01-Aug-2016 09:07 AM
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मध्यप्रदेश में कांग्रेस को जितना डर भाजपा से नहीं है उससे कहीं ज्यादा उसे अपनों की गुटबाजी का डर सता रहा है। इसलिए पार्टी के कुछ विधायकों ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर सबसे पहले गुटबाजी के दाग को खत्म करने की गुहार लगाई। बताया जाता है कि राहुल गांधी ने भी माना है कि पार्टी में दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव के कारण गुटबाजी चरम पर है। इसलिए प्रदेश में सबसे पहले इन नेताओं की जगह नए चेहरों को महत्व देने को कहा गया है।
दरअसल आलाकमान के पास यह रिपोर्ट पहुंची है कि प्रदेश के जिन चुनावों में ये दिग्गज नेता प्रचार के लिए नहीं जाते हैं उनमें से अधिकांश में पार्टी को निश्चित जीत मिलती है। इसके उदाहरण के तौर पर मैहर, मंडीदीप और ईसागढ़ स्थानीय निकायों को प्रस्तुत किया गया है। इन चुनावों के नतीजे राजनीतिक तौर पर ज्यादा अहमियत भले न रखते हों, मगर इन नतीजों ने एक नई बहस को जन्म जरूर दे दिया है, क्योंकि तीनों ही स्थानों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। सत्तारूढ़ पार्टी की यह हार बड़ी इसलिए मानी जा रही है, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कई मंत्रियों की सक्रियता सफल नहीं हो पाई। बताया जाता है कि इन चुनावों में कांग्रेस जिस एकरूपता से लड़ी उसके आगे सत्ता का सामथ्र्य भी छोटा हो गया। अब कांग्रेस की रणनीति यह है कि वह पार्टी को गुटबाजी से बचाने के लिए यह कोशिश करेगी कि वरिष्ठ नेता केवल रणनीति बनाए और स्थानीय नेता उसका अनुपालन करें और करवाएं।
इसलिए मिशन 2018 के मद्देनजर कांग्रेस अब गुटबाजी का दाग धोने में जुटेगी। एकजुटता बनाने के लिए सभी दिग्गजों को सख्त हिदायत देने के साथ जिला और शहर इकाइयों में खेमेबाजी करने को भी चिन्हित करने को कहा गया है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस अब पुराने चेहरों की जगह किसी नए चेहरे को आगे बढ़ा सकती है। हालांकि यह कौन होगा, यह अभी तय होना बाकी है। पर कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी की प्रदेश के युवा विधायकों व कुछ चुनिंदा युवा पदाधिकारियों के साथ जिस तरह की मंत्रणा हुई है, उससे साफ है कि कांग्रेस आने वाले दिनों में किसी युवा व तेज-तर्रार चेहरे को आगे कर सकती है। वैसे भी प्रदेश में 2018 में विधानसभा चुनाव होने है, ऐसे में प्रदेश के युवा विधायकों की राहुल गांधी के साथ हुई इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक राहुल गांधी ने इस दौरान प्रदेश के युवा विधायकों व पदाधिकारियों से मिशन 2018 को लेकर भी बातचीत की है। साथ ही यह समझा है कि प्रदेश में पार्टी कैसे इस चुनाव को जीत सकती है। इस दौरान उन्होंने कुछ विधायकों से रणनीतिक तौर पर भी बातचीत की है। पार्टी पदाधिकारियों की मानें तो राहुल गांधी ने जिस तरह से युवा विधायकों से मुलाकात को लेकर रूचि दिखाई है, उससे साफ है आने वाले दिनों कुछ बड़ा धमाका हो सकता है।
इसी बीच राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे पार्टी के कुछ विधायकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनकी मुलाकात काफी उत्साहजनक रही है। प्रदेश को लेकर राहुल गांधी प्लानिंग कर रहे है। विधायकों व पार्टी पदाधिकारियों के साथ चर्चा में उन्होंने पूरे समय यही जानने की कोशिश की। साथ ही यह जानना चाहा, कि कौन कितना सक्रिय रहता है।
माना जा रहा है कि राहुल गांधी की युवा विधायकों के साथ मुलाकात के बाद प्रदेश कांग्रेस की राजनीति भी बदलेगी। क्योंकि प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में अब तक कुछ ही दिग्गज चेहरों के नाम लिए जाते है। इनमें कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्गविजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया आदि प्रमुख नाम शामिल है।
कहीं दिग्गी की रणनीति तो नहीं
प्रदेश में जिस तरह कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की हवा चल रही है ऐसे में इनके कदम रोकने के लिए कहीं दिग्विजय सिंह ने तो यह चाल नहीं चली है। क्योंकि दिग्विजय सिंह अरुण यादव को प्रदेश अध्यक्ष बने रहने की वकालत कर चुके हैं। राहुल गांधी से मुलाकात करने वालों में जयवर्धन सिंह, हनी बघेल, सौरभ सिंह, जीतू पटवारी, रजनीश सिंह, नीलेश अवस्थी सहित करीब 18 लोग शामिल थे। इनमें प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव, उपाध्यक्ष अशोक सिंह भी शामिल थे।
-भोपाल से अरविंद नारद