शिव के सारथी
16-Jun-2016 09:47 AM 1234838
शिवराज सिंह चौहान जिनका कभी कोई निशाना खाली नहीं गया और हर सियासी फैसला सही साबित हुआ और सरकार बनाने में न सिर्फ  मददगार साबित हुआ बल्कि उसने उनकी राजनीतिक पकड़ को और मजबूत किया। इस दौरान शिवराज को सारथी के रूप में कई नेता मिले जिन्होंने उनके साथ कदम से कदम मिलाकर न केवल मप्र को बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकाला बल्कि सरकार के खिलाफ उठी हर अनैतिक आवाज को दबाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्तमान समय में राजस्व मंत्री रामपाल सिंह और परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह शिवराज के सारथी बने हुए हैं। विश्व हिन्दी सम्मेलन हो, सिंहस्थ हो, कोई उप चुनाव हो या फिर विधानसभा का सत्र हर जगह ये दोनों नेता शिवराज की मंशा को सफलीभूत करने में लगे रहते हैं। शिवराज और रामपाल की जोड़ी ऐसी है जिसका उदाहरण प्रदेश की राजनीति में ही नहीं बल्कि आम जीवन में भी दिया जाता है।  केवल सरकार के संचालन या पार्टी की गतिविधियों तक ही दोनों में सामंजस्य नहीं है बल्कि अन्य जगहों पर भी ये दो बदन एक जिस्म नजर आते हैं। रामपाल शिवराज के दूत की तरह पूरे प्रदेश में शासकीय योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए सक्रिय रहते हैं। इस कारण मुख्यमंत्री बेफिक्र होकर अपना काम करते रहते हैं। इसका नजारा सिंहस्थ के दौरान भी देखने को मिला। जिस दौरान मुख्यमंत्री तीस दिन में से 20 दिन सिंहस्थ में ही व्यस्त रहे उस दौरान रामपाल शासन और प्रशासन के कामों में लगे रहे। मौका मिलते ही वे सिंहस्थ का भी चक्कर लगा आते थे।  परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह का परिश्रम तो पूरे देश ने सिंहस्थ के दौरान देखा। सिंहस्थ को वैश्विक बनाने का जो संकल्प मुख्यमंत्री ने लिया था उसे अमली जामा पहनाने के लिए भूपेन्द्र सिंह अपना घर बार छोड़कर उज्जैन में ही करीब डेढ़ महीना डेरा डाले रहे। पूरे आयोजन के दौरान शासकीय योजनाओं की निगरानी, उन्हें समय पर पूरा कराने की जिम्मेदारी, साधु-संतों के साथ समन्वय, श्रद्धालुओं का आदर सत्कार इनके नेतृत्व में ऐसा हुआ कि आज पूरा विश्व सिंहस्थ के मैनेजमेंट का अध्ययन कर रहा है। इन दोनों मंत्रियों ने विधानसभा के अंदर भी और बाहर भी सरकार को हमेशा अलग-अलग ढंग से न केवल सबल प्रदान किया है, बल्कि अपने विभाग में मजबूत पकड़ रखते हुए सकारात्मक परिणाम भी दिए हैं। कभी कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, उमाशंकर गुप्ता, जयंत मलैया सरकार के संकट मोचक हुआ करते थे लेकिन अपने इस भाव को ये यदाकदा प्रकट भी करते थे। लेकिन रामपाल सिंह और भूपेन्द्र सिंह ने निष्काम भाव से शिवराज के साथी के तौर पर काम कर रहे हैं। इन्होंने न तो सार्वजनिक मंच पर और न ही व्यक्ति जीवन में कभी इस बात का अहसास कराया कि वे ही सरकार की धुरी हैं। मध्यप्रदेश में एक समय ऐसा भी था जब कैलाश विजयवर्गीय और शिवराज सिंह की जम कर छनती थी तब कैलाश ही संकट मोचक हुआ करते थे लेकिन अचानक नरोत्तम मिश्रा शिवराज की किचिन कैबिनेट का हिस्सा बन गए और उन्होंने अपना कद बढ़ाने के लिए इन दोनों के बीच में बबूल बोना शुरू कर दिया। यह महाशय कैलाश को भविष्य का मुख्यमंत्री बनाने पर तुल गए। और कैलाश को भी पंख लगने लगे। तब ऐसा समझा जाने लगा कि शिवराज अब अकेले पड़ जाएंगे। ऐसे में उनके दोस्त रामपाल सिंह और भूपेन्द्र सिंह अवतरित हुए। दोनों नेता आज पूरी तन्मयता के साथ न केवल अपने विभाग का बेहतर संचालन कर रहे हैं, बल्कि सत्ता और संगठन की धुरी भी बने हुए हैं। मुख्यमंत्री को भी अपने इन दोनों दोस्तों पर गर्व है। तभी तो वे सार्वजनिक मंच पर भी दोनों की पीठ ठोकने में गुरेज नहीं करते। -भोपाल से अजयधीर
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^