मॉनसून सत्र में पास होगा जीएसटी बिल?
18-Jul-2016 07:42 AM 1234800
जब भी संसद का सत्र शुरू होता है जीएसटी की बात जोर-जोर से होने लगती है। अब पेश होगा तो अब पास होगा। जीएसटी के बारे में सुनते पढ़ते यही लगा कि यह भारत की कर प्रणाली की सभी समस्याओं का एकमुश्त समाधान है। गुड्स एंड सर्विस टैक्स बोलते हैं। इसे अब तक सबसे बड़ा कर सुधार बता कर पेश किया जा रहा है। अगर ऐसा है तो जीएसटी को लेकर बातों का दायरा भी व्यापक होना चाहिए। सरकार के दावों से लगता है कि वो इसे पास कराने के लिए जरूर सहमति और संख्या के बेहद करीब पहुंच चुकी है और अब इसे कानून बनने से कोई नहीं रोक सकता। जरूर यह एक जटिल विषय है मगर आजमा कर देखने में क्या हर्ज है। वैसे भी वित्त मंत्री कहते हैं कि जीएसटी से देश का आर्थिक एकीकरण होने वाला है। अभी भारत में पैदा होने वाले किसी भी माल पर केंद्र और राज्य मिलकर कई प्रकार के टैक्स लगाते हैं। जैसे सेल्स टैक्स, एक्साइज, चुंगी, वैट वगैरह। इन्हें आप अप्रत्यक्ष कर कहते हैं। जहां माल पैदा हुआ वहां टैक्स, जहां से बिकने या बनने गया तो रास्ते भर में नाना प्रकार की चुंगी और आपने खरीदा तो फिर टैक्स। व्यापारियों कारोबारियों के लिए कई विभागों और कागजों के झंझट का सामना करना पड़ता था। कई जगहों के बिजनेस डूब जाते थे और कई जगहों के चल पड़ते थे। जैसे गाजियाबाद में मशीन और मशीनरी पार्ट पर राज्य सरकार 14.5 प्रतिशत टैक्स लगाती है। इसी आइटम पर आस पास के कुछ राज्य पांच से सात प्रतिशत का टैक्स लगाते हैं। जिससे गाजियाबाद में इसका धंधा कमजोर हो जाता है क्योंकि लोग इस काम के लिए दूसरे राज्यों में चले जाते हैं। अब हमें यह नहीं मालूम कि अगर सभी जगह एक दर से टैक्स लगा दिया जाए तो सभी जगह मशीनरी का धंधा चमकेगा या किसी एक या दो जगह पर ही चमकेगा। जीएसटी लागू होगा तो एक ही बार और एक ही जगह टैक्स देना होगा। इससे पहले वैट और सर्विस टैक्स आया था तब भी उन्हें लेकर खूब सपने दिखाये गए थे। लेकिन अब सबको मिलाकर एक जीएसटी आ रहा है तो सपने भी एक हो गए हैं। टैक्स की उगाही बढ़ जाएगी और भारत की जीडीपी भी दशमलव नौ से डेढ़ से दो प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। जीडीपी बढऩे के पीछे दलील यह दी जाती है कि इस वक्त असंख्य कारोबार का कोई रिकॉर्ड नहीं है, लिहाजा जीडीपी का सही आंकलन नहीं हो पाता है। जीएसटी से जुड़े जानकार कहते हैं कि जो भी सेवाएं देते हैं चाहे वे व्यापारी हैं या उद्योगपति अगर उनका सालाना टर्नओवर दस लाख से अधिक है तो रिटर्न फाइल करना पड़ेगा। इससे सरकार के पास ज्यादा से ज्यादा वास्तविक आंकड़ा आएगा और करों की वसूली भी बढ़ जाएगी। लेकिन जो जीएसटी आ रहा है क्या वो वाकई एक दर और एक प्रकार की कर प्रणाली है। क्या वाकई जीएसटी के लागू होने के बाद सभी जगह समान कर लागू होंगे। अगर ऐसा है तो इसकी सूची में ये तीन अलग अलग नाम क्या कहते हैं। सेंटर जीएसटी, स्टेट जीएसटी, इंटर स्टेट जीएसटी। वित्त मंत्री ने इसे आर्थिक एकीकरण कहा है तो फिर तीन प्रकार की जीएसटी क्यों हैं। एक प्रकार की क्यों नहीं है। आलोचकों का कहना है कि तीन प्रकार की जीएसटी के कारण अब व्यापारी का असेसमेंट भी तीन जगहों पर देखा जाएगा। जैसे पहले चल रहा था वैसे ही अब भी चलेगा। आलोचकों का कहना है कि एक ही रिटर्न फाइल करनी होगी लेकिन उसकी जांच कम से कम दो या तीन अधिकारी केंद्र या राज्य के स्तर पर करेंगे। कहीं व्यवस्था वही तो नहीं रहेगी। क्या वाकई विभागों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिल जाएगी। सोना, चांदी और विलासिता पर जीएसटी अलग होगी। आम जनता से जुड़ी चीजों पर जीएसटी अलग होगी। अगर रेट का झंझट जीएसटी में रहेगा तो फिर जीएसटी का क्या फायदा। -सुनिल सिंह
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