प्याज खरीदी सरकार का नाटक
16-Jun-2016 09:35 AM 1234878
प्याज आंसू निकालने पर तूली हुई है। प्रशासन प्याज खरीदी को लेकर व्यवस्था जुटाने में परेशान है, तो दूसरी तरफ किसान प्याज बेचने को लेकर भूख, प्यास को नहीं देख रहे हैं। प्याज बेचने को लेकर किसान रोजाना  हो-हल्ले और चक्काजाम कर रहे हैं। किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर सरकार इस प्याज का क्या करेगी? उल्लेखनीय है कि प्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दावे पर दावे कर रहे है लेकिन कभी सूखा, कभी बाढ़, कभी आलोवृष्टि से किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं। इस बार किसानों ने टमाटर और प्याज का बम्पर उत्पादन किया है। जब किसानों के खेत से टमाटर निकल रहा था तो उसे एक रुपए किलो भी कोई पूछ नहीं रहा था। अब वही टमाटर कहीं 60 तो कहीं 100 रुपए हो गया है। टमाटर की राह पर अब प्याज का कारोबार चल रहा है। आलम यह है कि किसानों ने प्याज का बम्पर उत्पादन तो कर लिया लेकिन उसे भाव नहीं मिल रहा था। इसका मुख्य कारण यह है कि सरकार के पास इसके लिए कोई ठोस नीति नहीं है। ऐसे में लोगों ने प्याज को सड़कों और खेतों में फेकना शुरू कर दिया। लोगों के विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री ने 6 रुपए किलो प्याज खरीदने का ऐलान तो कर दिया लेकिन मंडियों में  न तो प्याज खरीदने की समुचित व्यवस्था है और न ही रखने की। इन सब के बावजूद प्रदेश के 51 जिलों के 71 केंद्रों पर प्याज की खरीदी की जा रही है। किसी केंद्र पर अधिकारी-कर्मचारी किसान का इंंतजार करके लौट रहे हैं तो किसी केंद्र पर किसान पहुंच रहे हैं तो वहां अधिकारी कर्मचारी नदारद रहते है। इसके बावजूद प्रदेश में 14 जून तक सवा दो लाख क्विंटल प्याज की खरीदी हो चुकी थी। समर्थन मूल्य पर प्याज खरीदी सरकार के गले की हड्डी बनती जा रही है। एक के बाद एक गोदाम फुल होते जा रहे हैं और किसान परेशान हैं। सुबह से लेकर रात तक समर्थन केन्द्रों पर किसान भूखे-प्यासे परेशान हो रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि प्याज के रेट गिरने पर शासन ने आनन-फानन में उसकी समर्थन मूल्य पर खरीदी का निर्णय तो ले लिया, लेकिन इस प्याज का क्या होगा, इसको लेकर कोई स्पष्ट योजना है। ऐसे में बड़ी समस्या प्याज के लंबे समय तक भंडारण की है। जिस तरीके से प्याज को बेयरहाउस में रखा जा रहा है, उसमें वह महीने दो महीने ही सुरक्षित रह सकती है। नासिक में प्याज के लिए बने स्पेशल भंडार घरों में भी बमुश्किल उसे 6 महीने सुरक्षित रखा जा सकता हैं। सब्जियों की श्रेणी में आने वाली प्याज को बहुत अधिक समय तक सुरक्षित रख पाना काफी मुश्किल है। इसके बावजूद बिना किसी तैयारी के शासन ने उसकी खरीदी शुरू कर दी है। हालांकि शासन का यह प्रयास किसानों के हित में है, लेकिन कहीं न कहीं इससे शासन को भारी क्षति हो सकती है। वर्तमान हालातों में शासन के इस निर्णय को जल्दबाजी में लिया गया माना जा रहा है। घाटे का सौदा हो सकता है निर्णय बिना तैयारी के प्याज की खरीदी शासन के लिए घाटे का सौदा हो सकता है। जिस गति से सरकारी तंत्र में काम होता है, उससे कहीं अधिक रफ्तार से प्याज सड़ती है और अभी तक प्याज के उपयोग को लेकर कोई योजना नहीं है। जब तक योजना मूर्त रूप लेगी, तब तक बड़ा नुकसान होने की संभावना है। ऐसे में यह निर्णय जल्दबाजी में लिया गया माना जाएगा। जिस तरह से प्याज को बेयर हाउस में रखा जा रहा है, बह तकनीक अधिक मात्रा में प्याज के भंडारण के लिहाज से ठीक नहीं है। प्याज को करीब एक फीट की मोटाई में फैलाया जा रहा है। ऐसे में नीचे दबी प्याज के तेजी से सडऩे की संभावना है। प्याज के सही भंडारण के लिए उसमें चारों ओर से हवा लगना जरूरी है। हालांकि अधिकारियों  का कहना है प्याज की हर दो-तीन दिन में छटाई कराई जाएगी, जिसकी जिम्मेदारी बेयरहाउस को सौंपी गई है, लेकिन जिस तरह से उसे रखा गया है, उसमें नीचे तक प्याज की छटाई की जाना संभव नहीं है। -अनूप ज्योत्सना यादव
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