गुजरात में मोदीनुमा लोकायुक्त
16-Apr-2013 06:53 AM 1234995

गुजरात में नरेंद्र मोदी ने एक कठपुतली लोकायुक्त की नियुक्ति करने के लिए सदन में बहुमत से लोकायुक्त संशोधन विधेयक पारित करा लिया तो उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस राज्य में एक बड़ा हंगामा खड़ा करेगी और राष्ट्रीय स्तर पर भी इसका विरोध किया जाएगा, लेकिन हुआ उल्टा। कांग्रेस ने दिखावे का विरोध किया बल्कि यूं कहे कि वाकओवर दे दिया तो कोई अतिश्योक्ति नहीं कहलाएगी। कहने को तो बहुत आलोचना की लेकिन इस तरह से विरोध किया जिससे मोदी को कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा। कारण यह है कि भ्रष्टाचार के हमाम में सभी नंगे हैं और कोई भी यह नहीं चाहता कि उनकी इस नग्नता को सख्त लोकपाल लाकर उघाड़ा जाए। इसी कारण मोदी के लोकपाल की कोई विशेष आलोचना दिल्ली के नेताओं ने नहीं की। क्योंकि दिल्ली में बैठे कर्णधारों ने जो लोकपाल केंद्र में प्रस्तुत किया है वह इतना लचर है कि लोकपाल नियुक्त करना ही बेमानी सिद्ध हो गया है। बल्कि यह कहें कि इस तरह के लोकपाल को नियुक्त करके खजाने पर बेवजह भार बढ़ाया जा रहा है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। दरअसल जिस लोकपाल की बात अन्ना हजारे लंबे समय से करते आए हैं वैसा लोकपाल नियुक्त करना राजनीतिक दलों के बस की बात नहीं है क्योंकि वैसा लोकपाल नियुक्त हो गया तो राजनीतिक पार्टियां बेनकाब हो जाएंगी। इसीलिए मोदी ने अपनी पसंद का लोकपाल विधेयक बेखौफ पारित करवा लिया। उत्तराखंड में जब भाजपा सरकार ने एक जनलोकपाल जैसा मसौदा प्रस्तुत किया था तो आशा बंधी थी कि भाजपा शासित प्रदेशों में सारी सरकारें उसका अनुसरण करेंगी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। मोदी तो वैसे भी भाजपा से अपने आपको ऊपर ही मानते हैं और फिर वे खंडूरी जैसे पराजित मुख्यमंत्री का अनुसरण भला क्यों करने लगें। अब गुजरात में अपनी पसंद का जो लोकपाल उन्होंने प्रस्तुत किया है उससे कांग्रेस को भी राहत मिलेगी क्योंकि कांग्रेस शासित राज्यों में इसी तर्ज पर लोकपाल की नियुक्ति करके मोदी का मॉडल चलाया जाएगा। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ऐसी एकता इससे पहले कभी नहीं देखने में आई थी।
संविधान के अनुसार राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति राज्यपाल राज्य हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के परामर्श पर करता है लेकिन इस बिल के बाद गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति करने के लिए सीएम से परामर्श लेना ही होगा। नए विधेयक में दो नए लोकायुक्त और चार उप लोकायुक्त का भी प्रावधान किया जा रहा है। राज्यपाल कमला बेनीवाल के जरिये लोकायुक्त की नियुक्ति को गुजरात की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। अब नये विधेयक के अनुसर चयन समिति में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, दो वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता शामिल होंगे । समिति केवल नामों का सुझाव देगी। लोकायुक्त के चयन पर आखिरी फैसला मुख्यमंत्री का ही होगा। यानी लोकायुक्त की नियुक्ति का फैसला सीधे सीधे मुख्यमंत्री मोदी के हाथ में आ जायेगा। बिल पास होने के बाद लोकायुक्त की नियुक्ति में मुख्य न्यायधीश और राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं रह जाएगी।
वहीं सीएजी ने गुजरात सरकार पर सरकारी खजाने को नुकसान  पहुंचाने की रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट के मुताबिक गलत कर्ज नीति की वजह से गुजरात के सरकारी खजाने को काफी नुकसान पहुंचाया गया है। सीएजी का मानना है कि बाकी राज्यों की तुलना में गुजरात ने शिक्षा और सेहत के क्षेत्र में कम खर्च किया है। विपक्ष ने इसे गुजरात में नरेंद्र मोदी का करप्शन माडल करार दिया है। गुजरात  में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने लोकायुक्त संशोधन बिल के खिलाफ पूरे राज्य में आंदोलन करने की धमकी दी है। कांग्रेस का आरोप है कि भ्रष्टाचार के आरोपों पर पर्दा डालने के लिए ही ये बिल लाया जा रहा है। कांग्रेस का कहना है बिल पास होने के बाद लोकायुक्त की नियुक्ति में मुख्य न्यायधीश और राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं रह जाएगी। कांग्रेस का आरोप है कि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहते हैं लोकायुक्त भ्रष्टाचार में उनका साथ दे इसलिए वो अपनी पसंद का लोकायुक्त लाना चाहते हैं।
उधर गुजरात में सिंचाई कानून से प्रभावित होने वाले किसान अब खुलकर नरेंद्र मोदी के विरोध में खड़े हो गए हैं, कुछ दिन पहले कांग्रेस ने गांधी नगर में किसानों की रैली आयोजित की थी। जिसमें किसानों ने सरकारी मंजूरी के बिना पानी का उपयोग न करने संबंधी सरकारी फरमान का पुरजोर विरोध किया। इसमें कोई शक नहीं कि नया सिंचाई कानून किसानों के लिए सरदर्द बन गया है। इस कानून के अनुसार किसान बिना सरकारी मंजूरी के खेतों में बोरवेल नहीं लगा सकते और नहरों से पानी लेने के लिए भी उन्हें लाइसेंस लेना पड़ेगा। किस किसान को कितना पानी मिले इसका फैसला नहर अधिकारी द्वारा किया जाएगा। खेतों में इस्तेमाल किए जा रहे पानी का भी दाम देना होगा। सरकारी बाबुओं को किसानों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का अधिकार दिया जाएगा। उन्हें अपने खेतों से जुड़े कुओं और तालाबों के जानकारी देनी पड़ेगी। कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को जागृत करना चाहती है। ताकि लोकसभा चुनाव में इसे चुनावी मुद्दा बनाते हुए अधिक से अधिक लोकप्रियता प्राप्त की जा सके। जहां तक मोदी सरकार का प्रश्न है मोदी इस विषय में कोई भी परिवर्तन करने के हिमायती नहीं है। सरकार का कहना है कि सूखे की स्थिति देखते हुए यह कठोर निर्णय लेना ही होगा।

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^