दिखने लगा जलवा
16-Jun-2016 09:29 AM 1234774
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही अभी देश में अपना प्रभाव पूरी तरह नहीं छोड़ पाए हैं, लेकिन विदेश में उनका जलवा छा गया है। अभी हाल ही में पांच देशों की यात्रा पर गए मोदी ने अपनी लोकप्रियता का ऐसा डंका पीटा की आज परमाणु आपूतिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता को सुनिश्चित करने के लिए कई देश सहयोग करने को तैयार हैं। हालांंकि मोदी की लोकप्रियता से अपने दुश्मन पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान खुश नहीं हैं। जहां चीन ने भारत को एनएसजी का सदस्य बनने की राह में रोड़ा अटकाने का प्रयास शुरू कर दिया है वहीं पाकिस्तान ने तो सदस्यता के लिए एप्लाई भी कर दिया है। इन सब के बावजूद आशा है कि भारत को इस बार एनएसजी की सदस्यता मिल जाएगी। अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से प्रधानमंत्री की यह अब तक की सबसे बड़ी कूटनीतिक सफलता होगी। उल्लेखनीय है कि 2014 में जब भारी जनादेश मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह चुनना आसान नहीं था कि शुरुआत कहां से हो? देश के भीतर या विदेश से? पर उन्होंने बड़ी चतुराई से यह आकलन किया कि विदेशों में तो लोकतांत्रिक ढंग से चुने हुए नेता का सम्मान स्वाभाविक रूप से होगा जबकि देश के भीतर मिली लोकप्रियता के बावजूद उनके विरोधी आलोचना करना जारी रखेंगे। वे जानते थे कि जैसे ही देश के बाहर उनकी छवि बदलेगी, देश में स्वत: बदल जाएगी। यही रणनीति उन्होंने अपनाई। जानकार मानते हैं कि मोदी ने जिस तरह से विश्व में खुद को स्थापित करने और भारत का दुनिया में कद बढ़ाने की रणनीति अपनाकर जो जलवा दिखाया है, वैसा ही घर में भी दिखाना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चौथी अमेरिकी यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रही। इस यात्रा को लंबे समय तक सिर्फ इसलिए ही याद नहीं रखा जाएगा कि उन्होंने अमेरिकी संसद में प्रभावशाली भाषण दिया, बल्कि इसलिए भी कि वे अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को एक नई ऊंचाई तक ले गए। जिस अमेरिकी संसद ने एक समय उनके अमेरिका प्रवेश पर पाबंदी लगाई थी, उसने ही बतौर भारतीय प्रधानमंत्री उन्हें न केवल मंत्रमुग्ध होकर सुना, अभूतपूर्व तरीके से सराहा भी। यह सामान्य बात नहीं कि उनके भाषण में 66 बार तालियां बजीं और आठ बार सांसदों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया। अमेरिकी सांसदों में उनका ऑटोग्राफ लेने की भी होड़ दिखी। प्रधानमंत्री का यह स्वागत और सम्मान विश्व बिरादरी में भारत की बढ़ती भूमिका का सूचक है। अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ उनकी करीब आधा दर्जन मुलाकातों ने दोनों देशों के रिश्तों में जबरदस्त गर्माहट पैदा की है। वैसे तो मोदी अमेरिकी संसद को संबोधित करने वाले पांचवें भारतीय प्रधानमंत्री हैं, लेकिन प्रभाव के लिहाज से वे सबसे ऊपर माने जाएंगे। उनके भाषण में अमेरिकी और भारतीय राजनीति को लेकर एक चुटकी भी थी, जिस पर वहां के सांसदों के ठहाके गूंजे। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में दोनों देशों के उच्च सदनों को एक जैसा बताया, खासकर सरकार को सहयोग देने के लिहाज से। इसी दौरान उन्होंने दलगत राजनीति की समस्याओं को भी रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने तब भी अमेरिकी सांसदों को ठहाके लगाने को बाध्य किया, जब उन्होंने योग के प्रति अमेरिकियों के रुझान का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने अभी तक इस पर पेटेंट का दावा नहीं किया है। उनके भाषण ने अमेरिकी सांसदों को यकीन दिलाया कि अब भारत का समय आ गया है और उसकी समृद्धि अमेरिका के हित में है। इसमें दो राय नहीं कि अमेरिकी उद्योग जगत को भारत की आवश्यकता है, क्योंकि चीन का बाजार सुस्ती का शिकार हो रहा है और विश्व भारत की ओर उम्मीद से देख रहा है। छह दिनों में पांच देशों के दौरे में प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी उपलब्धि एनएसजी में भारत के प्रवेश की मजबूत जमीन तैयार करना रही। एनएसजी में भारत के प्रवेश को जिस तरह स्विट्जरलैंड और अमेरिका के बाद मैक्सिको ने भी समर्थन दिया, वह मोदी की उच्चस्तरीय कूटनीति का प्रमाण है। ये देश नाभिकीय अप्रसार संधि में हस्ताक्षर किए बिना एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध करते रहे हैं, लेकिन अब वे मान रहे हैं कि इस समूह से भारत को अलग नहीं रखा जा सकता। एनएसजी में भारत का प्रवेश नई राह खोलने वाला साबित होगा। आसार अभी से नजर आने लगे हैं। एक अमेरिकी कंपनी भारत में छह परमाणु रिएक्टर बनाने जा रही है। अफगानिस्तान में सलमा डैम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच देशों अफगानिस्तान, कतर, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और मेक्सिको की यात्रा पर रवाना होने के बाद पहले पड़ाव अफगानिस्तान पहुंचे थे। अफगानिस्तान में पीएम नरेंद्र मोदी और अफगान के राष्ट्रपति असरफ गनी ने संयुक्त रूप से अफगान भारत मैत्री बांध सलमा डैम का उद्घाटन किया। मौके पर मोदी ने कहा कि यह बांध अफगानिस्तान का नया भविष्य लिखेगा।  यह बांध भारत के सहयोग से बना है। 1500 भारतीय और अफगानी इंजीनियरों ने इस बांध का निर्माण किया है। इससे 42 मेगावाट बिजली अफगानिस्तान को मिलेगी। कतर में मोदी की सफलता भारत और कतर ने वित्तीय खुफिया जानकारी के आदान प्रदान, धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने तथा गैस संपन्न खाड़ी देश से बुनियादी ढांचे में विदेशी निवेश आकर्षित करने सहित सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये। कौशल विकास और शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और खेल के क्षेत्रों में सहयोग और निवेश अन्य समझौते हैं जिन पर भारतीय और कतर अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से प्रभावित और दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों की आधारशिला रखते हुए कतर ने 23 भारतीय कैदियों को रिहा भी कर दिया। काले धन पर चर्चा नरेंद्र मोदी और स्वीट्जरलैंड के राष्ट्रपति जोहान श्नीडर-अम्मान के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। वार्ता के दौरान काला धन और एनएसजी में भारत की सदस्यता पर चर्चा हुई। स्विट्जरलैंड ने समूह में भारत की सदस्यता का समर्थन किया है। पीएम मोदी ने स्विट्जरलैंड के शीर्ष उद्यमियों से भी मुलाकात की और उन्हें भारत में निवेश करने का न्योता दिया। भारत को मिला मेक्सिको का साथ चार देशों का दौरा पूरा करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अंतिम पड़ाव मेक्सिको पहुंचे। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैक्सिकन राष्ट्रपति एनरिक पेना नीतो के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद संयुक्त बयान जारी किया और कहा कि एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर मैक्सिको ने भी अपना समर्थन दिया है। इसके अलावा भारत और मैक्सिको अब नए क्षेत्रों में साथ आगे बढऩे जा रहे हैं। एनएसजी में भारत की सदस्यता के समर्थन पर पीएम मोदी ने मेक्सिको को धन्यवाद कहा है। इस यात्रा का सबसे विस्मरणीय दृश्य वह रहा जब मैक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पेना नीतो स्वयं गाड़ी ड्राइव करते हुए मोदी के साथ रेस्टोरेंट पहुंचे और खाना खाया। दोनों नेताओं की इस दोस्ताना रूप को देखकर पूरा विश्व अचंभित भी हुआ। -अनूप ज्योत्सना यादव
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