16-Jun-2016 08:45 AM
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बिहार में बाहरवीं के नतीजों में भारी गड़बड़ी के बाद अब सत्तारुढ़ महागठबंधन (जदयू-राजद-कांग्रेस) के बीच खींचतान शुरू हो गई है। खींचतान के सिलसिले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने टॉपर्स विवाद की गड़बड़ी की जांच के लिए बनी दो समितियों को भंग कर दिया। साथ ही, उन्होंने इसकी तहकीकात की जिम्मेदारी राज्य पुलिस को सौंप दी।
दरअसल, इस घटना के तार अलग-अलग तरीके से महागठबंधन के तीनों घटक दलों से जुड़ रहे हैं। इसी वजह से तीनों के बीच रस्सा-कस्सी भी तेज होती जा रही है। बिहार बोर्ड की परीक्षा में हुई गड़बड़ी को समझने के लिए इसके तीन सूत्रधारों को जानना जरूरी होगा। इस घटना के पहले सूत्रधार हैं वैशाली जिले में स्थित विशुन राय इंटर कॉलेज के मालिक बच्चा राय। राय साब राजद के पुराने समर्थक रहे हैं। सभी टॉपर्स इसी स्कूल से पास हुए हैं। राय ने बीते विधानसभा चुनाव में राजद प्रमुख लालू प्रसाद के बड़े बेटे और बिहार के मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव के लिए चुनाव प्रचार भी किया था। राजद के विरोध के बावजूद जदयू नेताओं को राय पर कार्रवाई से कोई गुरेज नहीं था। हालांकि, जैसे ही मामले की आंच जदयू की दहलीज तक पहुंची पार्टी ने तुरंत अपने सुर बदल लिए।
इस जगहंसाई के दूसरे सूत्रधार राज्य के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी हैं। जाहिर है राज्य के शिक्षा मंत्री होने के नाते इस गड़बड़ी की एक हद तक जिम्मेदारी उनकी भी बनती है। चौधरी कांग्रेस कोटे से मंत्री हैं। चौधरी के कंधों पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी है। इस साल की शुरुआत में चौधरी ने 12वीं और 10वीं की परीक्षा पूरी तरह से कदाचार मुक्त होने का दावा किया था। इसके लिए उनके विभाग ने नकल रोकने के लिए अभूतपूर्व इंतजाम भी किए थे। इस वजह से इस बार 12वीं और 10वीं में पास होने वाले छात्रों की तादाद में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है। लेकिन मीडिया ने जब बिहार के टॉपर्स के ज्ञान को दुनिया के सामने ला दिया, तब से चौधरी तिलमिलाए हुए हैं।
अपनी फजीहत को खत्म करने के लिए उन्होंने एक रास्ता चुना। उन्होंने बिहार बोर्ड के अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद को निशाना बनाना चाहा। लालकेश्वर प्रसाद इस पूरी फजीहत के तीसरे कोण हैं जिनके तार जदयू से जुड़ते हैं। इस तरह तीनों पार्टियों का यह त्रिकोण मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाता है। बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद का नाम आने के बाद जदयू तिलमिला गई। प्रसाद, नीतीश कुमार के पुराने समर्थक हैं।
पार्टी इस मामले में किसी तरह अपनी छवि बचाए रखना चाहती है। अंतत: नीतीश कुमार इस बदनामी से बिहार को बाहर निकालने और झगड़ा सुलझाने के लिए मैदान में उतरे। आनन-फानन में शिक्षा विभाग और बोर्ड अधिकारियों की बैठक बुलाई गई। इसके साथ ही कुमार ने तीनों दलों के नेताओं से आपस में छींटाकशी से बचने की सलाह भी दी। टकराव रोकने के लिए उन्होंने बोर्ड और विभाग की समितियों को भंग करने का आदेश दिया और मामले की जांच पुलिस से कराने को कहा। मालूम हो कि राज्य में गृह विभाग नीतीश कुमार ने अपने पास रखा है। इसके अलावा, पुलिस को दोषियों पर आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। नीतीश कुमार के इस हस्तक्षेप से क्या हासिल हुआ यह तो अभी तक नहीं पता लेकिन कुछ बातें साफ हो गई हैं मसलन तीनों पार्टियों के लोगों के शामिल होने के बाद अब इस मामले के किसी तार्किक नतीजे तक पहुंचने की संभावना बहुत कम हो गई है।
बच्चा राय की बेटी है असली फर्जी टॉपर
बिहार बोर्ड की इंटर साइंस परीक्षा का फस्र्ट टॉपर सौरभ श्रेष्ठ नहीं बल्कि शालिनी राय है। शालिनी इस घोटाले के सूत्रधार और वैशाली के वीएस कॉलेज के प्रिंसिपल अमित सिंह उर्फ बच्चा राय की बेटी है। बोर्ड के टॉपर्स की सूची में शालिनी का नाम नहीं है लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से जो एफआईआर पटना के कोतवाली में दर्ज कराई गई है उसमें बतौर टॉपर शालिनी राय का नाम दर्ज है। सौरभ श्रेष्ठ का नाम साइंस के सेकेंड टॉपर और राहुल का नाम चौथे टॉपर के रूप में दर्ज है। शालिनी ने 2014 में मैट्रिक परीक्षा में भी टॉप किया था। इंटर साइंस परीक्षा के टॉपर्स में शालिनी का नाम आते ही हंगामा मच जाता, इसलिए उसके नाम को छुपा दिया गया। शालिनी को उन 14 टॉपर में भी नहीं बुलाया गया जिनका रिव्यू टेस्ट हुआ था। जैसे ही जांच शुरू हुई तो पुलिस को पता चला कि असल में सबसे ज्यादा नंबर तो शालिनी के हैं। इस पर पुलिस ने शालिनी को टॉपर के नाम में शामिल कर एफआईआर दर्ज कर ली। अब पुलिस को शालिनी की तलाश है। बिहार बोर्ड ने टॉपर्स लिस्ट को बच्चा राय के मुताबिक मैनेज किया। सेकैंड टॉपर सौरभ श्रेष्ठ को टॉपर के रूप में दर्ज कर रिजल्ट निकाल दिया गया। एफआईआर में लिखा है कि शालिनी साइंस टॉपर थी और उसकी कॉपी में छेड़छाड़ की गई। उसकी कॉपी के नंबर को फाड़कर दूसरी जगह नंबर लिखे गए। स्पष्ट है कि टॉपर बनाने के साथ साथ टॉपर्स लिस्ट को जारी करने में भी धांधली की गई। शालिनी ने इंटर साइंस का परीक्षा फॉर्म भरा। एडमिट कार्ड भी जारी हुआ लेकिन वह परीक्षा में शामिल नहीं हुई। अटेंडेंस शीट में उसे अनुपस्थित बताया गया। सेटिंग के लिए एक नंबर की दो कॉपियां तैयार की गई। पहली कॉपी सेंटर भेजी गई। उसी नंबर की दूसरी कॉपी को अलग से लिखवाकर सीधे मूल्यांकन केन्द्र पहुंचाया गया। इस बीच असली व नकली कॉपी को बदलने का खेल हुआ।
-कुमार विनोद