16-Jun-2016 09:24 AM
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आजकल अगर आप पत्नियों से यह पूछें कि पति पत्नी से क्या चाहता है तो ज्यादातर पत्नियों का यही जवाब होगा कि सौंदर्य, वेशभूषा, मृदुलता, प्यार। जी हां, काफी हद तक पति पत्नी से नैसर्गिक प्यार का अभिलाषी होता है। वह सौंदर्य, शालीनता, बनावट और हार शृंगार भी चाहता है। पर क्या केवल ये बातें ही उसे संतुष्ट कर देती हैं? जी नहीं। वह कभी-कभी पत्नी में बड़ी तीव्रता से उस की स्वाभाविक सादगी, सहृदयता, गंभीरता और प्रेम की गहराई भी ढूंढ़ता है। कभी-कभी वह चाहता है कि वह बुद्धिमान भी हो, भावनाओं को समझने वाली योग्यता भी रखती हो।
बहलाने से नहीं बनेगी बात
पति को गुड्डे की तरह बहलाना ही पत्नी के लिए पर्याप्त नहीं। दोनों के मध्य गहरी आत्मीयता भी जरूरी है। ऐसी आत्मीयता कि पति को अपने साथी में किसी अजनबीपन की अनुभूति न हो। वह यह महसूस करे कि वह उसे सदा से जानता है और वह उस के दुख-सुख में हमेशा उस के साथ है। पति-पत्नी के प्यार और वैवाहिक जीवन में यह आत्मिक एकता जरूरी है। पत्नी का कोमल सहारा वास्तव में पति की शक्ति है। यदि वह सहृदयता और सूझबूझ से पति की भावनाओं का साथ नहीं दे सकती, तो वह सफल पत्नी नहीं कहला सकती। पत्नी भी मानसिक तृष्णा अनुभव करती है। वह भी चाहती है कि वह पति के कंधे पर सिर रख कर जीवन का सारा बोझ उतार फेंके।
बहुतों का जीवन प्राय: इसलिए कटु हो जाता है कि वर्षों के सान्निध्य के बावजूद पति और पत्नी एक-दूसरे से मानसिक रूप से दूर रहते हैं और एक-दूसरे को समझ नहीं पाते हैं। बस यहीं से शुरू होती है दूरी। यदि आप चाहती हैं कि यह दूरी न बढ़े, जीवन में प्रेम बना रहे तो निम्न बातों पर गौर करें:
यदि आप के पति दार्शनिक हैं तो आप दर्शन में अपनी जानकारी बढ़ाएं। उन्हें कभी शुष्क या उदास मुखड़े से अरुचि का अनुभव न होने दें।
- यदि आप कवि की पत्नी हैं, तो समझिए वीणा के कोमल तारों को छेड़ते रहना आप का ही जीवन है। सुंदर बनी रहें, मुसकराती रहें और सहृदयता से पति के साथ प्रेम करें। उन का दिल बहुत कोमल और भावुक है, आप की चोट सहन न कर पाएगा।
- आप के पति प्रोफैसर हैं तो आटे-दाल से लेकर संसार की प्रत्येक समस्या पर हर समय व्याख्यान सुनने के लिए प्रसन्नतापूर्वक तैयार रहें।
- यदि आप के पति धनी हैं, तो उन के धन को दिमाग पर लादे न घूमें। धन से इतना प्रभावित न हों कि पति यह विश्वास करने लगे कि सारी दिलचस्पी का केंद्र उस की दौलत है। आप दौलत से बेपरवाह हो कर उनके व्यक्तित्व की उस रिक्तता को पूरा करें जो हर धनिक के जीवन में होती है। विनम्रता और प्रतिष्ठतापूर्वक दौलत का सही उपयोग करें और पति को अपना पूरा और सच्चा सान्निध्य दें।
- यदि आप के पति पैसे वाले न हों तो उन्हें केवल पति समझिए गरीब नहीं। आप कहें कि आप को गहनों का तो बिलकुल शौक नहीं है। साधारण कपड़ों में भी अपना नारी सौंदर्य स्थिर रखें। चिंता और दुख से बच कर हर मामले में उन का साथ दें।
हमेशा याद रखें कि सच्चा सुख एक-दूसरे के साथ में है, भौतिक सुख सुविधाएं कुछ पलों तक ही दिल बहलाती हैं।
एक दूसरे की शक्ति
विवाह कुदरत का सब से खूबसूरत, पावन बंधन है, जिसे ताजिंदगी बनाए रखना दोनों का कर्तव्य है। पति घर की छत है, तो पत्नी उस की नींव। पत्नी विश्वसनीय सहचरी, सहगामिनी एवं सच्ची अर्द्धांगिनी होती है न कि पुरुष समाज द्वारा दिए दोयम दर्जे की नौकरानी। दोनों ही एक-दूसरे की शक्ति हैं। शक के आधार पर पति-पत्नी के रिश्ते टूटते हैं, तो बच्चों का जीवन भी टूट कर बिखर जाता है। पति या पत्नी किसी को यह अधिकर नहीं है कि अपने ही नन्हें-मुन्नों का जीवन बरबाद करें। इसलिए दोनों के सामंजस्य से ही जीवन सुखमय बन सकता है।
दांपत्य में न पनपने दें यह बीमारी
घर गृहस्थी की समस्याओं में उलझ कर आमतौर पर पतिपत्नी का प्रेमी एवं प्रेयसी रूप खोने लगता है। जहां कभी एक हुए दो तन के अनुरागित मन में उत्साह, उमंग, प्यार, मनुहार, मानसम्मान का सागर पलपल एकदूसरे के लिए उमड़ता था उसी में संदेह, वहम एवं शंकाओं के झोंके आने लगते हैं। एकदूसरे के दोषारोपण में सारे इंद्रधनुषी सपने बदरंग हो जाते हैं। शक जैसी घातक बीमारी का इलाज किसी डाक्टर के पास भी नहीं। यह एक मनोवैज्ञानिक व्याधि है, जो घरगृहस्थी को तबाह कर देती है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो जीवन में अशांति ला कर आएदिन न जाने कितने परिवारों को बरबाद कर देती है।
इस लाइलाज बीमारी के परिणाम से सभी वाकिफ होते हैं, फिर भी जानबूझ कर इस की चपेट में आ कर अपनी जिंदगी बरबाद कर लेते हैं। दोनों के बीच प्यार और विश्वास हमेशा बना रहे यह कोशिश दोनों ओर से होनी चाहिए। एकदूसरे के प्रति प्रेम व विश्वास की धारा में संगसंग बहना, एकदूसरे की भावनाओं का मानसम्मान करना ही सुखी वैवाहिक जीवन की सच्ची कुंजी है। इस की सफलता दोनों की दूरदर्शिता पर निर्भर करती है अन्यथा आज के अवसाद एवं समस्याओं से भरे जीवन को नर्क बनते देर नहीं लगती है।
-माया राठी