18-Jul-2016 08:41 AM
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देश की राजनीति में ग्वालियर के सिंधिया परिवार का सर्वदा वर्चस्व रहा है। खासकर मप्र में तो इस राजघराने का राजनैतिक हस्तक्षेप बराबर रहता है, चाहें सरकार भाजपा की रहे या कांग्रेस की। इस कारण ग्वालियर-चंबल संभाग में इस परिवार का एकक्षत्र राज्य चलता है। लेकिन अब इस राज घराने के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए संघ ने सधे कदमों से चाल चल दी है। इसके लिए ग्वालियर के सिंधिया परिवार के कट्टर विरोधी जयभान सिंह पवैया के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद मुख्यमंत्री ने गुना एवं अशोकनगर जिले का प्रभार सौंपा है। इसके पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि पवैया को कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की घेराबंदी में लगाया गया है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में पवैया ने सिंधिया को कड़ी टक्कर दी थी। इसकी भी पूरी संभावना है कि अगले लोकसभा चुनाव में पवैया को सिंधिया के खिलाफ फिर उतारा जाए।
ज्ञातव्य है कि जयभान सिंह पवैया बजरंग दल के राष्ट्रीय पदाधिकारी रहे हैं, ग्वालियर-चंबल में पवैया ने ही सबसे पहले महल के खिलाफ बोलना शुरू किया था। पवैया सिंधिया परिवार पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। कई बार ऐसी स्थिति भी बनी जब पवैया ने वरिष्ठ भाजपा नेत्री यशोधरा सिंधिया की मौजूदगी में ही सिंधिया परिवार को निशाना बनाया। पिछले लोकसभा चुनाव में पवैया ने सिंधिया परिवार पर जमकर हमला बोला। यही कारण रहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पहली बार शिवपुरी शहर से हार का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके कि शिवपुरी से यशोधरा सिंधिया विधायक हैं। हालांकि गुना और अशोनगर में पवैया को सिंधिया से हार का सामना करना पड़ा। यही कारण है कि अब पवैया को इन दोनों जिलों का प्रभार सौंपा गया है। जिससे प्रभारी मंत्री के रूप में पवैया सिंधिया के गढ़ में सेंध लगा सकें। यदि पवैया अपना जनाधार बढ़ाने में कामयाब हो जाते हैं तो सिंधिया के खिलाफ भाजपा के टिकट पर अगला लोकसभा चुनाव भी पवैया ही लड़ेंगे।
बहरहाल, मंत्रिमंडल विस्तार और मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे के बाद से ग्वालियर-चंबल की राजनीति के समीकरण बदले हैं। क्योंकि प्रदेश सरकार में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से पहले उद्योग मंत्रालय छीना गया फिर होशंगाबाद जिले का प्रभार छीन लिया गया। इसके बाद से यशोधरा काफी नाराज चल रही हैं, वे अपने बयानों के जरिए नाराजगी जाहिर कर रही हैं। यहां बता दें कि यशोधरा की भी पवैया से कभी नहीं बनी है। भाजपा की राजनीति को जानने वाले बताते हैं कि पार्टी में जिस तरह राज घराने का वर्चस्व बढ़ रहा है उसे कंट्रोल करने के लिए पवैया को आगे बढ़ाया जा रहा है। पवैया के बढ़े कद से यशोधरा के साथ ही माया सिंह भी अचंभित हैं। इसका नजारा हाल ही की कई बैठकों में देखने को मिला। जहां तीनों में अबोला की स्थिति बनी रही।
दरअसल, भाजपा और संघ एक तीर से कई शिकार करने में लगे हुए हैं। जहां एक तरफ राज घराने को कंट्रोल करना है वहीं ग्वालियर-चंबल संभाग में नए राजनीतिक समीकरण बनाना है ताकि राजघराने के बिना भी क्षेत्र में भाजपा का परचम लहराता रहे। इसके लिए महल के पुराने राजनैतिक विरोधी उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया को सिंधिया के संसदीय क्षेत्र के दो जिलों गुना एवं अशोकनगर का प्रभारी बनाकर उनका गढ़ ढहाने की तैयारी कर ली है।
ग्वालियर के बाद अब शिवपुरी की बारी
वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में जब माधवराव सिंधिया के खिलाफ चुनाव लडऩे भाजपा का कोई नेता तैयार नहीं हो रहा था, उस समय पवैया को मैदान में उतारा गया था। उन्होंने उस चुनाव में खुलकर सिंधिया परिवार का विरोध किया, इसके चलते माधवराव सिंधिया को भी खासी मेहनत करनी पड़ी थी। जब चुनाव परिणाम आया तो माधवराव सिंधिया भी चकित रह गए थे, उनकी मात्र 26 हजार वोट से जीत हुई थी। 1999 में फिर लोकसभा चुनाव हुए। इसमें माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर को छोड़कर शिवपुरी-गुना से चुनाव लडऩे का फैसला किया। पवैया को फिर मौका दिया गया तो वह सांसद चुन लिए गए थे। पिछले चुनाव में पवैया को ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ शिवपुरी-गुना से लड़ाया गया था, लेकिन सफल नहीं हो सके थे। लेकिन राज्य सरकार में मंत्री बनाने के साथ ही उनको सिंधिया के गढ़ में प्रभारी बनाकर भाजपा ने उन्हें सिंधिया घराने को शिवपुरी से भी बेदखल करने की तैयारी की है। देखते हैं कि पवैया कहां तक सफल होते हैं।
-अक्स ब्यूरो