कूनो में जल्द गूंजेगी गीर के शेरों की दहाड़
18-Jul-2016 07:50 AM 1235141
आने वाले समय में जल्द ही मप्र के कूनो पालपुर अभयारण्य में गुजरात के एशियाटिक लायंस (बब्बर शेर)की दहाड़ गूंज सकती है। इसके लिए दोनों राज्यों में सहमति बनती नजर आ रही है। दरअसल गुजरात के गीर अभयारण्य में एशियाटिक लायंस की संख्या बीते पांच साल में 27 प्रतिशत बढ़ी है और ताजा आकंड़े बताते हैं कि गीर के जंगलों फिलहाल 523 शेर हैं। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंसर्वेशन ऑफ नेचर यानी आईयूसीएन ने कभी पूरे मध्य एशिया में फैले इन शेरों की विलुप्त हो रही प्रजाति की सूची में शामिल किया है। लेकिन अब इनकी संख्या इतनी हो गई है कि इन्हें दूसरी जगह भी बसाने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में गुजरात सरकार की निगाह मप्र के कूनो पालपुर अभयारण्य पर है। मप्र और गुजरात के बीच एशियाई शेरों को लेकर विवाद करीब 34 साल पुराना है। इसकी शुरुआत उस समय हुई, जब केंद्र ने एक प्रोजेक्ट के तहत गुजरात से कुछ शेरों को मप्र के कूनो अभयारण्य में शिफ्ट करने को कहा। जिसे गुजरात ने देने से मना कर दिया। विवाद आज तक जारी है। लेकिन लगता है अब यह विवाद खत्म होगा और श्योपुर स्थित कूनो पालपुर अभयारण्य में एशियाटिक लॉयन  की नई बसाहट  होगी। गिर के शेर मप्र को देने पर गुजरात सरकार तैयार हो गई है। हालांकि इसकी वजह बढ़ती संख्या के चलते उनका हिंसक होना है। गुजरात में ऐसे 17 शेर पिंजरे में बंद किए गए हैं। वैसे मप्र को हिंसक नहीं, बल्कि शेरों का 16 सदस्यीय (10 शेर और 6 शेरनी) परिवार दिया जाएगा, जिसे एयर लिफ्ट करने की तैयारी हो रही है। शिफ्टिंग के मद्देनजर दिल्ली में हुई बैठक में रणनीति बनाई गई, जिसके तहत गुजरात के वन अधिकारी जल्द ही पालपुर अभयारण्य का दौरा करेंगे। सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में गठित एक्सपर्ट कमेटी की हाल ही में हुई 5वीं बैठक में गुजरात के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जमाल अहमद खान ने इस पर पहली बार खुलकर बात रखी। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने जब पालपुर के वातावरण पर संदेह जताया, तो मप्र के तत्कालीन चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन रवि श्रीवास्तव ने दौरा करने को कहा। खान ने शेर देने के लिए कूना को नेशनल पार्क बनाने की शर्त भी रखी है। इसके बाद शिफ्टिंग के मसले पर निरीक्षण सहित त्रिपक्षीय समझौते का मसौदा तय किया गया। इसकी पुष्टि खुद पीसीसीएफ श्रीवास्तव ने की है। उल्लेखनीय है कि बब्बर शेर की इस प्रजाति को बचाने के लिए केंद्र ने 1995 में शिफ्टिंग की रणनीति पर काम शुरू किया था। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की टीम ने सेटेलाइट की मदद से शेरों के अनुकूल जगह तलाशी थी, जिसमें कूनो सबसे मुफीद मिला तो राज्य सरकार ने 14 गांव के लोगों को शिफ्ट कर 2005 में इसे शेरों के लिए तैयार करा दिया, लेकिन तब से गुजरात शेर देने से इंकार करता रहा। शेरों के लिए प्रदेश सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं। केंद्र ने पहले पालपुर अभयारण्य का एरिया बढ़ाने को कहा था। राज्य सरकार ने 320 वर्ग किमी एरिया बढ़ाने की तैयारी की है। हफ्तेभर में इसका नोटिफिकेशन भी हो जाएगा। इसके बाद अभयारण्य का एरिया 665 वर्ग किमी होगा। इसमें दो गांव हैं, जिन्हें विस्थापित करेंगे। इस पर करीब 60 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 1412 वर्ग किमी का गिर पार्क अब शेरों के लिए छोटा पड़ रहा है। प्रति शेर 50 स्क्वेयर किमी के हिसाब से इतनी जगह में 270 लॉयन ही रह सकते हैं, जबकि पार्क में अभी 523 शेर और 300 तेंदुए हैं। इससे शेर-इंसान संघर्ष की घटनाएं बढ़ीं हैं। शेरों के मानव बस्ती में जाने की जनवरी से मई तक हुई पांच घटनाओं में तीन लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में 17 शेर पिंजरे में बंद किए गए हैं। इनमें से तीन मानवभक्षी निकले। इन हालात में गुजरात सरकार मजबूरी में शेरों को शिफ्ट करना चाहती है। अंतर्राष्ट्रीय संस्था चिंतित आईयूसीएन ने काफी पहले इसे दुर्लभ मानते हुए इनके संरक्षण पर जोर दिया था। इसीलिए शेरों की एक अलग बसाहट हेतु मप्र मेंं अभयारण्य तैयार हुआ। शेरों की आबादी बढऩे से इंसानों से उनके टकराव की संभावना भी बढ़ती है। पिछले पांच सालों में इस इलाके में 260 शेरों की मौतें हुई हैं। वन अधिकारी स्वीकार करते हैं कि इनमें से 20 फीसदी से अधिक मौतें आकस्मिक हैं। पिछले दो सालों में यहां 12 शेरों के हमले में 14 लोगों की मौत और 114 लोग घायल हुए हैं। इसको देखते हुए गुजरात सरकार ने मप्र को गीर के शेर देने के लिए हामी भर दी है। इससे संभावना जताई जा रही है की इस बार की सर्दियों में कूनों में शेरों की दहाड़ गूंजेगी। -इंदौर से नवीन रघुवंशी
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