दतिया, बड़वानी, कटनी शापित है कलेक्टरों के लिए
06-Jul-2016 08:24 AM 1235180
मप्र में सरकार विकास के लिए हमेशा तत्पर रहती है। लेकिन कुछ जिलों की प्रशासनिक स्थिति ऐसी रही है कि वहां विकास हमेशा प्रभावित रहता है क्योंकि उन जिलों में कलेक्टरों का तबादला बराबर होता रहता है। ऐसे जिलों में दतिया, बड़वानी और कटनी शामिल है। मध्यप्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में तो इन जिलों को कलेक्टरों के लिए शापित माना जाता है। यानी यहां जिस भी कलेक्टर की पदस्थापना होती है वह बोरिया बिस्तर बांधकर तैयार रहता है। सबसे दयनीय स्थिति तो बड़वानी की है। आदिवासी बहुल इस जिले की स्थापना के 17 वर्ष हुए हैं। वहीं इन वर्षों में 17 कलेक्टर बदल चुके हैं और 17वें कलेक्टर के रूप में अजित सिंह पदस्थ किए गए हैं।  राजनीतिक कमजोर इच्छाशक्ति और प्रशासनिक अस्थिरता के चलते कहीं न कहीं जिले का विकास प्रभावित हुआ है। अधिकांश कलेक्टर राजनीतिक शिकायतों के चलते बदले गए हैं। दरअसल इस आदिवासी जिले में नर्मदा बचाओं आंदोलन के नेताओं का प्रकोप है। वे जब न तब प्रशासनिक अस्थिरता फैलाते रहते हैं। हालांकि यहां के सोलहवें कलेक्टर अजय फेसबुक पर कमेंट करने के मामले में हटाए गए थे। वैसे जानकारों का कहना है कि इस जिले का वास्तु ही कुछ ऐसा है कि यहां कोई भी कलेक्टर अधिक दिन तक टिक नहीं सकता है। वहीं कटनी भी ऐसा जिला है जहां कलेक्टर आया राम गया राम की स्थिति में रहते हैं। दरअसल इस जिले में खनन कारोबारियों का वर्चस्व रहता है। पूर्व में यहां कलेक्टर रही अंजू सिंह बघेल पर यहां से जाने के बाद मामला लोकायुक्त में दर्ज हुआ था। वहीं अभी हाल ही में यहां से हटाए गए कलेक्टर प्रकाश जांगरे तो अफसरशाही का शिकार हो गए। दरअसल जांगरे कायदे-कानून के तहत काम करने वाले अधिकारी माने जाते हैं। लेकिन कटनी के फर्जी डीडी कांड में उन्हें इस कदर फंसाया गया कि उनका यहां से तबादला करना पड़ा। विदित हो कि वित्तीय वर्ष 2016—2017 के लिए कटनी में शराब दुकानों की नीलामी की गई। कटनी जिले में कुल 20 समूहों की 43 देसी और 20 विदेशी शराब दुकानें हैं। नियमानुसार टेंडर निकालकर 20 निविदाकारों को ये दुकानें दी गई हैं। लेकिन इस टेंडर प्रक्रिया में 18 निविदाकारों ने केनरा बैंक एसएमई शाखा जबलपुर के तथाकथित विवादित ड्राफ्ट जमा कराए। इन समूहों से प्राप्त केनरा बैंक के सभी 34 बैंक ड्राफ्ट क्लीयरेंस हेतु भेजे गए तो उनमें से 13 ड्राफ्ट क्लीयर हो गए और 21 ड्राफ्ट क्लीयर नहीं हो पाए। ड्राफ्ट क्लीयर नहीं होने पर डिप्टी जनरल मैनेजर कैनरा बैंक भोपाल ने 16 अप्रैल को पत्र जारी कर उन ड्राफ्टों को विवादित बताया। और उन्हें क्लीयर करने से मना कर दिया। साथ ही जिन 13 ड्राफ्टों का क्लीयर किए जाने से शासन के खाते में 4,93,65,497 रुपए आए थे उन्हें भी वापस मांगा।  इस पर कलेक्टर ने कई बार पत्र व्यवहार कर कहा कि जब बैंक से ही ड्राफ्ट बने हैं तो वे विवादित क्यों हैं। क्योंकि बैंक ने 13 ड्राफ्ट की रकम शासन को दे दी थी। इस पर बैंक मैनेजर ने भी माना था कि ड्राफ्ट उन्हीं के बैंक से बने हैं, लेकिन वे विवादित हैं। ऐसे में बैंक की जिम्मेदारी बनती थी कि वह उन ड्राफ्टों की रकम शासन को मुहैया कराए। जब बैंक ऐसा करने से मना करने लगा तो जिला लोक अभियोजन अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक कटनी की सलाह पर बैंक अधिकारियों के विरुद्ध सिटी कोतवाली कटनी ने आपराधिक प्रकरण दर्ज करा दिया गया। कलेक्टर ने इस संदर्भ में प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर को भी अवगत करा दिया था लेकिन लोकायुक्त ने इस मामले में बिना किसी साक्ष्य के कलेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया और शासन ने उनका तबादला उपसचिव मंत्रालय कर दिया। इसी तरह दतिया भी शापित जिला माना जाता है। यहां जो भी कलेक्टर आता है वह जल्द से जल्द यहां से पिंड छुड़ाकर भागना चाहता है। पूर्व में यहां कई कलेक्टर बेवजह के मामलों के शिकार हो गए। दरअसल इन जिलों में स्थिति यह है कि गलती कोई और करता है और गाज कलेक्टरों पर गिरती है। इसलिए इन जिलों मेंं पदस्थ होने वाले कलेक्टर और एसपी हमेशा अपने आपको असहज महसूस करते हैं। हमेशा व्हीआईपी की नजर प्रदेश में दतिया एक ऐसा जिला है जहां देवी मां का मंदिर है। यहां देशभर से व्हीआईपी आते रहते हैं। इसलिए यहां जो भी कलेक्टर पदस्थ होता है उसे दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है। ऐसे में यहां जो भी कलेक्टर पदस्थ होता है वह हमेशा असमंजस में रहता है। कई बार यहां आयोजित होने वाले  कार्यक्रमों की गाज भी कलेक्टरों पर गिरती है। इसलिए इस जिले में जो भी कलेक्टर आता है वह विकास कार्य पर ध्यान देने की बजाए अपनी नौकरी बचाने पर अधिक ध्यान देता है। - कुमार राजेंद्र
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