स्मार्ट बनी मप्र पुलिस
16-Jun-2016 09:32 AM 1234899
कागजों पर काम करने वाली मध्यप्रदेश पुलिस अब ऑनलाइन हो गई है। अब एफआईआर से लेकर पुलिस के सभी छोटे और बड़े काम ऑनलाइन सिस्टम पर ही किए जाएंगे। खास बात ये है कि अब डीजीपी प्रदेश के सभी थानों के कामकाज पर एक क्लिक से नजर रख सकेंगे। यह हुआ है एनसीआरबी की पहल पर। एनसीआरबी ने सीसीटीएनएस (क्राइम एण्ड क्रिमिनल ट्रेसिंग नेटवर्क एण्ड सिस्टम) डेवलप किया है और सभी राज्यों को इस प्रोजेक्ट से जुडऩे को कहा है। सीसीटीएनएस केंद्र सरकार की योजना है, इसके तहत किसी भी राज्य के थाने में दर्ज एफआईआर के बारे में आनलाइन जानकारी प्राप्त की जा सकती है। मप्र ने एनसीआरबी से मिले इंग्लिश वर्जन वाले सीसीटीएनएस को प्रदेश के लोगों की आवश्यकता के मद्देनजर हिन्दी में डेवलप किया है। अब प्रदेश के थानों और ऑफिस में कागजों पर काम करने वाले करीब 1 लाख 10 हजार पुलिसकर्मी और अधिकारी सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के तहत ऑनलाइन सिस्टम से जुड़ गए हैं। प्रोजेक्ट पर काम कर रहे राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरों के एडीजी राजीव टंडन और उनकी टीम ने ऑनलाइन सिस्टम को ऐसे डेवलप किया है, जिसमें प्रदेश के 1019 थानों की पुलिस एक साथ कामकाज कर सके। ऑनलाइन सिस्टम पर अच्छे से काम कर सकने के लिए पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही। हर एक जिले में ट्रेनिंग सेंटर बनाए गए हैं ताकि किसी भी अधिकारी और कर्मचारी को काम करने में परेशानी नहीं आए। इस सिस्टम के आ जाने से अब रोजनामचा से लेकर सभी कार्रवाई ऑनलाइन की जाएंगी। इसके साथ ही जब्त किए वाहन, क्रिमिनल रिकॉर्ड, और लापता-लावारिस लोगों की जानकारी भी सिस्टम में मौजूद रहेगी। इस सिस्टम पर 42 प्रकार के अपराधों की जानकारी  रहेगी। इस सिस्टम पर 2015 से अपराधों की निरंतर जानकारी तो दर्ज की ही जा रही है साथ ही वर्ष 2004 से 2014 तक के सभी 28 लाख एफआईआर को भी सूचीबद्ध किया जा रहा है। अब तक करीब साढ़े तीन लाख पुरानी एफआईआर नेटवर्क पर दर्ज कर दी गई है। इसमें अपराध और अपराधी की पूरी डिटेल अक्षरश: दर्ज होगी। इसे तीन बार चेक करने के बाद भोपाल में एचसीएल कंपनी की सीनियर टीम क्रॉस चेकिंग करती है। सर्वर पर थ्रू करने से पहले जीरो एरर इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। डीजीपी भी देख सकेंगे थानों के काम-काज खास बात ये है कि सबकुछ ऑनलाइन होने की वजह से अब डीजीपी प्रदेश के किसी भी थाने के कामकाज पर नजर रख सकते हैं और कभी भी किसी भी मामले में हुई कार्रवाई के बारे में जान सकते हैं। ऐसे में पुलिस थानों पर भी अच्छे से काम करने का दबाव बढ़ेगा। इस सिस्टम में देश के सभी पुलिस थाने कम्प्यूटराइज्ड होंगे और राष्ट्रीय स्तर पर सभी पुलिस इकाइयों को सारे रिकार्ड्स ऑनलाइन उपलब्ध होगें। वर्तमान पुलिस व्यवस्था में अधिकतर कार्य मैन्यूअल तरीके से हो रहा है जिसमें अपराधों और अपराधियों से संबंधित समस्त कार्यवाही, रोजनामचा, रजिस्टर, केस डायरी, रिकार्ड, साक्ष्य संकलन जैसे कार्य हस्तलिखित तरीकों से किये जा रहे है। कम्प्यूटरीकरण के कारण पुलिस की कार्य प्रणाली में बदलाव होगा। सीसीटीएनएस पर काम नहीं करने वाले व काम करने वाले टॉप तीन थानों की लिस्ट हर वक्त उच्च अधिकारियों के सामने रहेगी इस नई व्यवस्था से जहां जिलों की पुलिस रिकॉर्ड बेहतर करने के लिए अच्छा काम करेगी तो इसका सीधा फायदा आम जनता को मिलेगा। अपराधियों का होगा पूरा रिकार्ड इस सिस्टम से अब किसी भी अपराधी के बारे में देशभर में जानकारी मिल सकती है। क्योंकि इस पोर्टल पर सभी प्रकार के अपराधियों का विवरण उनकी तस्वीर, नाम-पता, अपराध की श्रेणी सहित दर्ज की जाएगी। इससे फायदा यह होगा कि अगर किसी प्रदेश में अपराध करने वाला अपराधी अगर किसी दूसरे प्रदेश में अपराध करते पकड़ाता है तो उसके बारे में पोर्टल पर जाकर जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यही नहीं एक ही किस्म के अपराध की प्रवृत्ति के आधार पर भी अपराधियों की खोजबीन की जा सकती है। जल्द सुलझेंगे चोरी के मामले चोरी हुई गाड़ी यदि किसी दूसरे शहर या प्रदेश में बरामद की गई है तो इसका पता तुरंत चल सकेगा साथ ही घरों में होने वाली चोरियों के पैटर्न का भी अलग से रिकॉर्ड होगा इसका फायदा यह होगा कि चोरी के तरीके शहर में या प्रदेश में किन-किन मामलों में एक जैसे थे इसका पता चले और संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू हो सकेगी। इस पोर्टल पर अपराधों और अपराधियों के बारे में जिलेवार, लिंग, जाति, स्थिति, पुलिस स्टेशन, उम्र, पहचान चिन्ह, तिथि, सीमावार जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही ट्रैफिक को भी इस नेटवर्क से जोड़ा गया है। अब पुलिस अगर किसी वाहन का चालान काटती है, सड़क पर अगर कोई वाहन एक्सीडेंट करता है तो इसकी जानकारी मोबाइल एप के माध्यम से पोर्टल पर आ जाएगी और इसे सभी जगह देखा जा सकता है। मध्यप्रदेश पुलिस ने पिछले दस साल के रिकॉर्ड का भी डिजिटलाइजेशन कर रही है इससे पुलिस सत्यापन के मामले में संदिग्ध व्यक्ति की पहचान हो सकेगी। इसका बड़ा फायदा आम लोगों को किराएदार, नौकर आदि रखते समय मिलेगा, वहीं पासपोर्ट के लिए सत्यापन में अधिक समय बर्बाद नहीं होगा। केस का क्या हुआ आप भी जान सकेंगे सीसीटीएनएस के तहत एक सिटीजन पोर्टल भी शुरू किया जा रहा है। इस पोर्टल के माध्यम से आम आदमी की शिकायत ऑनलाइन थाने पहुंचेगी और तत्काल उक्त व्यक्ति को एक सर्टीफिकेट भी मिल जाएगा। यही नहीं थाने में दर्ज की गई आपकी रिपोर्ट पर कुछ दिनों बाद जांच कहां तक पहुंची, जांच चल रही हैÓ आदि की जानकारी पोर्टल के माध्यम से ही मिल जाएगी। दरअसल आमजन की सुविध के लिए इस योजना में पुलिस ने कई सुविधाएं जोड़ी है। जिसके चलते पुलिसकर्मी ऑनलाईन शिकायतें दर्ज कर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकेंगे। बल्कि उन्हें हर मामले की स्टेटस रिपोर्ट इस सॉफ्टवेयर पर अपलोड करना जरूरी होगा। साथ ही ऐसे कई काम है जो कई दिनों के बजाय कुछ मिनटों में हो सकेंगे। ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त अभी नहीं जुड़े हैं नेटवर्क से मध्य प्रदेश पुलिस में सीसीटीएनएस के जरिए आनलाइन काम करने की शुरुआत भले ही हो गई हो, लेकिन सीसीटीएनएस से जुडऩे से ईओडब्ल्यू ने इंकार कर दिया है। ईओडब्ल्यू की दलील यह है कि उसका अपना नेटवर्किंग सिस्टम है। उसके अलावा ईओडब्ल्यू गृह विभाग के अधीन नहीं, बल्कि सामान्य प्रशासन विभाग के अधीन आता है। इसलिए भी उसे सीसीटीएनएस से जुडऩे की जरूरत नहीं है। उधर लोकायुक्त भी अभी नेटवर्क से नहीं जुड़ा है। लेकिन लोकायुक्त संगठन इसके लिए तैयार है। अब तक साइबर सेल, अजाक, नारकोटिस, एसटीएफ और महिला थाना मिलाकर 1014 थाने सीसीटीएनएस से जुड़ चुके हैं। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश पुलिस में सीसीटीएनएस के जरिए आनलाइन काम करने की शुरुआत एक जनवरी 2015 से की गई थी। चार राज्यों में मप्र सबसे ऊपर सीसीटीएनएस से जुडऩे के मामले में मप्र पहले स्थान पर है, जबकि तमिलनाडू, कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी काम तेजी से चल रहा है। मप्र इस मामले में इन तीनों राज्यों से कहीं आगे हैं बिहार-राजस्थान ने नहीं किया लागू बिहार और राजस्थान फिलहाल सीसीटीएनएस से नहीं जुड़े है। दरअसल इन दोनों राज्यों में इसके लिये टेंडर जरूर जारी किये गए थे, लेकिन दोनों टेंडर फेल हो गए। इसलिए इन राज्यों का डाटा फीड नहीं है। कैसा है सॉफ्टवेयर पुलिस अभी तक सीपा के सॉफ्टवेयर पर काम कर रही थी। इसमें डाटा की एंट्री कर पेन ड्राइव में बैकअप लिया जाता था। हर 15 दिन में इसे भोपाल भेजा जाता था। सीसीटीएनएस लागू होने के बाद एफआईआर दर्ज होते ही ऑनलाइन हो जाएगी। इसे देश में कहीं भी देखा जा सकेगा। आसान होगा पुलिस का काम द्य    विभागीय काम पूरी तरह पेपरलेस हो जाएगा द्य    देश के किसी भी क्षेत्र के अपराधी की कुंडली एक क्लिक पर पता चल जाएगी द्य    विभागीय जानकारी ऑनलाइन होगी तो डाक भेजने का काम खत्म होगा द्य    किराएदारों की सूची ऑनलाइन होने से नाम बदलकर अपराधी नहीं छिप सकेंगे द्य    अफसरों के सामने अपराध और इसकी कार्रवाई के सही आंकड़े रहेंगे -श्याम सिंह सिकरवार
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