विश्वरूपम पर बेबुनियाद विवाद
04-Feb-2013 07:27 AM 1234767

कमल हासन की फिल्म विश्वरूपम की आग उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम चारों दिशाओं में फैल गई है। बल्कि यूं कहें कि विश्व व्यापी हो चुकी हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस विवाद के मूल में हैं फिल्म के कुछ संवाद जिनमें कमल हासन ने कथित रूप से देश के सबसे बड़े समुदाय मुसलमानों को लेकर कथित रूप से कोई नकारात्मक टिप्पणी की है। क्योंकि फिल्म किसी ने देखी नहीं है। इसलिए कयास भर लगाए जा रहा है। कहां जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, लेकिन वे सीन और शब्द क्या हैं किसी को भी नहीं मालूम। उन्हें भी नहीं जिन्हें इस फिल्म का विरोध करना है और उन्हें भी नहीं जो इस फिल्म की आड़ में सांप्रदायिकता तथा तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं।
दुख की बात तो यह है कि यह विवाद एक बेहतरीन अभिनेता की फिल्म के साथ हो रहा है जो नैसर्गिक रूप से एक बहु आयामी कलाकार है और जो धर्म, समाज आदि की सीमाओं से परे होकर विशुद्ध मनोरंजक फिल्म बनाता रहा है, लेकिन तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता इस बहाने अपने पुराने पापों को धोना चाहती है जो उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर किए थे। वे मोदी के निकट भी आना चाहती हैं और अपने राज्य के मुसलमानों को यह विश्वास भी दिलाना चाहती हैं कि वे मुस्लिमों के साथ हैं। इसीलिए जब उनके कुछ सिपहसालारों ने इस फिल्म के बारे में नकारात्मक टिप्पणी की तो जयललिता को लगा कि यह मौका राजनीतिक लाभ लेने का है और उन्होंने फिल्म के प्रतिबंध के आदेश दे दिए। हालांकि कहानी यह भी है कि कमल हासन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के करीबी हैं और उनके प्रशंसक भी है। लिहाजा जयललिता कमल हासन से अपनी पुरानी दुश्मनी निकाल रही हैं क्योंकि उन्हें कमल हासन से हमेशा खुन्नस बन रहती है। फिल्म का राजनीतिक विवाद में पडऩा दुखद है। यदि इसमें कोई आपत्तिजनक बात होती तो सेंसर बोर्ड पहले ही उसे सूंघ लेता। (सेंसर बोर्ड के सेंसरÓ कंट्रोवर्सी सूंघने में माहिर हैं भले ही अश्लीलता पर उनके दोहरे मापदंड हों) सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि जिस फिल्म को सेंसर बोर्ड की हरी झंडी मिल जाती है उसे किसी भी राज्य में प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता, किंतु इसके बाद भी विश्वरूपम के प्रदर्शन पर मद्रास हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है जो समझ से परे है। कहा जाता है कि जिस एक सदस्यीय बेंच ने फिल्म रिलीज करने की मंजूरी दी थी उसने कमल हासन से आपत्तिजनक दृश्य हटाने का कहा था जिसे कमल हासन ने मान भी लिया था, लेकिन बाद में दो सदस्यीय बेंच ने फिल्म पर रोक क्यों लगाई। यह बड़ा आश्चर्य  का विषय है। बहरहाल इस रोक ने विश्वरूपम फिल्म को विश्व व्यापी पब्लिसिटी तो दे ही दी है।
कमल हासन ने इस फिल्म के लिए अपनी जायदाद गिरवी रख दी थी और उनके घर के भी गिरवी होने का कहा जा रहा है पर अब यह तय है कि विवाद के बाद भारत नहीं तो विदेशों से कमल हासन को अच्छा खासा मुनाफा होने वाला है, लेकिन मुनाफे से अलग यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम ही कहा जाएगा क्योंकि इस घटनाक्रम के बाद भावुक हो चुके कमल हासन ने देश छोडऩे की धमकी भी दी थी उनका कहना था कि वे ऐसे धर्मनिरपेक्ष देश में नहीं रहना चाहते जहां धर्म निरपेक्षता का अर्थ ही सही न हो। खास बात यह है कि कलाजगत ने कमल हासन का साथ दिया है। रजनीकांत सहित कई अभिनेता कमल हासन के पक्ष में लामबंद हो गए हैं। उधर अभिनेता सलमान खान ने तो यह तक कहा है कि इस फिल्म को देखने के लिए लोगों को विद्रोह करना चाहिए और सिनेमाघरों में जाकर मांग करनी चाहिए कि वे इस फिल्म को जरूर दिखाएं, लेकिन राजनीतिक संसार से कमल हासन के प्रति कोई विशेष सांतवना भरी खबर नहीं है। किसी भी राजनीतिक दल ने आगे बढ़कर कमल हासन का साथ नहीं दिया। बल्कि बहुत से राजनीतिक दल तो इस विवाद से राजनीतिक लाभ लेने की तैयारी में हैं। जिनमें समाजवादी पार्टी सबसे आगे है। पार्टी के सूत्रों ने कहा है कि उत्तरप्रदेश में इस फिल्म को देखने समझने के बाद ही जारी किया जाएगा। वितरकों ने भी फिल्म के विवाद को देखते हुए अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। हालांकि कलाजगत की आलोचना के बाद जयललिता के रुख में कुछ बदलाव देखने को मिला है पर यह मामला अब उतना आसान नहीं रहा जितना की इसे समझा जा रहा है। इस विवाद ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है। फिल्म के प्रतिबंध का विरोध कर रहे लेगों का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर फूहड़ता का विरोध तो किया जा सकता है, लेकिन किसी मुद्दे को समझे बगैर अनावश्यक विरोध करना और लोगों की भावनाओं को भड़काना अनुचित है। मुंबई में एक वरिष्ठ फिल्मकार ने विरोध करने वालों से पूछा है कि क्या उन्होंने फिल्म देखी है।
यह पहला मौका नहीं जब विवादास्पद फिल्मों पर राजनीति की जा रही है। दीपा मेहता की फिल्म वाटर के समय भी इसी तरह का विवाद सारे देश में दक्षिणपंथी संगठनों ने खड़ा कर दिया था। इसी कारण दीपा मेहता को फिल्म की शूटिंग ही अलग जगह करनी पड़ी थी।
कुमार राजेंद्र

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