवजा भी मिलना चाहिए। ऐसे मामले फिर से ना दोहराए जाएँ, इसके लिए सूचना एवं रोजगार अभियानÓ राज्य में जवाबदेही कानून की भी मांग उठा
रहा है।
राज्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नर अशोक खंडेलवाल और उनकी टीम ने राजस्थान में एक सर्वे कराया था। उन्होंने राज्य के छह मंडलों के छह गांवो में यह सर्वे किया था। कुल 570 घरों में सर्वे किया गया। इनमें रह रहे कुल 2,646 लोगों में से 130 को पेंशन मिली। यह आंकड़ा कुल आबादी का पांच फीसदी से भी कम है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 60 वर्ष से अधिक उम्र 6.15 फीसदी लोग हैं। पिछले वर्ष दिसंबर में समाज कल्याण विभाग से एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें पेंशन रोकने के 25 कारण दिए गए थे। इसमें बैंक संबंधित गलत जानकारी और मौत जैसे कई कारण थे। एमकेएसएस के निखिल डे ने कहा कि बैंक संबंधी जानकारी गलत होने की स्थिति में पेंशन बंद करना सही नहीं है।
राज्य के समाजिक न्याय मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने कहा, जब मैंने कार्यभार संभाला तब केवल 53 लाख लोगों को पेंशन मिलती थी। अब इस संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। हमने किसी की पेंशन नहीं रोकी है। हम केवल पेंशन भोगियों की सूची की जांच कर रहे हैं। पेंशन भोगी के तौर पर कुल 68 लाख लोग रजिस्टर हैं, लेकिन केवल 58.08 लाख लोगों को ही पेंशन मिलती है। लेकिन पीडि़त दो लाख लोगों की पेंशन कैसे रोकी गई यह कोई बताने को तैयार नहीं है।
पेंशन में भी भारी विसंगतियां
राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तौर पर लोगों को मात्र 500 सौ रुपए दिए जाते हैं। वहीं गोवा में वृद्ध और विकलांगों को 3,000 रुपये की मासिक पेंशन मिलती है। राजस्थान में 75 वर्ष के हो जाने पर किसी भी वृद्ध को 750 रुपये पेंशन के तौर पर मिलते हैं। इतने रुपयों में किसी ठीक-ठाक जगह पर दो लोगों के लिए खाना भी नहीं आएगा। राज्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नर अशोक खंडेलवाल ने कहा कि गोवा अकेला ऐसा राज्य नहीं है जो अपने यहां के वृद्धों को ठीक-ठाक पेंशन देता है। दिल्ली और हरियाणा में हर महीने वृद्धों को 2,000 रुपये की पेंशन मिलती है।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी