संत का सम्मान
16-Jun-2016 09:43 AM 1234778
मध्यप्रदेश सरकार ने धार्मिक उदारता की बानगी पेश करते हुए ज्योतिषपीठ और द्वारका शारदापीठ के जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की लक्जरी गाड़ी पर करीब 11 लाख रुपये से अधिक का पथकर माफ कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान गृह एवं जेल मंत्री बाबूलाल गौर की पहल पर सरकार ने यह कदम उठाया, जिसकी सर्वत्र सराहना हो रही है। बताया जाता है कि संत के भक्तों ने राज्य सरकार से आग्रह किया था कि नरसिंहपुर जिले के सड़क परिवहन अधिकारी द्वारा वाहन पर लगाया गया 11,96,310 रुपये का पथकर एवं जुर्माना माफ किया जाए। पिछले महीने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के भक्तों ने नरसिंहपुर में जिला सड़क परिवहन अधिकारी से संपर्क किया था। अधिकारी ने न केवल कर छूट (वाहन की लागत का 7 फीसदी) देने से इनकार कर दिया था, बल्कि 1.82 लाख रुपये का जुर्माना और लगाया। कर एवं जुर्माना पिछले एक साल से चुकाया नहीं गया था, इसलिए इनकी कुल राशि पर 99,600 रुपये ब्याज और लगाया गया था।  संत के भक्त पिछले एक साल से राज्य परिवहन विभाग के अधिकारियों से इस मसले पर बातचीत कर रहे थे। जब परिवहन विभाग के अधिकारियों ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने राज्य के गृह मंत्री बाबूलाल गौर से इस संदर्भ में मुलाकात की। गौर ने कथित रूप से राज्य सरकार को एक पत्र लिखकर कर माफ करने का आग्रह किया था। इसके बाद मध्य प्रदेश कैबिनेट ने शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की सवा करोड़ की आलीशान बस को रोड टैक्स से छूट देने के बारे में फैसला किया। इस संदर्भ में गौर साहब कहते हैं कि यह संत के सम्मान का विषय है। प्रदेश सरकार हमेशा साधु-संत, महात्मा का सम्मान करती है। वह कहते हैं कि साधू संतों को इस प्रकार की गाडिय़ों में छूट बराबर मिलती रही है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के शासनकाल में भी ऐसा किया गया था और 2005 में बाबूलाल गौर ने भी अपने मुख्यमंत्रित्व काल में छूट दी थी। गौर कहते हैं कि स्वरूपानंद सरस्वती जी से मुझे टैक्स माफ करने संबंधी आवेदन प्राप्त हुआ था। उसके बाद अपनी अनुशंसा के साथ मंैने मुख्यमंत्री को स्वरूपानंद सरस्वती जी के वाहन को कर से मुक्त करने का प्रस्ताव भेजा था। उसके आधार पर कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। उन्होंने बताया कि पूर्व में शंकराचार्य महाराज के वाहन को विभागीय आदेश 27 दिसंबर 2004 के द्वारा मप्र मोटरयान कराधान अधिनियम 1991 की धारा 21 के प्रावधनों के अनुरूप वाहन को कर के भुगतान से मुक्त किया गया। उल्लेखनीय है कि गृहमंत्री बाबूलाल गौर धर्म परायण व्यक्ति हैं और वे साधु-संतों के सम्मान के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। जब भी कोई साधु-संतों की कोई समस्या होती है वे गौर साहब को पुकारते हैं। सिंहस्थ के दौरान भी उन्होंने साध्वी प्रज्ञा को उज्जैन भेजे जाने का भी मुद्दा कैबिनेट में उठाया था और बाद में सरकार को झूकना पड़ा और साध्वी को स्नान के लिए सिंहस्थ भेजना पड़ा।दरअसल बाबूलाल गौर जमीन से जुड़े नेता हैं। वे संत महात्माओं की समस्याओं को जानते हैं। इसलिए जब भी कोई समस्या सामने आती है वे उसके समाधान के लिए सक्रिय हो जाते हैं। यही कारण है कि जब परिवहन विभाग के अधिकारियों ने शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्यों के आवेदन विचार नहीं किया तो उन्होंने बाबूलाल गौर के दर पर दस्तक दी। फाइव स्टार की सुविधा युक्त है लग्जरी बस शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का नाम एक बार फिर चर्चा में है। इस बार इसके पीछे वजह उनका बयान नहीं बल्कि एक डेढ़ करोड़ की कीमत वाली बस है। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने 15 लाख रूपए की बस खरीदी थी और उसमें काम कराने के बाद इस बस की कीमत तकरीबन सवा करोड़ हो गई थी। आपको बता दें कि शंकराचार्य की इस लग्जरी बस में हर वो सुविधा है जो किसी फाइव स्टार होटल के कमरों में होती है। बस में बेड रूम, टीवी और वॉश रूम की व्यवस्था है। यह वाहन 4 मार्च 2015 को खरीदा गया था जिसके चेचिस की कीमत 21,50,000/- एवं बॉडी की कीमत 1,18,12,500/- है। बताया जाता है कि सर्वसुविधायुक्त यह बस पूरी तरह सुरक्षित है। इस बस के पीछे कैमरे लगे हुए हैं जो पीछे-पीछे चलने वाले वाहनों की तस्वीर और लोकेशन ड्राइवर तक पहुंचाते हैं। समझा जाता है कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कांगेसी विचारधारा के संत हैं शायद यही कारण होगा की परिवहन विभाग उनके वाहन का टैक्स माफ करने से कतरा रहा था। लेकिन गौर साहब की पहल पर संत का सम्मान मिल ही गया। -अरविंद नारद
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