आखिर कौन बचा रहा दोषियों को?
16-Jun-2016 09:52 AM 1234776
मप्र के बहुचर्चित पेपटेक हाउसिंग प्राइवेट लि. के 10 करोड़ के सेल्स टैक्स को निरंक करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर वाणिज्यकर विभाग के दोषी अधिकारियों को कौन बचा रहा है? जबकि इस मामले में छत्तरपुर निवासी पीके गुप्ता की शिकायत पर वाणिज्यकर उपायुक्त  भोपाल एचएस ठाकुर ने प्रमुख सचिव को भेजे विभागीय पत्र में सहायक आयुक्त यूएस बैस,  अपर आयुक्त जेएस गुप्ता, पूर्व सहायक आयुक्त टीसी वैश्य और एमएच चौहान को दोषी मानते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी। उल्लेखनीय है कि इन अधिकारियों द्वारा पेपटेक हाउसिंग प्राइवेट लि. को लाभ पहुंचाने के लिए आपराधिक षड्यंत्र किया था। ठाकुर ने अपने जांच प्रतिवेदन में कहा है कि सागर संभाग के पद पर कार्यरत रहते हुए उपरोक्त विभागीय अधिकारियों ने आपराधिक षड्यंत्र कर के पेपटेक हाउसिंग प्राइवेट लि. के विरुद्ध वेट एवं प्रवेशकर की अतिरिक्त देय राशि रूपये 10.34 करोड़ को निरंक किया गया है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि यूएस बैस द्वारा अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर पेपटेक हाउसिंग प्राइवेट लि. को लाभ पहुंचाया गया है। बैस ने सहायक आयुक्त, वाणिज्यिक कर, सागर द्वारा  27.02.2015 को कंपनी पर लगाए गए 10.34 करोड़ की अतिरिक्त दंड को मप्र वेट अधिनियम की धारा 34 के अन्तर्गत पुन: कर निर्धारण आदेश पारित किये जाने हेतु अनुमति प्रदाय की गई तथा वैस को इस अवैधानिक कार्यवाही के लिए राज्य शासन द्वारा निलंबित किया गया है। वहीं इस मामले के दूसरे आरोपी जेएस गुप्ता, अपर आयुक्त, वाणिज्यिक कर के रूप में मुख्यालय में पदस्थ थे तथा दिनांक 28-02-2015 को सेवा निवृत्त हुए। गुप्ता मेसर्स पेप्टेक हाउसिंग प्रालि एवं इस कम्पनी के अन्य सहयोगी संस्थानों के लीगल एडवाइजर हैं। कम्पनी के द्वारा प्रदाय किये गये फ्लेट में इंदौर में निवासरत हैं तथा प्रतिमाह बड़ी राशि कम्पनी द्वारा इन्हें प्रदाय किया जाता है जिसकी जानकारी विभाग के अधिकारियों को हैं। इनके द्वारा ही 27-02-2015 को पारित आदेश द्वारा निर्मित अतिरिक्त मांग को निरंक कराने का अवैधानिक कार्य सेवा निवृत्त के पश्चात अन्य विभागीय अधिकारियों के सहयोग से किया गया है। गुप्ता अवैधानिक कार्य, आपराधिक षड्यंत्र एवं राजस्व हानि के लिए दोषी हैं। वहीं टीसी वैश्य पूर्व में सहायक आयुक्त, वाणिज्यिक कर के पद पर सागर संभाग में पदस्थ थे। 31-07-2015 को सेवा निवृत्त हुए हैं। वैश्य की विभागीय जांच चल रही है तथा प्रकरण मे. जांचकर्ता अधिकारी एमएस चौहान, अपर आयुक्त, वाणिज्यिक कर, मुख्यालय इंदौर हैं। टीसी वैश्य द्वारा एमएस चौहान एवं जेएस गुप्ता द्वारा तैयार किये गये निरंक राशि के पुन: कर निर्धारण आदेश पर हस्ताक्षर कर बोगस कर निर्धारण आदेश बनाया गया। इस आदेश का इन्द्राज सागर संभाग में रखे गये किसी भी अभिलेख में नहीं है जिससे यह प्रमाणित है कि पुन: कर निर्धारण आदेश सागर से जारी नहीं है। एमएस चौहान, अपर आयुक्त, वाणिज्यिक कर के रूप में मुख्यालय, इंदौर में कार्यरत हैं। जेएस गुप्ता तथा एमएस चौहान एक दूसरे के अभिन्न मित्र हैं। एमएस चौहान का विषयांकित व्यवसाई के प्रकरण में अतिरिक्त मांग शून्य किये जाने में प्रमुख भूमिका रही है। इनके द्वारा सागर से मेसर्स पेपटेक हाउसिंग प्रा.लि. छतरपुर के ब्लाक अवधि के वेट एवं प्रवेशकर प्रकरण परीक्षण हेतु मौखिक मंगाये गये। सहायक आयुक्त, वाणिज्यिक कर, सागर संभाग टीसी वैश्य द्वारा जावक क्रमांक स.आ./वाचक/ 15/1713/सागर, दिनांक 20-5-2015 के माध्यम से वेट एवं प्रवेशकर प्रकरण प्राप्त कर दिनांक 12-06-2015 को मुख्यालय में प्रस्तुत किया गया। उसके बाद एमएस चौहान एवं जेएस गुप्ता द्वारा मिलकर चौहान के विभागीय कम्प्यूटर पर कर निर्धारण आदेश तैयार किया गया एवं विभागीय जांच झेल रहे टीसी वैश्य से आदेश पर हस्ताक्षर कराया गया तथा बोगस जावक क्रमांक-वेट प्रकरण में जावक क्रमांक 61 दिनांक 15-05-2015 तथा प्रवेशकर प्रकरण में जावक क्रमांक 62 दिनांक 15-05-2015 अंकित किया गया है। इस जावक क्रमांक का उल्लेख न तो मुख्यालय में है न ही इस जावक क्रमांक से विषयांकित व्यवसाई को किसी प्रकार का पत्राचार किया गया है। इसके बाद कर निर्धारण से संबंधित दस्तावेज इनके द्वारा गुमा दिये गये अथवा नष्ट कर दिये गये। अत: उक्त कृत्य के लिए चौहान द्वारा अपने पद का दुरुपयोग किया गया है एवं राजस्व का क्षति किया गया है। चूंकि यह आपराधिक षड्यंत्र का मामला है जिसके दस्तावेजी साक्ष्य मौजूद हैं। उपरोक्त अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक षड्यंत्र एवं राजस्व को क्षति पहुंचाने का मामला बनता है जिस कारण से इनके विरुद्ध कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता है। लेकिन आज तक केवल यूएस बैस को निलंबित किया गया है जबकि अन्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उधर विभाग के ढुलमुल रवैये के कारण फायदा उठाते हुए पेपटेक ने हाईकोर्ट में एडीशनल रिटर्न एप्लाई किया है। इस संदर्भ में इस पूरे मामले को स्वप्रेरणा से लेकर फर्जीवाड़े को उजागर करने वाले अपर आयुक्त पीके शिवहरे कहते हैं कि निचले अधिकारियों ने किस तरह गलत आदेश देकर विभाग को क्षति पहुंचाई थी इसकी पूरी रिपोर्ट मैंने काफी सतर्कता और नियमों के तहत तैयार की है। मुझे मालूम था कि यह मामला इतनी आसानी से नहीं सुलझने वाला है। मामला कोर्ट में है और दोषी कंपनी ने दूसरी बार एडीशनल रिटर्न एप्लाई किया है। -इंदौर से विकास दुबे
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