06-Jul-2016 08:32 AM
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मप्र में जिस वाणिज्यिक कर विभाग को टैक्स चोरी करने वाले व्यापारियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है उसी विभाग के अधिकारी कालाबाजारी करने वाले व्यापारियों के साथ सांठगांठ कर सरकार को हर साल करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं। अधिकारी इतने शातिराना अंदाज से इस काम को अंजाम देते हैं कि वरिष्ठ अधिकारी भी उनकी शातिर चाल को समझ नहीं पाते हैं। और जो समझ जाते हैं उन्हें पैसे के दम पर चुप कर दिया जाता है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि प्रदेश में सेल्स टैक्स चोरी करने वालों के हौसलें बलंद हैं। विभाग में किस तरह सेल्स टैक्स चोरी करने वालों के साथ सांठगांठ की जा रही है इसका खुलासा कुछ वकीलों ने किया है। दरअसल ये वकील राजधानी में कुछ व्यापारी संगठनों के यहां की गई छापेमारी के बाद सेल्स टैक्स विभाग की कार्यवाही पर आपत्ति दर्ज कराने विभाग के एक अधिकारी के पास पहुंचे थे। इन वकीलों की शिकायत थी कि जब भी वाणिज्यिक कर विभाग किसी व्यापारिक संगठन पर छापा मारता है तो वह स्वयं व्यापारियों को सलाह देता है कि अमुक वकील को अपना केस सौंप दो वह सब सेटल कर देगा। इससे अन्य वकीलों में रोष है। क्योंकि जिन व्यापारी संगठनों के अदालती कार्य वे देखते हैं छापे के बाद उन व्यापारिक संगठनों को भी मजबूर होकर वाणिज्यकर अधिकारियों द्वारा सुझाए गए वकील को अपना केस देना पड़ता है। इस व्यवस्था का विरोध कर रहे वकीलों का कहना है कि छापे के बाद जब व्यापारी को उसके टैक्स चोरी का आंकलन करने के लिए बुलाया जाता है तो उस समय स्कू्रटनी अधिकारी के साथ उक्त अधिकारी भी रहते हैं। वही व्यापारी को अपनी पसंद के वकील का नाम सुझाते हैं। वकीलों ने राजधानी में ऑटो मोबाइल और इलेक्ट्रानिक प्रतिष्ठिानों सहित करीब दर्जनभर प्रतिष्ठानों का नाम लेकर दावा किया कि जितने छापे मारे गए उनमें वाणिज्यकर विभाग के अधिकारियों द्वारा इसी तरह किया गया है।
वकील आरोप लगाते हैं कि दरअसल वाणिज्यिक कर अधिकारियों, वकीलों के बीच सांठगांठ है। जिससे छापे के बाद व्यापारियों के साथ सेटिंग कर सरकार को हर साल सुनियोजित तरीके से करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। इसमें विभाग के अधिकारी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। जब इस संदर्भ में उक्त अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि क्या आपको वकीलों द्वारा लिखित में दिया गया है। यह सब बोगस है। मैं आपकी आवाज भी टेप कर रहा हूं। आप आकर मुझसे मिलें।
उधर विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि छापेमारी से लेकर स्क्रूटनी तक पूरा काम नियम विरुद्ध किया जा रहा है। बताया जाता है कि नियम है कि जब भी किसी व्यापारिक संगठन पर वाणिज्यकर विभाग छापामार कार्रवाई करे तो उसकी वीडियो रिकार्डिंग होनी चाहिए। कोशिश यह कहनी चािहए कि छापे में जब्त कागजातों की मौके पर ही जप्ती बनानी चाहिए। लेकिन ऐसा न करके विभाग के अधिकारी सारे कागजात और डायरियां लेकर अपने कार्यालय पहुंच जाते हैं। बाद में व्यापारी को तलब किया जाता है और उससे सेटिंग करके टैक्स का आंकलन किया जाता है। ऐसा प्रकरण पेपटेक हाउसिंग सोसायटी छतरपुर में सामने आ चुका है। विभाग के अधिकारी उसी तरीके से काम कर रहे हैं और व्यापारियों पर टैक्स चोरी की पेनाल्टी लगाने की बजाए उनसे लेनदेन करके छापे की कार्रवाई पर लीपापोती कर रहे हैं।
तू डाल-डाल मैं पात-पात
छतरपुर और सतना में मेसर्स पेपटेक हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड के टैक्स चोरी मामले में वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने तू डाल-डाल मैं पात-पात की तर्ज पर आयुक्त वाणिज्यिक कर को लिखित में निर्देश दिया है कि वे सहायक आयुक्त यूएस बैस से संबंधित चार्जशीर्ट की फाईल उन्हें (बैस) दिखाएं। दरअसल प्रमुख सचिव ने यूएस बैस से संबंधित फाईल को वाणिज्यिक कर आयुक्त से कइयों बार मांगी, लेकिन उन्होंने उक्त फाईल उन्हें मुहैया नहीं कराई। अब प्रमुख सचिव ने उक्त फाईल को बैस को दिखाने को कहा है ताकि वे उसके आधार पर विभाग को अपना जवाब दे सकें। अब देखना यह है कि प्रमुख सचिव के कहने पर आयुक्त वाणिज्यिक कर उक्त फाईल बैस को दिखाते हैं या नहीं। उल्लेखनीय है कि बैस, अपर आयुक्त जेएस गुप्ता, पूर्व सहायक आयुक्त टीसी वैश्य के कारण सरकार को 10 करोड़ का चूना लगा है। अब तक हुई जांच में इन सभी को दोषी पाया गया है। हालांकि बैस निलंबित चल रहे हैं। लेकिन जिस तरह यूएस बैस द्वारा अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर पेपटेक हाउसिंग प्राइवेट लि. को लाभ पहुंचाया गया है वह एक तो चोरी और ऊपर से सीना जोरी माना जा रहा है। ज्ञातव्य है कि बैस ने सहायक आयुक्त, वाणिज्यिक कर, सागर द्वारा 27.02.2015 को कंपनी पर लगाए गए 10.34 करोड़ की अतिरिक्त दंड को मप्र वेट अधिनियम की धारा 34 के अन्तर्गत पुन: कर निर्धारण आदेश पारित किये जाने हेतु अनुमति प्रदाय की गई तथा वैस को इस अवैधानिक कार्यवाही के लिए राज्य शासन द्वारा निलंबित किया गया है।
-इंदौर से विशाल गर्ग