18-Jul-2016 06:53 AM
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रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा आदमी को आनंद की आवश्यकता होती है। पूरी दुनिया आज आनंद की खोज में है। इस आनंद को जन-जन तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार आनंद विभाग का गठन करने जा रही है। इसके तहत योग, ध्यान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। ताकि आपाधापी के इस दौर में लोग कुछ समय आनंद से व्यतीत कर सकें। इसके लिए सरकार योग गुरू जग्गी वासुदेव सहित अन्य संत महात्माओं का सहयोग लेगी।
आपको बता दें कि इस तरह का मंत्रालय बनाने वाला मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य है। हालांकि दुनिया के कई देशों जैसे-भूटान, बेनेजुएला, यूएई में आनंद मंत्रालय बन चुके हैं। वर्ष 2016 की वल्र्ड हैप्पीनेस रपट के मुताबिक डेनमार्क सबसे प्रसन्न देश है। भूटान भी वह देश है, जो हैप्पीनेस मंत्रालय के कारण चर्चा में रहा है। इन्हीं की तर्ज पर अब मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर आनंद विहार बनाया जा रहा है।
आनंद मंत्रालय का विभाग आनंद की अवधारणा का क्रियान्वयन और सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करने का काम करेगा। विभाग यह अनुसंधान भी करेगा कि किस तरह लोगों के जीवन में आनंद लाया जाए। आनंद मंत्रालय को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि मध्य प्रदेश की जनता के चेहरे मुस्कुराते रहें। जिन्दगी बोझ नहीं, वरदान लगे। इसके लिए प्रदेश में आनंद मंत्रालय का गठन किया जा रहा है। इसमें रोटी, कपड़ा, मकान, आध्यात्म, योग और ध्यान के साथ ही कला, संस्कृति और गान भी होगा। मुख्यमंत्री कहते हैं कि मैं जब भी विचार करता हूं तो यह तथ्य सामने आता है कि भौतिक सुख-सुविधाओं से आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती। इनसे सुख मिल सकता है, लेकिन आनंद नहीं है। आनंद कुछ और बड़ी एवं गहरी अनुभूति है। हमारे देश में युगों से मनीषियों एवं चिंतकों ने इस दिशा में गहरा चिंतन किया। योग और ध्यान जैसी कुछ अनूठी विधियां भी विकसित कीं, जो मनुष्य को आनंद की प्राप्ति में सहायक होती रही हैं। हमारे मनीषियों का मानना है कि आनंद बाहर से नहीं आता, वह हमारी सहज और स्वाभाविक अवस्था है। इसे विभिन्न परिस्थितियों तथा हमारे अपने मनोविकारों ने दबा दिया है।
मुख्यमंत्री कहते हैं कि ईष्र्या, राग, द्वेष, क्रोध, मत्सर, लोभ, अहंकार आदि मानस रोग आनंद की प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा हैं। इन मानस रोगों से छुटकारा पाते ही मनुष्य के अंदर सहज ही सदा रहने वाले आनंद के सोते फूट पड़ते हैं। इन मानसिक व्याधियों को दूर करने में योग, ध्यान, प्राणायाम, भक्ति, अध्ययन, संगीत, खेलकूद आदि सहायक होते हैं। इसी उद्देश्य से आनंद मंत्रालय बनाने का विचार हमारे मन में आया है। समाजशाास्त्री डॉ. एसएन चौधरी सरकार की इस पहल को एक अच्छा कदम बताते हैं। वह कहते हैं, लेकिन इसके लिए गंभीर प्रयास की जरूरत होगी, समाज से जुड़े उन लोगों की मदद लेनी होगी, जो समाज को समझते हैं।
आनंद मंत्रालय की ऐसी होगी रूपरेखा
इस विभाग को बनाने के लिए 3.80 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है। आनंद मंत्रालय में राज्य सरकार ने 30 लोगों का स्टाफ नियुक्त करने की तैयारी की है। विभाग में पदों की भर्ती के लिए 3 करोड़ 80 लाख रुपए का खर्च आएगा। इसमें चेयरमैन से लेकर सीईओ और काम करने वाला स्टाफ शामिल होगा। विभाग पहले यह रिसर्च करेगा कि किस तरह लोगों के जीवन में आनंद लाया जा सकता है। इसमें आम लोगों से भी राय ली जाएगी जो ऑनलाइन भी हो सकती है और सर्वे के जरिए भी। सरकार लोगों से सुझाव मांगेगी कि वे खुद बताएं कि इस विभाग में वे और क्या चाहते हैं।
विभाग क्या करेगा?
विभाग आनंद को मेजर करने के लिए पैरामीटर्स की पहचान और उन्हें डिफाइन करने का काम करेगा। राज्य में आनंद को फैलाने की दिशा में विभागों के बीच समन्वय के लिए गाइडलाइंस तैयार करेगा। विभाग आनंद के कॉन्सेप्ट की प्लानिंग, पॉलिसी फॉर्मुलेशन और इम्प्लिमेंटेशन प्रॉसेस को मेन स्ट्रीम में लाने का भी काम करेगा। आनंद के अहसास के लिए एक्शन-प्लान और इसकी एक्टिविटीज भी तय करेगा। समय-समय पर आनंद के पैरामीटर्स पर स्टेट के लोगों के मूड का एसेसमेंट करेगा। आनंद की स्थिति पर सर्वे रिपोर्ट तैयार कर उसे पब्लिश करने का काम भी करेगा।
-राजेंद्र आगाल