06-Jul-2016 08:30 AM
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जस्थान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के घोटालों और भ्रष्टाचार के कई राज आगामी दिनों में कैग की स्पेशल परफोर्मेंस आडिट जांच में सामने आ सकते हैं। प्रदेश में एनआरएचएम प्रोजेक्ट्स में एसीबी के भ्रष्टाचार की कलई खोलने के बाद गत सप्ताह केन्द्र सरकार ने कैग से राजस्थान में एनआरएचएम के तहत चार साल की जांच का फैसला लिया है। एनआरएचएम के पूर्व अतिरिक्त मिशन निदेशक व आईईसी निदेशक आईएएस अफसर नीरज के पवन, एनआरएचएम के अतिरिक्त निदेशक अनिल अग्रवाल, लेखाधिकारी दीपा गुप्ता और उसके बाद एनआरएचएम के चीफ इंजीनियर भुवनेश माथुर सहित अन्य अफसरों को रंगे हाथों भ्रष्टाचार में पकड़े जाने के बाद यह फैसला किया गया है कि एनआरएचएम में अब तक केन्द्र से आई हजारों करोड़ रुपए की मदद में संभावित भ्रष्टाचार के राज खोले जाएं।
जानकारी के अनुसार एनआरएचएम खर्च की जांच के आदेश के बाद चिकित्सा विभाग ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को कैग की ओर से मांगे गए खर्च का पूरा ब्यौरा दस्तावेजों के साथ भेजने के आदेश दिए हैं। यह आदेश 13 मई को जारी किए गए थे और तीन दिन अर्थात 16 मई तक पूरी रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया था। लेकिन 17 मई तक ब्यौरा नहीं आया था, संभवत: इस सप्ताह विभाग मांगे गए दस्तावेज कैग को सौंपेगा। बताया जा रहा है कि दस्तावेजों को खंगालने के लिए कैग की टीम स्वास्थ्य विभाग के जयपुर मुख्यालय सहित कई जिलों के दफ्तरों में भी जांच को जाएगी।
लूट के खेलÓ का था संदेह, इंटरनल आडिट भी जारी आईईसी निदेशक रहे आईएएस अफसर नीरज के. पवन सहित अफसरों के नेटवर्क को एसीबी द्वारा पकड़े जाने से पहले ही चिकित्सा विभाग के प्रचार-प्रसार में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायतें चिकित्सा विभाग के आला अफसरों को मिली रही थी। जिसके बाद चिकित्सा विभाग के प्रमुख शासन सचिव स्तर से आईईसी में हो रहे कामों की इंटरनल आडिट के आदेश जनवरी-फरवरी 2016 में दिए गए थे जिसकी आडिट अभी भी जारी है। इंटरनल आडिट में भी 4 साल के कामों की जांच के आदेश हुए थे। सूत्रों की मानें तो अब तक 2012-13 और 2013-14 के कार्यों की इंटरनल ऑडिट रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। शेष 2013-14, 2014-15 की रिपोर्ट बनना बाकी है। इस इंटरनल रिपोर्ट में नीरज के. पवन सहित उनसे पूर्व रहे अफसरों के यहां रहते हुए अन्य कई घोटालों का पर्दाफाश हो सकता है।
प्रमुख सचिव चिकित्सा विभाग मुकेश शर्मा कहते हैं कि एनएचएम के कामों की कैग स्पेशल परफोर्मेंस ऑडिट हो रही है, लेकिन इससे पहले ही मैंने चिकित्सा विभाग के प्रचार-प्रसार में भ्रष्टाचार की मिल रही शिकायतों के बाद चार-पांच माह पूर्व विभाग की प्रचार-प्रसार शाखा आईईसी में हुए कामों की इंटनरल आडिट के आदेश दिए थे। इसके तहत कुछ सालों की रिपोर्ट भी तैयार हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि मई की 30 तारीख को भ्रष्ट नौकरशाहों को कड़ा संदेश देते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 2003 बैच के राजस्थान कैडर के आइएएस अधिकारी 37 वर्षीय नीरज कुमार पवन को गिरफ्तार कर लिया। उनकी गिरफ्तारी दिखाती है कि किस तरह नौकरशाही दलालों के जरिए रिश्वत लेती है। पवन पर पद पर रहने के दौरान ठेके देने में कथित वसूली करने और भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इस मामले में टेंडर की कुल लागत की 17 फीसदी रकम रिश्वत के तौर पर मांगी जा रही थी। दूसरे मामलों में यह और भी ज्यादा रही है, जिसके एवज में काम की गुणवत्ता से समझौता किया जाता रहा है या फिर ठेकेदार को तंग किया जाता और फिर उससे पैसा वसूला जाता रहा है।
खान घूसकांड के बाद भी हुई थी आडिट
राजस्थान में पिछले 15 वर्षों में रिश्वत की रकम लगातार बढ़ती रही है और अब यह सामान्य सुविधा शुल्क से कहीं आगे निकल गई है। एनआरएचएम में व्याप्त भ्रष्टाचार से पहले एसीबी ने खान विभाग में खान आवंटन को लेकर करोड़ों के भ्रष्टाचार को पकड़ा था। इस मामले में आईएएस अफसर अशोक सिंघवी सहित अन्य विभागीय अफसर अभी फंसे हैं। मामले के खुलासे के बाद कैग ने आवंटन को लेकर विभाग की आडिट कराई थी। जिसकी रिपोर्ट आना बाकी है। राजस्थान में यह आम चलन है कि टेंडर की शर्तों को इतना सख्त बना दिया जाता है कि ईमानदार ठेकेदार उसे हासिल न कर सकें। ऐसे में संबंधित अधिकारियों ने उन लोगों से सांठगांठ कर ली, जिन्हें वे ठेका देना चाहते थे और उन्हें भरोसा दे दिया कि वे शर्तों का पालन किए बिना मोटी कमाई कर सकते हैं।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी