ठाकरे परिवार की स्याह तस्वीर
01-Aug-2016 08:58 AM 1234833
शिवसेना, बाला साहेब ठाकरे, और मातोश्री, ये वो नाम हैं जिनकी महाराष्ट्र की सियासत में एक अलग पहचान है। शिवसेना, बाल ठाकरे और मातोश्री की अहमियत क्या है महाराष्ट्र में ये किसी को बताने की जरूरत नहीं है लेकिन आजकल ठाकरे परिवार में बाला साहेब ठाकरे की वसीयत को लेकर जमकर घमासान मचा हुआ है, बेटों के बीच संपत्ति को लेकर विवाद इतना बढ़ा है कि मामला हाईकोर्ट पहुंच गया जहां पर जयदेव ने जो बयान दिया है उसने पूरे महाराष्ट्र में सनसनी फैला दी है। सुनवाई के दौरान जयदेव ने ऐश्वर्य को अपना बेटा मानने से इंकार कर दिया। किसी को उम्मीद नहीं थी कि महाराष्ट्र के सबसे सम्मानित ठाकरे परिवार में बाला साहेब ठाकरे की वसीयत को लेकर घमासान इस मोड़ पर पहुंच जाएगा। जयदेव ने अपने पिता की वसीयत को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है और इसी की सुनवाई के दौरान उन्होंने ये खुलासा किया। हालांकि ठाकरे भाईयों के बीच जारी संघर्ष जयदेव की तरफ से कोर्ट को बताए गए खुलासे से जुड़ा नहीं है। उनका बयान उनकी पूर्व पत्नी स्मिता ठाकरे और बेटे ऐश्वर्य के बारे में है जिसे उनका बेटा भी माना जाता है। जयदेव ने 20 जुलाई को कोर्ट को बताया कि ऐश्वर्य वास्तव में उनका बेटा नहीं है। जयदेव को बाल ठाकरे की वसीयत में कुछ नहीं मिला जबकि ऐश्वर्य को मातोश्री में एक पूरा फ्लोर दिया गया। जबकि अधिकांश प्रॉपर्टी उद्धव को मिल गई। जयदेव ने कहा कि उनकी पहली पत्नी स्मिता के साथ लगातार होने वाले लड़ाई झगड़े की वजह से उन्हें 1999 में मातोश्री से बाहर निकलना पड़ा। स्मिता हालांकि तलाक तक यानी 2004 तक मातोश्री में रहीं। स्मिता इस दौरान राजनीति में भी रही और उन्हें फिल्म प्रोडक्शन में भी नाम बनाया। 1999 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, मेरे पति दूसरी महिलाओं के प्रति आकर्षित थे। उन्होंने मुझे और मेरे बच्चे को छोड़ दिया। मुझे अपना भविष्य में अंधकारमय दिख रहा था। इस वक्त में मेरे ससुर ने मेरा साथ दिया और उन्होंने मुझे घर में रहने के लिए कहा। हम सब जानते हैं कि बाल ठाकरे और विवाद साथ-साथ चलते रहे हैं। उनकी मृत्यु के चार वर्ष बाद उनका उत्तराधिकार भी विवादों में घिरता नजर आ रहा है। दरअसल इस पूरे विवाद की जड़ है बाला साहेब ठाकरे की वो वसीयत जिसमें उन्होंने जयदेव ठाकरे को कोई हिस्सा नहीं दिया। 17 नवंबर 2012 को अपनी मौत से पहले बाल ठाकरे ने जो वसीयत तैयार करवाई थी उसके मुताबिक मातोश्री में जो तीन मंजिलें हैं उसमे से ग्राउंड फ्लोर शिवसेना के कामों के लिए इस्तेमाल होगा पहली मंजिल को पोते ऐश्वर्य को दिया है जबकि  दूसरी और तीसरी मंजिल उद्धव ठाकरे को मिली है इसके अलावा  दूसरी चल-अचल संपत्ति का बंटवारा भी ऐश्वर्य, स्मिता ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच किया है। दूसरे नंबर के बेटे जयदेव ठाकरे को इस वसीयत के मुताबिक संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिला है। जयदेव ने स्वर्गीय बाला साहेब ठाकरे की इसी वसीयत को कोर्ट में चुनौती दी है। बाला साहेब ठाकरे के तीन बेटे थे जिसमें से बड़े बेटे बिंदुमाधव की 1996 में एक हादसे में मौत हो चुकी है दूसरे नंबर के बेटे जयदेव हैं जिनकी तीन शादियां हो चुकी हैं। पहली शादी जयंती कालेकर से हुई थी जिससे एक बेटा है जबकि दूसरी शादी स्मिता ठाकरे से हुई थी जिनसे तीन संतानें राहुल, आदित्य और ऐश्वर्य  हैं। इसके अलावा स्मिता से तलाक के बाद जयदेव ने तीसरी शादी अनुराधा से की थी जिससे उनकी एक बेटी है। पिता के जिंदा रहने तक जयदेव मातोश्री भी जाते थे लेकिन रात कभी नहीं रुके। ठाकरे परिवार महाराष्ट्र का एक सम्मानित परिवार है और संपत्ति विवाद को लेकर कोर्ट नहीं चाहता है कि सार्वजनिक बहस हो इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने अब आगे से इस पूरे मामले की सुनवाई बंद कैमरे में करने का फैसला लिया है। 18 जुलाई से जयदेव बंबई हाईकोर्ट में लगातार गवाह के तौर पर पेश हो रहे हैं जबकि उनके छोटे भाई उद्धव ठाकरे के वकील उनसे सवाल तलब कर रहे हैं। जयदेव ने 2013 में अपने पिता की वसीयत को लेकर याचिका दायर की थी जिसे 2012 में सार्वजनिक किया गया था। ठाकरे की मौत के बाद उनका वसीयतनामा सार्वजनिक किया गया था। ऐश्वर्य के लिए ठाकरे की दरियादिली ऐश्वर्य को जो संपत्ति मिली वह वसीयत में मौजूद विसंगति की तरफ इशारा करती है। जयदेव, उनके दूसरे बेटे और उद्वव के बेटे को भी वसीयत में कुछ नहीं मिला। यहां तक कि बाल ठाकरे के सबसे बड़े बेटे बिंदु माधव को भी कुछ नहीं मिला। वसीयतनामे में मातोश्री, करजत का फॉर्महाउस, बांद्रा में एक प्लॉट और बैंक डिपॉजिट का जिक्र किया गया था। उद्धव और उनके सहयोगियों ने इन सबकी कीमत 14.85 करोड़ रुपये लगाई थी। जयदेव का कहना है कि उनके पिता संपत्ति में उन्हें हिस्सा देना चाहते थे क्योंकि उनकी संपत्ति में वाजिब हिस्सेदारी बनती थी। वह दोनों ठाकरे बंधुओं से बड़े हैं इसलिए हिंदू उत्तराधिकार एक्ट के तहत अपने पिता की संपत्ति में उनकी हिस्सेदारी बनती है। -मुंबई से बिन्दु माथुर
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