तो इन्हें कैसे भूल जाएं?
04-Jun-2016 09:51 AM 1234943
जिन लोगों के संघर्ष के कारण भाजपा सत्ता में आई है उन्हें कैसे भूला जा सकता है। आज जब इन लोगों को हमारी जरूरत है तो हमें आगे आना ही चाहिए। यह कहना है मध्यप्रदेश के गृह एवं जेल मंत्री बाबूलाल गौर का। दरअसल उन्होंने उपरोक्त बातें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के संदर्भ में कही हैं। ज्ञातव्य है कि बाबूलाल गौर मप्र कैबिनेट के एकमात्र ऐसे मंत्री हैं जो परिपाटी से हटकर काम करने के लिए जाने जाते हैं। इसलिए उन्होंने साध्वी प्रज्ञा को सिंहस्थ भेजने की पहल भी सबसे पहले की। उल्लेखनीय है कि मालेगांव विस्फोट मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी से क्लीनचिट के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने सिंहस्थ स्नान की इच्छा जताई थी। इस पर 4 मई को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सुरभि मिश्रा ने प्रज्ञा सिंह को सिंहस्थ में ले जाने के इंतजाम करने संबंधी आदेश दिए थे। बाद में भोपाल पुलिस अफसरों ने पर्याप्त फोर्स समेत अन्य इंतजाम नहीं होने का हवाला देते हुए प्रज्ञा को ले जाने में असमर्थता जताई थी। इसके बाद प्रज्ञा के वकील द्वारा लगाए गए आवेदन में इस बात का जिक्र किया गया कि कोर्ट के आदेश की अवमानना की जा रही है, तो कोर्ट ने पुन: आदेश जारी कर दिया। लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें सरकार अनुमति नहीं दे रही थी। सरकार से अनुमति नहीं मिलने के कारण साध्वी ने खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक चिकित्सालय में अनशन शुरू कर दिया। साध्वी का अनशन अंतर्राष्ट्रीय खबर बन गई, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। साध्वी के अनशन को देखते हुए उनके परिजनों ने गृह मंत्री बाबूलाल गौर से मुलाकात कर उन्हें सिंहस्थ जाने की अनुमति दिलाने की अपील की। फिर क्या था 17 मई को कैबिनेट की बैठक में गौर ने साध्वी को सिंहस्थ भेजने का मामला उठाते हुए इसमें सरकार की मंशा जाननी चाही। हालांकि जैसे ही बाबूलाल गौर ने प्रज्ञा ठाकुर को सिंहस्थ ले जाने का मामला उठाया, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें तुरंत यह कहते हुए चुप कर दिया था कि इस मसले के लिए यह उचित बैठक नहीं हैं। बताया जाता है इसके बाद मंत्रालय में उच्चस्तरीय बैठक की गई। जिसमें साध्वी को 18 मई को उज्जैन भेजने का निर्णय ले लिया गया। और साध्वी ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उज्जैन जाकर सिंहस्थ स्नान भी किया। गौर के इस कदम की अब हर तरफ प्रशंसा हो रही है। साध्वी के परिजन भी गृहमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि उन्होंने न केवल हमारी बातें सुनी बल्कि प्रज्ञा को सिंहस्थ स्नान कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दरअसल गौर जानते हैं कि केंद्र या प्रदेश में भाजपा की जो सत्ता है उसके पृष्ठ में संघ की भूमिका महत्वपूर्ण है। और प्रज्ञा सिंह ठाकुर संघ की स्वयंसेवक रही हैं। ऐसे ही स्वयंसेवकों ने भाजपा को मजबूत करने और उसकी सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब जब किसी स्वयंसेवक पर विपदा आती है तो उसके पक्ष में खड़ा होना हर भाजपाई का कर्तव्य बनता है। वैसे देखा जाए तो एनआईए ने साध्वी को क्लीन चिट दे दी है। यानी प्रज्ञा सिंह ठाकुर  मालेगांव बम धमाके की आरोपी नहीं रही। यह संघ और भाजपा की सबसे बड़ी जीत है। साध्वी कहती हैं कि यादि मैं दोषी हूं तो फांसी पर चढ़ा दो, बीच चौराहे पर खड़ा कर गोलियों से भून दो, लेकिन दोषी नहीं हूं तो एक पल के लिए भी सजा स्वीकार नहीं है। भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके मामले की जांच करवा लें, मैं अपने कर्म पर अडिग हूं। लेकिन साध्वी इस बात पर दुख दर्शाती हंै कि कांग्रेस ने उनके साथ जिस तरह का व्यवहार किया वह तो दुखद था ही। इसकी सजा जनता ने कांग्र्रेस को सत्ता से बेदखल कर दे दी है। भयभीत थे दिग्विजय सिंह सत्यमेव जयते, मुझे सुनने में आया है कि मुझे क्लीन चिट दी जा रही है, लगता है अब जांच सही दिशा में चल रही है। मैं राष्ट्रवादी हूं, आतंकवादी कैसे हो सकती हूं। दिग्विजय भयभीत थे, इसलिए उन्होंने भगवा को आतंकवाद का नाम दिया। कोर्ट के आदेश के बावजूद शिवराज ने मुझे सिंहस्थ नहीं आने दिया, मैं कैंसर से पीडि़त हूं, इसके बावजूद मुझे अनशन पर बैठना पड़ा। इसका दंड तो शिवराज को भुगतना पड़ेगा। मैं शिवराज से नहीं, उनके कर्मों से नाराज हूं, इसका दंड तो उन्हें भुगतना पड़ेगा। -विशाल गर्ग
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