कोटे पर उबली यूपी की राजनीति
27-Jan-2013 08:12 AM 1234775

उत्तरप्रदेश में कोटे की राजनीति ने नया सियासी तूफान पैदा कर दिया है। पदोन्नति में आरक्षण को लेकर यूं तो पूरे देश में राजनीति की जा रही है,

लेकिन उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच अब सीधी टकराहट उभरकर सामने आ गई है। मायावती कोटे में आरक्षण पर कुछ ज्यादा ही आक्रामक है। एफडीआई पर उन्होंने सरकार का साथ दिया था, लेकिन कोटे में आरक्षण पर सरकार के नजरिए से मायावती पशोपेश और संशय में हैं। क्योंकि सरकार ने इस विधेयक पर मतदान की नौबत आने दी। जो सरकार को भारी पड़ सकती है। यदि मतदान में सरकार पराजित होती है तो मायावती के लिए भी यह एक बड़ी हार होगी। लेकिन समाजवादी पार्टी पदोन्नति में कोटे के सख्त खिलाफ है। इसी कारण उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के इशारे पर 18 लाख सरकारी कर्मचारियों हड़ताल कर दी इनमें से ज्यादातर कृषि, ऊर्जा और पीडब्ल्यूडी से संबंधित हैं। समाजवादी पार्टी राज्यसभा में इस विधेयक का पुरजोर विरोध कर चुकी है और इस पर चर्चा तभी शुरू हो पाई थी जब समाजवादी पार्टी के नौ सांसद वाकआउट कर चुके थे। सरकार ने इस विधेयक को पारित कराने के लिए मायावती को आश्वासन दिया था, लेकिन मायावती सरकार के आश्वासन को संशय की दृष्टि से देख रही हैं क्योंकि उन्हें अंदेशा है कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सरकार के भीतर भी कुछ दल सहमत नहीं हैं। वैसे देखा जाए तो मायावती की बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर ज्यादातर दल पदोन्नति में कोटे को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ज्यादा अनिवार्य नहीं समझते। स्वयं सरकार के अंदर एक घटक ऐसा है जो यह मानता है कि सरकार को इस मामले में जल्दबाजी नहीं बरतनी चाहिए। क्योंंकि इससे एक तरह की नई टकराहट शुरू हो जाएगी। संसदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ ने कहा है कि सरकार इस विधेयक को मौजूदा शीत सत्र में ही पारित कराने का प्रयास करेगी। खास बात यह है कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर भारतीय जनता पार्टी कुछ संशोधनों के साथ इस विधेयक को पारित कराने के पक्ष में हैं, लेकिन यह संशोधन मायावती की पार्टी को मंजूर नहीं है। सरकार चाहती है कि आम राय के साथ इस विधेयक को मंजूरी दे दी जाए क्योंकि सरकार समाजवादी पार्टी को मनाना अच्छी तरह जानती है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक मामले में मुलायम सिंह यादव तथा उनके दोनों पुत्र अखिलेश यादव और प्रतीक यादव के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया है। यह यादव परिवार के लिए बड़ा झटका है और इस झटके से उन्हें कांग्रेस ही उबार सकती है। कांग्रेस के इशारे पर सीबीआई काम करती है यह अच्छी तरह देखा जा चुका है और बाबा रामदेव प्रकरण से लेकर तमाम प्रकरणों में इसे देखा जा रहा है। देखना यह है कि सीबीआई के घेरे में आने के बाद अब मुलायम का रुख क्या रहता है। जहां तक सियासी हलकों में चर्चा है वहां यही कहा जा रहा है कि मायावती ने राज्य सभा में सरकार का समर्थन एफडीआई पर इसी शर्त पर किया था कि सरकार पदोन्नति में आरक्षण संबंधी फैसले पर शीघ्र ही मतदान करवाएगी।  जहां तक समाजवादी पार्टी का सवाल है तो तो उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव चाहते हैं कि प्रोन्नति में आरक्षण की आग को मुसलमानों के आरक्षण की मांग करके ठंडा कर दिया जाये। इसीलिए वह मुस्लिमों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिलाने की लड़ाई लड़ते रहने का भरोसा दिलाते हुए प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को वैमनस्यता फैलाने वाली खतरनाक चाल बताते हैं। इसके सहारे वह अपनी राजनैतिक रोटियां भी सेंकना चाहते हैं। कुछ दिनों पूर्व अपने को प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं होने की बात कहने वाले मुलायम एक बार फिर तीसरे मोर्चे की वकालत करने लगे हैं। वह उम्मीद जताते हैं कि सन् 2014 के चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दोनों सत्ता में नहीं आ पाएगी। मुलायम सिंह यादव ने कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण बहुत खतरनाक है। इससे समाज में विषमता बढ़ेगी। इस व्यवस्था से जूनियर सीनियर और सीनियर जूनियर हो जाएगा। यह समाज को तोडऩे वाली चाल है। समाजवादी पार्टी इसीलिए इस संबंध में लाए गए संविधान संशोधन विधेयक का विरोध कर रही है। यह विधेयक सामाजिक न्याय की अवधारणा के भी खिलाफ हैं। यादव ने कहा कि केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग बनाया। सच्चर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुस्लिमों की हालत दलितों से भी ज्यादा खराब है। संसद में मुस्लिमों को नौकरियों में आरक्षण की मांग समाजवादी पार्टी ने उठाई। उन्होंने कहा सरकार को मजबूर होकर एक दिन मुस्लिमों को आरक्षण का लाभ देना ही होगा। इसके मिलने तक हमारी लड़ाई भी जारी रहेगी। उन्होंने मुस्लिमों को याद दिलाया कि स्वंय उन्होंने पिछड़ों के हक की बरसों तक लड़ाई लड़ी, तब मंडल कमीशन की सिफारिशें स्वीकार की गई। इसके लिए गिरफ्तारियॉ दी थी। लाठियां खाई थीं। चौधरी चरण सिंह जी को भी मण्डल कमीशन की सिफारिशें लागू कराने का श्रेय जाता है। यादव ने कहा मुस्लिमों को भी एक दिन जरूर आरक्षण मिलेगा। कांग्रेस और भाजपा के बीच नूरा कुश्ती चल रही है। दोनों एक दूसरे से मिले हुए हैं। ये लोग तीसरे फ्रंट को नहीं चाहते हैं। आजादी के बाद केन्द्र में 1977, 1993 और 2003 में तीसरे मोर्चे की सरकारें बनीं। वे स्वंय दो बार मुख्यमंत्री तथा केन्द्र में रक्षा मंत्री बनें। उन्होंने आशंका जताई कि कहीं कांग्रेस ही भाजपा केा केन्द्र की सत्ता में न बिठा दे। लेकिन उन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं होने पाएगा। केन्द्र में सन् 2014 में न तो कांग्रेस की सरकार बनेगी और न ही भाजपा की। तीसरा मोर्चा चुनाव बाद स्वंय गठित हो जाएगा। यादव ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे प्रोन्नति में आरक्षण से होने वाली सामाजिक वैमनस्यता के बारे में जनता को जागरूक करें, इसके साथ ही किसानों की कर्ज माफी, मुफ्त सिंचाई सुविधा, बेकारी भत्ता, कन्या धन आदि के संबंध में जनता के बीच जाकर बताएं कि समाजवादी सरकार ने उनके हित में क्या क्या कदम उठाए हैं। पार्टी अपने चुनाव घोषणापत्र के वायदे पूरे कर रही है। मुफ्त पढ़ाई और दवाई की सुविधा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपने अपने क्षेत्रों में जाकर सन् 2014 की सफलता के लिए संकल्पित होकर जिम्मेदारी से कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने निष्ठा से काम करने के लिए जो जहां जबÓÓ का मंत्र दिया।
बात बसपा की कि जाए तो बसपा कोटा विधेयक पर कांग्रेस की लटकाऊ नीति से दुखी है। सपा की नजर में कांग्रेस और भाजपा के बीच नूरा कुश्ती चल रही है तो बसपा की सोच और समझ कहती है कि भाजपा और समाजवादी पार्टी के नेता एक हैं। पार्टी सुप्रीमो हर हाल में विधेयक पास कराना चाहती हैं। इसके लिए वह सख्त कदम उठाने की बात भी करती हैं। उन्हें प्रोन्नति में आरक्षण के नाम पर सदन में जो कुछ होता है वह कतई अच्छा नहीं लगता है। बसपा को लगता है कि प्रोन्नति में आरक्षण के मसले को टालने के लिए ही भाजपा वालमार्ट का रोना रोती है। आरक्षण की आग कितनी जबर्दस्त है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब पिछले सत्र में यह विधयेक राज्यसभा में पेश किया जाने वाला था तो बसपा के सांसद अवतार सिंह और समाजवादी सांसद नरेश अग्रवाल के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। भारत के संसदीय इतिहास में ऐसे मौके शायद ही कभी आए हों जब सम्मानित सदस्य हाथापाईं पर उतार आए हों।
इस हादसे के बाद बसपा सांसद अवतार सिंह ने आरोप लगाया था कि सपा सांसद नरेश अग्रवाल विधेयक की प्रति फाडऩे की कोशिश कर रहे थे, जबकि नरेश अग्रवाल का कहना था कि वह बिल का विरोध करने के लिए वेल की तरफ जा रहे थे। उनका कहना था कि बसपा सांसद ने अपनी सुप्रीमो के इशारे पर यह सब तमाशा किया जो असंसदीय था। मायावती तो बार-बार एक ही बात दोहराती है कि कि संसद में मौजूद स्थिति को देखते हुए मुझे नहीं लगता कि यह विधेयक इतनी आसानी से पास हो जाएगा। यदि अन्य दलों के नेता हमारी मांग पर ध्यान नहीं देते हैं औेर संप्रग इसे पारित नहीं करा पाता है तो हम समझेंगे कि वे नहीं चाहते कि अनुसूचित जाति जनजाति के लोग अपने पैरों पर खड़े हों या पदोन्नति का लाभ हासिल करें। मायावती कहती हैं कि इस मुद्दे पर पिछले सत्र में पहले ही बहस हो चुकी है। ऐसे में विधेयक को पारित कराने में केवल कुछ समय की ही चर्चा काफी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि उनकी पार्टी पदोन्नतियों में अन्य पिछड़ा वर्ग या धार्मिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। इसका स्वागत करने वाली बसपा पहली पार्टी होगी।
द्यलखनऊ से मधु आलोक निगम

 

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